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‘हीरो नहीं, विलेन बनकर भी पहचान बनाना चाहता हूं’: पाताल लोक के ‘अंसारी’ उर्फ इश्वाक सिंह बोले- हर तरह के किरदार निभाने की है ख्वाहिश

2 घंटे पहलेलेखक: किरण जैन

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इश्वाक सिंह ने अपनी एक्टिंग से ‘पाताल लोक’, ‘बर्लिन’ और ‘रॉकेट बॉयज’ जैसी वेब सीरीज और फिल्मों में खास पहचान बनाई है। अलग-अलग तरह की कहानियों में खुद को ढालने वाले इश्वाक हाल ही में ‘खलनायक’ फिल्म के मशहूर गाने ‘पालकी में होके सवार’ के नए वर्जन में भी नजर आए।

दैनिक भास्कर से खास बातचीत में उन्होंने अपने करियर, इंडस्ट्री में आए बदलाव और आगे के प्लान्स पर खुलकर बात की।

‘पाताल लोक 2’ और ‘बर्लिन’ की सफलता के बाद कुछ बदलाव महसूस हो रहे हैं? इसे ट्रांसफॉर्मेशन कहोगे या एवोल्यूशन?

बहुत अच्छा लगता है जब लोग आपके काम को पसंद करते हैं। जब सिर्फ मेरी परफॉर्मेंस ही नहीं, बल्कि पूरी फिल्म या शो सराहा जाता है, तो और भी खुशी होती है। अभी भी यह अहसास धीरे-धीरे गहराता जा रहा है। जब हम काम में बिजी होते हैं, तो पूरा मजा लेने का मौका नहीं मिलता, जो शायद अच्छा ही है। वरना इंसान हवा में उड़ने लग जाए। लेकिन हां, मैं इस पल को एन्जॉय कर रहा हूं। इस इंडस्ट्री में हर सफलता आपको अगले मुकाम तक लेकर जाती है और मैं इस सफर को पूरी तरह जी रहा हूं।

मेकर्स की तरफ से अब कोई अलग तरह की अप्रोच देखने को मिल रही है?

हां, बदलाव तो आया है। अब जो ऑफर मिल रहे हैं, वो पहले से काफी अलग हैं। जब कोई प्रोजेक्ट सफल होता है, तो मेकर्स को भी भरोसा हो जाता है कि मैं अलग-अलग तरह के रोल कर सकता हूं। जो भी किरदार मुझे मिले हैं, वो मेकर्स की सोच और उनके भरोसे की वजह से ही हैं। ‘पाताल लोक’ के बाद जब मैंने ‘बर्लिन’ किया, तो वो पूरी तरह से अलग था- एक तरह से एंटी-हीरो। अब देखना दिलचस्प होगा कि आगे मुझे कौन-सा किरदार निभाने का मौका मिलेगा। मैं चाहता हूं कि कोई मुझे विलेन के तौर पर भी देखे। (हंसते हुए)

वैसे, मैं चाहता हूं कि लोग मुझे सिर्फ हीरो के रूप में न देखें, बल्कि विलेन के रूप में भी मेरी पहचान हो। यह मुझे अलग तरह से परखने का मौका देगा। मैं हर किरदार की परतें खोलना चाहता हूं। मुझे इस चुनौती का सामना करने में मजा आएगा।

क्या आपको कभी डर लगा कि एक ही तरह के किरदार में टाइपकास्ट न हो जाओ?

नहीं, मुझे ऐसा कभी नहीं लगा। अच्छे फिल्ममेकर्स जानते हैं कि अगर कोई एक्टर एक रोल बखूबी निभा सकता है, तो वह और भी किरदार उतनी ही शिद्दत से कर सकता है। मैंने थिएटर से शुरुआत की थी। थिएटर में तो यह बहुत आम बात है- एक 17 साल का लड़का 60 साल के व्यक्ति का रोल भी कर सकता है। लेकिन जब मैंने फिल्मों में काम करना शुरू किया, तो देखा कि यहां ‘लुक’ को बहुत ज्यादा अहमियत दी जाती है। यह मेरे लिए नया था, लेकिन अब समझ आया कि यह कितना जरूरी है।

किन डायरेक्टर्स के साथ काम करने की इच्छा है?

मैं इंडस्ट्री के सभी दिग्गज डायरेक्टर्स के साथ काम करना चाहता हूं, जैसे कि करण जौहर, अनुराग कश्यप, राम गोपाल वर्मा। लेकिन मुझे नए डायरेक्टर्स के साथ भी काम करने में उतना ही मजा आता है। नए फिल्ममेकर्स की सोच और अप्रोच बिल्कुल अलग होती है। अनुभवी डायरेक्टर्स के साथ काम करके अनुशासन और सीखने का मौका मिलता है, जबकि नए डायरेक्टर्स के साथ काम करने में एक अलग तरह का रोमांच होता है। वो आपको एक्सपेरिमेंट करने की आजादी देते हैं।

‘खलनायक’ के आइकॉनिक सॉन्ग ‘पालकी में होके सवार’ के नए वर्जन का अनुभव कैसा रहा?

जब मुझे इस गाने का ऑफर मिला, तो मैंने इसे शुरुआत में हल्के में लिया। लेकिन जब सेट पर पहुंचा और पूरा गाना सुना, तब समझ आया कि यह कितना पेपी और एनर्जेटिक है। डायरेक्शन, कोरियोग्राफी और सेटअप शानदार था। पूरी टीम में जबरदस्त जोश था और जैसे ही पहुंचे, तुरंत रिहर्सल शुरू हो गई। माहौल इतना मस्त था कि लगा बहुत मजा आने वाला है।

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2025-02-18 01:30:00
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