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साहित्यिक महोत्सव में द्विभाषी संगम: इंदौर में हिंदी-मराठी साहित्यकार विश्वनाथ शिरढोणकर का विशेष सम्मान – Indore News

इंदौर में लिवा साहित्य सेवा समिति, हिंदी परिवार और मध्य प्रदेश मराठी अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लोकमान्य नगर स्थित सभागृह में आयोजित इस कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार विश्वनाथ शिरढोणकर का विशेष स

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कार्यक्रम का उद्घाटन 1 मार्च को शाम 5 बजे वीणा के संपादक राकेश शर्मा और वरिष्ठ साहित्यकार राधिका इंगळे ने किया। राकेश शर्मा ने कहा कि यह कार्यक्रम भाषाओं के मिलन का अनूठा उदाहरण है, जहां मराठी और हिंदी की संगम स्थली बनी।

मराठी साहित्य अकादमी भोपाल के संतोष गोडबोले, सानंद के अध्यक्ष जयंत भिसे और मुक्त संवाद के भालचंद्र रेडगावकर समेत कई साहित्यिक संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

संबोधित करते हरेराम वाजपेयी और मंच पर बैठे रचनाकार

कार्यक्रम के पहले सत्र में शिरढोणकर की रचनाओं का पाठ किया गया। डॉ. ज्ञानेश्वर तिखे, ठाणे से आए डॉ. निर्मोही फडके, भोपाल से पुरुषोत्तम सप्रे, ग्वालियर के व्यंकटेश वाकडे और मिलिंद देशपांडे ने उनकी कविताएं, कहानियां, निबंध और उपन्यास के अंश प्रस्तुत किए।

दूसरे सत्र में द्विभाषी कवि सम्मेलन हुआ। संतोष मोहंती, प्रदीप नवीन, हरेराम वाजपेयी, डॉ. मनीष खरगोनकर, डॉ. वसुधा गाडगिल, डॉ. संध्या टिकेकर, सुरेखा सिसोदिया और पुरुषोत्तम सप्रे ने हिंदी और मराठी कविताओं की प्रस्तुति दी। शहर की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं ने विश्वनाथ शिरढोणकर का भावपूर्ण स्वागत किया।

कार्यक्रम के दूसरे दिन 2 मार्च को प्रातः 10:00 बजे देश के सुविख्यात भजन गायक राहुल खरे व उनके साथियों ने भक्ति संगीत की गंगा प्रवाहित की संगीत प्रेमियों ने उन्हें बहुत सराहा. इस अवसर पर विश्वनाथ शिरढोणकर की चार कृतियों का लोकार्पण हुआ। इन कृतियों पर संक्षिप्त में डॉक्टर वसुधा गाडगिल, डाँ उमा कम्पूवाले, डॉ. वासवदत्ता अग्निहोत्री (ग्वालियर ), रिचा दीपक कर्पे (देवास ) ने समीक्षाएं प्रस्तुत की. मुख्य अतिथि आरके सिंह आंचल प्रमुख सेंट्रल बैंक आफ इंडिया ने आयोजन की सराहना की। इस अवसर पर से संतोष गोडबोले, संजय बच्चाव (बडोदा), तृप्ति त्रिपाठी ने भी उद्बोधित किया। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में साहित्यकार की विश्वनाथ शिरोडकर के सम्मान में ग्वालियर उज्जैन पुणे मुंबई देवास भोपाल खंडवा आदि शहरों के साहित्यकार उपस्थित हुए। भाषाई एकता का यह अनुपम संगम यहां पर देखने के मिला जिसके लिए कार्यक्रम संयोजक अश्विन खरे की सभी लोगों ने भूरि भूरि प्रशंसा की। कार्यक्रम के अंत में आभार गौरव शिरढोणकर ने व्यक्त किया गया.

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