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यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने से AQI में मामूली बदलाव, पहले ट्रायल में पीथमपुर में 10 टन कचरा जला

खंडवा में कचरा निष्पादन के पहले चरण के बाद वायु गुणवत्ता में मामूली बदलाव हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए निगरानी रखी है। दूसरे चरण में प्रदूषण स्तर को और नियंत्रित किया जाएगा।

By Anurag Mishra

Publish Date: Mon, 03 Mar 2025 09:01:35 PM (IST)

Updated Date: Tue, 04 Mar 2025 12:16:49 AM (IST)

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी किए आंकड़े

HighLights

  1. कचरा निष्पादन में वायु गुणवत्ता में मामूली बदलाव।
  2. पीएम2.5 और पीएम10 का स्तर सामान्य से अधिक
  3. प्रशासन ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए सतर्कता बढ़ाई।

इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। खंडवा में हाल ही में कचरा निष्पादन के लिए की गई पहल के बाद वायु गुणवत्ता में मामूली बदलाव देखने को मिला है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार कचरा जलने के बाद प्रदूषण का स्तर सामान्य से अधिक था, लेकिन वन विभाग और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कड़ी निगरानी रखी है।

इस मामले में एसएन द्विवेदी, क्षेत्राधिकारी, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा कि वायु प्रदूषण की स्थिति सामान्य है और सभी गैसों और कणों का स्तर निर्धारित मानकों के भीतर है।

कचरा निष्पादन के पहले चरण का समापन और दूसरे चरण की शुरुआत

  • शुरुआत में कचरा निष्पादन के पहले चरण में 10 टन कचरे को इन्सीनेरेटर मशीन में जलाया गया था, जिसे धीरे-धीरे तापमान कम करके बंद किया गया।
  • सोमवार को यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद मंगलवार से कचरे के निष्पादन का दूसरा चरण शुरू होगा। इस चरण में 10 टन कचरा जलाने की प्रक्रिया को तेजी से किया जाएगा। इसमें प्रत्येक घंटे में 180 किलो कचरे का निष्पादन किया जाएगा और 55 घंटे में 10 टन कचरा पूरी तरह से जलाया जाएगा।

वायु गुणवत्ता की स्थिति

  • कचरा जलाने के बाद वायु गुणवत्ता में मामूली बदलाव हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रदूषण स्तर की निगरानी की जा रही है।
  • वायु गुणवत्ता मानक के अनुसार, वायु गुणवत्ता को 0-50 तक अच्छा, 51-100 तक संतोषजनक, 101-200 तक सामान्य से अधिक माना जाता है।
  • इस संदर्भ में, खंडवा जिले में 24 फरवरी से 3 मार्च तक के बीच वायु गुणवत्ता का स्तर 100 से 200 के बीच रहा, जो सामान्य से अधिक था।

प्रदूषण के आंकड़े और वायु गुणवत्ता

वायु गुणवत्ता के आंकड़े (वायु गुणवत्ता 0-200 के बीच):

  • 24 फरवरी (वायु गुणवत्ता 148): प्रदूषण का स्तर उच्च था, विशेष रूप से पीएम2.5 और पीएम10 का स्तर 100 के पार गया।
  • 25 फरवरी (वायु गुणवत्ता 124): वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार देखा गया।
  • 26 फरवरी (वायु गुणवत्ता 123): वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही।
  • 27 फरवरी (वायु गुणवत्ता 104): वायु गुणवत्ता सामान्य सीमा में आ गई।
  • 28 फरवरी (वायु गुणवत्ता 132): प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ा, लेकिन स्थिर रहा।
  • 1 मार्च (वायु गुणवत्ता 138): प्रदूषण का स्तर कुछ अधिक था, लेकिन राहत के संकेत भी थे।
  • 2 मार्च (वायु गुणवत्ता 106): प्रदूषण का स्तर कम हुआ।
  • 3 मार्च (वायु गुणवत्ता 122): वायु गुणवत्ता में मामूली वृद्धि देखी गई।

पीएम2.5, पीएम10 और अन्य गैसों के स्तर पर भी मामूली बदलाव आया।

  • पीएम2.5: 24 और 26 फरवरी को 100 से ऊपर था, लेकिन 2 और 3 मार्च को यह 50-70 के बीच रहा।
  • पीएम10: 24 से 26 फरवरी तक 100 से अधिक रहा और 28 फरवरी से 3 मार्च तक 100-125 के बीच बना रहा।
  • एनओ2: वायु गुणवत्ता में पीएम2.5 और पीएम10 के साथ एनओ2 का स्तर भी 24 से 27 फरवरी तक 15-25 के बीच रहा। 28 फरवरी से 3 मार्च तक यह 10-35 के बीच रहा।
  • एनएच3: 24 से 27 फरवरी तक 1-5 के बीच रहा और 28 फरवरी से 3 मार्च तक यह 4-5 रहा।
  • एसओ2: 24 से 27 फरवरी तक 16-30 के बीच रहा और 28 फरवरी से 3 मार्च तक यह 14 से 43 तक बढ़ा।
  • सीओ: 24 से 27 फरवरी तक 28-41 के बीच रहा और 28 फरवरी से 3 मार्च तक 14-59 तक बढ़ गया।
  • ओजोन: 27 फरवरी को 104 तक पहुंचा और 3 मार्च को 111 तक पहुंच गया।

प्रशासन की सतर्कता और आगे की प्रक्रिया

  • प्रदूषण के इस मामूली बदलाव के बावजूद, प्रशासन ने कचरा निष्पादन प्रक्रिया को बेहद सतर्कता के साथ किया। विभाग की ओर से नागरिकों से अपील की गई है कि वे वायु गुणवत्ता की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, खुले में कचरा न जलाएं और वातावरण को प्रदूषित करने से बचें।
  • इस प्रक्रिया के दूसरे चरण के तहत, प्रदूषण के स्तर को और नियंत्रित करने के प्रयास किए जाएंगे। प्रशासन की निगरानी में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रदूषण का स्तर हानिकारक न हो और पर्यावरण पर इसका न्यूनतम असर पड़े।

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