दरअसल, सोमवार को पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को पकड़ लिया। छात्र ने बताया कि उसकी जान-पहचान संकेत चव्हाण से महलक्ष्मी मंदिर में हुई थी। जब उसके बातचीत हुई तो उसने अपने आप को भोपाल के राजस्व विभाग में अपर कलेक्टर होने की बात कही थी। जब उससे छात्र ने सरकारी नौकरी लगवाने को कहा तो उसने 30 हजार रुपए रिश्वत में काम होने के बाद कही। इसके बाद वह 70 हजार रुपए की मांग करने लगा। फिर बात 3 लाख तक पहुंच गई।
3 लाख रुपए की डिमांड तो हुआ शक
पुलिस को सारांश ने बताया कि वह अपने पिता को लेकर आरोपी के द्वारा बताए हुए पते पर लेकर गया। उसने अपने घर में अपर कलेक्टर के नाम की नेम प्लेट लगाई थी। उसने 1 लाख 10 हजार रुपए किश्तों में लिए थे। इसके बाद आरोपी ने बताया कि विभाग में जो कागजात दिए थे। वह फर्जी निकले हैं। जिसके लिए 3 लाख रूपए मांगने लगेंगे।
आरोपी ने 60 हजार रुपए कर दिए थे वापस
जब छात्र और उसके पिता को शक हुआ तो वह घर पहुंचे और देखा कि नेमप्लेट हटी हुई थी। पुत्र-पिता ने पुलिस में जाकर शिकायत करने की बात कही तो उसने 60 हजार रुपए दो किश्तों में वापस कर दिए। वह अक्सर एसडीएम नेमप्लेट की कार उज्जैन से आता था। वह वहां पर किसी अफसर के ड्राइवर से संपर्क में था। उज्जैन पुलिस ड्राइवर से पूछताछ करेगी।
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