मालूम हो कि ईओडब्ल्यू ने नगर निगम के सस्पेंड एआरओ राजेश परमार पर शिकंजा कसा है। परमार के ठिकानों से आय से कई गुना अधिक संपत्ति मिली है। परमार की पहले ही कई शिकायतें निगम आयुक्त तक पहुंच चुकी थी। कुछ दिन पहले आयुक्त ने परमार की गडबडी पकड़ पर उसे सस्पेंड किया था।
अब वर्मा ने स्थापना शाखा को निर्देश दिए हैं कि ऐसे अधिकारी-कर्मचारी चिन्हित करें जिन पर एक या उससे अधिक बार आर्थिक अनियमितता के आरोप लगे हैं। वर्मा ने आर्थिक अनियमितता पर जीरो टोलरेंस नीति का मन बनाया है। यह भी कहा है कि जिन लोगो की ऐसे मामलों में विभागीय जांच चल रही है उनका भी तत्काल निराकरण किया जाए
पहले ही किया था आगाह
इससे पहले पत्रिका ने खबर भी प्रकाशित की थी जिसमे विभागीय जांचों में देरी और निगम के हर विभाग में भ्रष्टाचार का जिक्र था। नगर निगम में कई ऐसी विभागीय जांच है जिन्हें दस साल में भी पूरा नहीं किया जा सका। लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में 50 से अधिक प्रकरण चल रहे हैं। कई प्राथमिक जांचे चल रही हैं। फिर भी उन्हें प्रमुख विभागों में पदस्थ किया गया है।
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