महर्षि दधीचि के देहोत्सर्ग पर्व पर एक विशेष आयोजन किया गया। महर्षि दधीचि देहदान अंगदान समिति ने 2 मार्च को देहदान अंगदान दिवस मनाया। इस अवसर पर शहर के देहदानी और अंगदानी परिवारों को महर्षि दधीचि सम्मान से सम्मानित किया गया।
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समारोह में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री सावित्री देवी ठाकुर मुख्य अतिथि रहीं। इंदौर सांसद शंकर लालवानी और महापौर पुष्यमित्र भार्गव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और पूर्व अधिष्ठाता डॉ. संजय दीक्षित भी मौजूद रहे।
यह समिति का बीसवां वार्षिक सम्मान समारोह था। इस आयोजन के माध्यम से देहदान और अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया गया।
समारोह में उपस्थित शहरवासी
दधीचि तीर्थ के रूप में विकसित करने की मांग
केंद्रीय मंत्री सावित्री ने सभा को उद्बोधित करते हुए कहा कि इंदौर का नाम हर क्षेत्र में आगे है और देश में इंदौर का एक महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसे में यहां के लोगों की प्रेरणा से सम्पूर्ण देश को सीख मिलती है । विगत बीस वर्षों से देहदान अंगदान के क्षेत्र में एकाग्र हो काम करने वाली दधीचि देहदान अंगदान समिति ने जब कार्य आरम्भ किया होगा तब निश्चित ही कठिनाइयां आई होंगी क्योंकि कोई भी अच्छा कार्य करने में कठिनाई आती ही है किन्तु अथक प्रयास करते रहने से सफलता प्राप्त होती है। दधीचि देहदान अंगदान समिति ने मंत्री से अनुरोध किया कि चूंकि मंत्री धार का प्रतिनिधित्व करती हैं और देहदान अंगदान के अन्यतम प्रेरणा-पुंज महर्षि दधीचि की तपस्थली धार जिले के बेंट में ही स्थित है अत: उस स्थान को दधीचि तीर्थ के रूप में विकसित करवाएं और क्षेत्र के अंगदानियों का नाम वहां अंकित कर उसे अंगदान के प्रेरणास्थल के रूप में स्थापित करें।
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सम्मान करते हुए अतिथि और पदाधिकारी
अंगदानी देहदानी परिवार सम्मान के पात्र
सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि इस कार्यक्रम को आज बीस वर्ष हो गए और ऐसा कभी नहीं हुआ कि मैं इंदौर में हो कर इस कार्यक्रम में ना आया होऊं, क्योंकि इस कार्यक्रम का विषय ही ऐसा है। अंगदानी देहदानी परिवार सम्मान के पात्र हैं क्योंकि परिवार के बिना कोई कुछ कर नहीं सकता। अपने लिए तो सभी जीते हैं, कीट पतंग, पशु पक्षी भी किन्तु औरों के लिए विचार करना, दान करना बिरले ही कोई कर पाते हैं। हम किसी को जीवन दे तो नहीं सकते किन्तु जीवन बचा अवश्य सकते हैं और इस से बड़ा पुण्य का कार्य कुछ हो नहीं सकता। दधीचि संस्था के लिए शंकर लालवानी ने कहा कि आज से बीस वर्ष पहले दधीचि देहदान अंगदान समिति के व्यास जी ने संकल्प लिया कि स्वयं देहदान करेंगे और समाज में भी इसके प्रति जागरुकता फैलाएंगे , उनके संकल्प की सिद्धि स्वरूप धीरे धीरे जागरुकता आई और आज इंदौर देहदान और अंगदान के क्षेत्र में अग्रणी है।
अंगदानियों के लिए आयुष्मान योजना की घोषणा का स्वागत
नंदकिशोर व्यास ने कहा कि मेरे प्रयासों में शंकर भैया सदा साथ रहे और ऐसे ही सम्मिलित प्रयासों के परिणामस्वरूप आज राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री द्वारा देहदानियों के लिए राजकीय सम्मान और अंगदानियों के लिए आयुष्मान योजना की घोषणा की गई है। व्यास ने सांसद से अनुरोध करते हुए ये भी कहा कि आप तो स्वयं शंकर नामधारी हैं और अंगदान और अस्त्र विद्यादान दोनों के कीर्ति पुरुष कहलाने वाले दधीचि ने शंकर के सम्मान की रक्षा के लिए प्रजापति और देवताओं तक से लड़ाई कर ली थी। अब आप उन्हीं दधीचि की पुण्य स्मृति का सम्मान करवाने के लिए अंगदान प्रोत्साहन हेतु केंद्र सरकार से महर्षि दधीचि पुरस्कार घोषित करवाएं।
अध्ययनरत चिकित्सक के लिए मृत देह गुरु के समान
एमजीएम के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने चिकित्सा क्षेत्र के लिए देहदान के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि अध्ययनरत चिकित्सक के लिए मृत देह गुरु के समान है, मैं छात्रों को हमेशा कहता हूं कि शरीर संरचना अध्ययन कक्ष में प्रवेश करो तो सर्वप्रथम देहदानी के शरीर को नमन करो। उन्होंने बताया कि वे महर्षि दधीचि की तस्वीर अनाटॉमी विभाग में लगवाने की मंशा रखते हैं जिस से कि छात्रों को देहदानियों के परोपकारी भाव का बोध हो सके।
कर्तव्यनिष्ठा और सेवाशीलता के लिए प्रशस्ति पत्र से सम्मान
एमजीएम के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. संजय दीक्षित ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उपस्थित जनसमुदाय द्वारा किए गए प्रश्नों शंकाओं का यथोचित समाधान किया। इस अवसर पर अंगदानी मनीषा राठौर, सुनील राजपूत, सुरेन्द्र पोरवाल के परिजन तथा 22 देहदानी परिवारों को “महर्षि दधीचि सम्मान” से सम्मानित किया गया। रक्तदान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए जगप्रीत सिंह टुटेजा (ब्लड एम्बेसडर) को सम्मानित किया गया । दधीचि समिति द्वारा एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. संजय दीक्षित को अंगदान के क्षेत्र में उनकी कर्तव्यनिष्ठा और सेवाशीलता के लिए प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।
106 नए सदस्यों को अभिनन्दन-पत्र भेंट
संस्था द्वारा विगत एक वर्ष में देहदान अंगदान के लिए स्वयं का पंजीयन कराने वाले 106 नए सदस्यों को अभिनन्दन-पत्र भी भेंट किए गए ।महर्षि दधीचि देहदान अंगदान समिति वर्ष 2006 से सेमिनार, सम्मलेन, जन रैली, आलेख, आदि के माध्यम से अंगदान तथा देहदान के प्रचार प्रसार के साथ इनसे संबंधित धार्मिक, सामाजिक, वैधानिक एवं तकनीकि भ्रांतियों के निवारण हेतु निरंतर प्रयासरत है। संस्था द्वारा देहदान अंगदान हेतु पंजीयन कर डोनर आईडी कार्ड (दानदाता पहचान पत्र) प्रदान किए जाते हैं। वर्तमान में संस्था में लगभग दो हज़ार रजिस्टर्ड डोनर्स हैं ।
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