0

भूख मिटाने को स्कूल में लिखवाया नाम, आज खो-खो वर्ल्ड कप जीत भारत का नाम किया रोशन, ऐसी है मोनिका की कहानी

भूख मिटाने को स्कूल में लिखवाया नाम, आज खो-खो वर्ल्ड कप जीत भारत का नाम किया रोशन, ऐसी है मोनिका की कहानी

Agency:News18 Bihar

Last Updated:

मोनिका साह, नवगछिया की खो-खो खिलाड़ी, ने विश्वकप में भारत को जीत दिलाई. आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. अब वो सरकारी मदद की आस में हैं.

X

चाय बनाती मोनिका

हाइलाइट्स

  • मोनिका साह ने खो-खो वर्ल्ड कप में भारत को जीत दिलाई.
  • आर्थिक तंगी के बावजूद मोनिका ने हार नहीं मानी.
  • मोनिका अब सरकारी मदद की आस में हैं.

भागलपुर:- भागलपुर के नवगछिया के डिमहा की रहने वाली मोनिका साह की जिदंगी एक समय हौंसलों से भरी थी. मोनिका साह छोटी-सी गलियों से निकलकर विश्व स्तर तक का सफर कर चुकी हैं. लेकिन जब इनकी स्थिति से वाकिफ होंगे, तो आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे. बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खो-खो खेल में भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई.

कैसा रहा मोनिका का सफर
जब विश्वकप खो-खो को जीतकर वापस घर पहुंची, तो लोकल 18 की टीम उनके घर गई. मोनिका तुरंत घर आई ही थी, इसलिए लोगों का ताता लगा हुआ था. सभी के लिए मोनिका ही लकड़ी के चूल्हे पर चाय बना रही थी. ये शौक नहीं, बल्कि उनकी मजबूरी है. जहां मोनिका चाय बना रही थी, वहां ऊपर खपरैल तक नहीं थी. बारिश के दिनों में घर से पानी टपकता है. लोकल 18 की टीम ने उनके सफर के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि मैं अपने बारे में बताने लगी, तो शायद कहानी खत्म नहीं होगी.

मेरी आर्थिक स्थिति सही नहीं है. मैंने सरकारी विद्यालय से पढ़ाई प्रारम्भ किया, क्योंकि वहां एक वक्त का खाना मिल जाता था. कभी एक समय भूखे भी सोना पड़ता था. एक खिलाड़ी के लिए डाइट सबसे अधिक जरूरी है. लेकिन मुझे कभी सही डाइट ही नहीं मिल पाया, फिर भी मैंने हार नहीं मानी. मैं कहीं भी गेम खेलने जाती, तो वहां जो पैसे मिलते, मैं उससे अपना मेंटेनेंस करती. इस आलम से मैं विश्वकप का सफर तय कर पाई. विश्वकप में 6 अंक (सबसे अधिक अंक हासिल करने वाली) हासिल कर भारत को विजयी बनाई.

ये भी पढ़ें:- बिहार में यहां बनने वाला है देश का पहला स्मार्ट गांव, जमीन मापी का काम हुआ शुरू, मिलेंगी ये सुविधाएं

अब सरकार से मदद की आस
उन्होंने Local 18 को बताया कि मुझे आज तक तो किसी सरकारी योजनाओं का भी लाभ अभी तक नहीं मिल पाया है. लेकिन अब सरकार से मदद की आस है कि मुझे घर और सारी सुविधाएं दी जाए. यहां तक आवास योजना का ही लाभ दिया जाए. मुझे गैस कनेक्शन तक नहीं दिया गया है, इसलिए चूल्हे पर खाना बनाने को विवश हूं.

homesports

संघर्ष की आग में तपकर बनीं वर्ल्ड चैंपियन, आज भी चूल्हे पर रोटी सेंकती मोनिका

[full content]

Source link
#भख #मटन #क #सकल #म #लखवय #नम #आज #खख #वरलड #कप #जत #भरत #क #नम #कय #रशन #ऐस #ह #मनक #क #कहन