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Bhopal Gas Tragedy Waste: पीथमुपर में सात स्टेप्स में जलाया जाएगा यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा

भोपाल गैस त्रासदी के बाद वर्षों से वहां रखे यूनियन कार्बाइड के 337 टन कचरे को पीथमपुर में भस्मक संयंत्र परिसर में लाया गया है। यहां इस कचरे को सात चरणों में जलाया जाएगा।

By Udaypratap Singh

Publish Date: Fri, 28 Feb 2025 02:21:19 PM (IST)

Updated Date: Fri, 28 Feb 2025 02:37:23 PM (IST)

पीथमपुर में रिसस्टेनेब्लिटी कंपनी के परिसर में बना इंसीनेटर।

HighLights

  1. पहले चरण में 74 घंटे में नष्ट करेंगे 10 टन कचरा।
  2. हर दो मिनट में 4.5 किलो कचरा और लाइम जलेगा।
  3. इस दौरान एयर क्वालिटी की निगरानी की जाएगी।

उदय प्रताप सिंह, नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर(Bhopal Gas Tragedy Waste)। भोपाल गैस त्रासदी के बाद वर्षों से वहां रखे यूनियन कार्बाइड (यूका) के 337 टन कचरे को दो जनवरी तड़के चार बजे पीथमपुर में भस्मक संयंत्र परिसर में 12 कंटेनरों में पहुंचाया गया था। पीथमपुर में यूका का कचरा पहुंचने के 56 दिन 11 घंटे बाद 27 फरवरी (गुरुवार) दोपहर बाद 12 में पांच कंटेनर खोल कचरे को बाहर निकाला गया।

हाई डेंसिटी पालीथिन (एचडीईपी) बैग में बंद इस कचरे को मैकेनिक कार्ट (बकेटनुमा ट्राली) में रखकर इंसीनरेबल स्टोरेज शेड में रखा गया। शुक्रवार सुबह इसे भस्मक में डाल भस्म करने की प्रक्रिया शुरू होगी। शुक्रवार को प्रतिघंटा 135 किलो कचरा भस्मक में डाला जाएगा। 74 घंटों में 10 टन कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

हर दो मिनट में 4.5 किलो कचरा और इतना ही लाइम जाएगा इंसीनेटर में

पहला चरण : प्राथमिक दहन कक्ष (रोटरी किल) : तापमान 850-900 डिग्री

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हर दो मिनट में 4.5 किलो अपशिष्ट का बैग व 4.5 किलो लाइम का बैग डाला जाएगा। इस चैंबर में रखा कचरा घूमेगा। इससे सुनिश्चित किया जाएगा किया कि कचरा पूरी तरह जल जाए। कचरा जलने के बाद राख नीचे आ जाएगी। कचरा जलने के बाद गैस अगले चैंबर में जाएगी।

दूसरा चरण : द्वितीय दहन कक्ष (वर्टिकिल सेकंडरी कंबंशन चैंबर) : तापमान 1100-1200 डिग्री

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डीजल बर्नर की मदद से बचे हुए फ्लू गैस अधजले कणों को 1100 डिग्री तापमान पर जलाया जाएगा। प्राथमिक व द्वितीय दहन कक्ष में यदि निर्धारित मात्रा से तापमान कम होगा तो इसकी सूचना तुरंत मानीटरिंग कक्ष में पहुंचती है और प्लांट व अपशिष्ट को भस्मक के डालने की प्रक्रिया रोक दी जाती है।

तीसरा चरण : स्प्रे ड्रायर में गैस

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फ्लू गैस को स्प्रे डायर में भेजा जाएगा। यहां पानी के फव्वारे से इसे ठंडा कर 240 डिग्री सेल्सियस तक गैस का तापमान लाया जाएगा। तापमान में त्वरित गिरावट इस वजह से की जाती है ताकि गैस में दोबारा किसी तरह के हानिकारक तत्व न बने।

चौथा चरण: मल्टीसाइक्लोन मशीन

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गैस को मल्टीसाइक्लोन मशीन से गुजारा जाएगा। यहां गैस को घुमाकर उसमें जमा भारी कणों को अलग किया जाएगा।

पांचवां चरण : ड्राय स्क्रबर

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गैस ड्राय स्क्रबर से गुजरेगी। वहां चूना, एक्टिवेटेड कार्बन व सल्फर के मिश्रण का स्प्रे गैस पर किया जाएगा। इससे सल्फर डाईआक्साइड, डायक्सीन व मर्करी फ्लू गैस से अलग हो जाएगी। इसके बाद फ्लू गैस बैग फिल्टर से गुजरती है। जहां गैस में इसमें उपस्थित ठोस कण छन जाएंगे।

छठा चरण : वेट स्क्रबर

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वेट स्क्रबर में गैस पर कास्टिक सोडा के घोल को स्प्रे किया जाएगा। इस प्रक्रिया में गैस से सभी एसिटिक तत्व जैसे एसओटू, एसओथ्री और एचसीएल को न्यूट्रलाइज किया जाता है।

सातवां चरण : चिमनी से गैस को छोड़ा जाएगा

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फ्लू गैस को 35 मीटर ऊंची चिमनी से वातावरण में छोड़ा जाएगा। यह गैस पूरी तरह साफ होती है। कंपनी का दावा है कि इसमें हानिकारक तत्व नहीं होते। इस चिमनी में सेंसर लगे होते हैं जिससे गैस की गुणवत्ता की लगातार निगरानी की जाती है।

ये एजेंसियां करेंगी वायु गुणवत्ता की निगरानी

  • भस्मक संयंत्र परिसर में मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लगाए गए चार एंबिएंट एयर क्वालिटी मानीटरिंग सिस्टम वायु गुणवत्ता की जांच करेंगे।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी रहेंगे मौजूद।
  • नेशनल एन्वारमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट (नीरी)
  • विमटा संस्थान, हैदराबाद
  • संस्थान के गेट पर प्रदूषण की जानकारी देने वाले बोर्ड पर वायु गुणवत्ता के आंकड़े प्रदर्शित होंगे।

तीन चरण में 30 टन कचरे का ट्रायल रन

28 फरवरी से शुरू : 74 घंटे चलेगा ट्रायल रन

– 135 किलो यूका कचरा प्रतिघंटा भस्मक में डाला जाएगा। इस तरह 74 घंटे में 10 टन कचरा जलेगा।

4 मार्च से शुरू : 55 घंटे

– 180 किलो प्रतिघंटा यूका का कचरा भस्मक में डाल जाएगा।

10 मार्च से शुरू : 37 घंटे

– 270 किलो यूका कचरा प्रतिघंटा संयंत्र में डाला जाएगा।

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