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Pithampur: यूका कचरा निस्तारण पर बवाल, प्रदूषण बोर्ड के आंकड़ों पर सवाल | questions raised on pollution board data over disposal of toxic waste of Union Carbide in Pithampur madhya pradesh

हर घंटे 180 किग्रा कचरा जलाया गया

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, इंसीनरेटर में हर घंटे 180 किग्रा जहरीला कचरा जलाया गया। पहले दहन कक्ष का तापमान 905 से 823 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि दूसरे कक्ष में यह 1213 से 1102 डिग्री सेल्सियस के बीच था। वैज्ञानिकों ने चिमनी से निकली गैसों की जांच कर यह दावा किया कि सभी उत्सर्जन मानक सीमा के भीतर रहे।

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प्रदूषण के आंकड़े पहली बार सार्वजनिक

इस बार बोर्ड ने लेड, निकल, आर्सेनिक और अमोनिया जैसी गैसों के आंकड़े भी जारी किए। 24 घंटे में निकली गैसों के स्तर को लेकर जारी आंकड़ों के अनुसार:

  • पार्टिकुलेट मैटर (PM) – अधिकतम 15.6, औसत 13.73 (मानक 50)
  • सल्फर डाइऑक्साइड – अधिकतम 65.0, औसत 51.69 (मानक 200)
  • नाइट्रोजन ऑक्साइड – अधिकतम 122.2, औसत 101.22 (मानक 400)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड – अधिकतम 52.41, औसत 33.91 (मानक 100)
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प्रशासन पर लापरवाही के आरोप

पीथमपुर बचाओ समिति Pithampur Bachao Samiti) ने प्रेस वार्ता में कहा कि बोर्ड के आंकड़े अधूरे और भ्रामक हैं। समिति के अध्यक्ष डॉ. हेमंत कुमार हिरोले ने आरोप लगाया कि वैज्ञानिक विश्लेषण के बिना कचरा जलाया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है। समिति ने प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution Control Board) पर तथ्यों को छुपाने का आरोप लगाया।

समिति का कहना है कि नगर पालिका ने पहले यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने पर रोक लगाने का प्रस्ताव पास किया था, लेकिन प्रशासन ने इसे नजरअंदाज कर दिया। विरोध के बावजूद नगर पालिका के सीएमओ ने दबाव में अनुमति दी, जिससे जनता में नाराजगी है।

समिति की मांगें

  1. दूसरे ट्रायल को तुरंत रोका जाए और वैज्ञानिक अध्ययन के बिना कोई नया परीक्षण न हो।
  2. पहले ट्रायल की विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
  3. मामले की निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर हो।
  4. भोपाल गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव का विश्लेषण किया जाए।

प्रशासन का पक्ष और काउंटर पॉइंट्स

  • ऑनलाइन निगरानी डेटा रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया।
  • तापमान मानकों को लेकर गलत जानकारी दी गई।
  • पहले के ट्रायल से तुलना करने पर बड़े पैमाने पर डेटा छुपाया गया।
  • डीजल के अधिकतम उपयोग से प्रदूषण बढ़ा।

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