मोहन सरकार का वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट बुधवार को विधानसभा में पेश होने जा रहा है। यह चार लाख करोड़ रु. से अधिक का होगा। पीएम नरेंद्र मोदी की 4 थीम- गरीब, किसान, महिला और युवा’ के साथ इंडस्ट्रीलाइजेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर-शहरीकरण की झलक भी इसमें दिखाई
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भोपाल और इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन के प्रथम फेज का ऐलान होगा। भोपाल का फैलाव रायसेन, विदिशा, सीहोर, राजगढ़ के साथ नर्मदापुरम् तक होगा। इंदौर रीजन भी देवास, उज्जैन, धार तक होगा। पहले फेज के बजट का प्रावधान हो सकता है। मेट्रोपॉलिटन के दूसरे फेज में जबलपुर और ग्वालियर को शामिल किया जाएगा।
4 लाख करोड़ रु. से ज्यादा का होगा बजट
- निवेशकों के लिए लैंड बैंक… निवेशकों के लिए भूमि अधिग्रहण करके लैंड बैंक बनाया जाएगा। जमीन अधिग्रहण के लिए बड़ी राशि का प्रावधान हो सकता है। साथ ही ग्राउंड के साथ एक मंजिल (जी प्लस वन) के प्रावधान को बदलकर मल्टी स्टोरी किया जाएगा।
- शहरों में हाईराइज … शहरों में विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ अन्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए हाईराइज बिल्डिंग का प्रावधान बढ़ाया जा रहा है। यानी भोपाल जैसे शहर में होशंगाबाद रोड पर अब हाईराइज बिल्डिंग दिखाई देंगी। बजट में हाईराइज का जिक्र होगा। हर जिले में विकास समिति बनेगी।
- हर जिले में हेलीपेड… बजट में हेलीपेड बनाए जाने की भी बात हो सकती है। हर जिले में हेलीपेड के साथ भोपाल-इंदौर में 3-4 हेलीपेड बनाए जाए सकते हैं। यहां लेट-बाथ के साथ एक लाउंज भी बनेगा। उप मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का यह पांचवां बजट होगा। इसमें 1 लाख के करीब सरकारी नौकरी की बात भी कर सकते हैं।
निगम के पास बजट की कमी, इसलिए पीडब्ल्यूडी को सौंपा जा सकता है जिम्मा
राजधानी की सभी प्रमुख सड़कों का मेंटेनेंस अब नगर निगम के बजाय पीडब्ल्यूडी करेगा। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) के बाद, यूडीएच और पीडब्ल्यूडी के सीनियर अधिकारियों की बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
पीडब्ल्यूडी के ईएनसी केपीएस राणा ने बताया कि अब तक नगर निगम की 4 सड़कें- वीआईपी रोड, लिंक रोड नंबर 1, मोती मस्जिद से जीएडी और आकाशवाणी तिराहा से रीजनल कॉलेज तक को पीडब्ल्यूडी को सौंपा गया है। अन्य सड़कों पर अभी निर्णय नहीं हुआ है। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश सरकार पीडब्ल्यूडी को राजधानी की सड़कों के रखरखाव के लिए अतिरिक्त बजट दे सकती है।
जीआईएस के दौरान निगम के बजाय पीडब्ल्यूडी ने इन सड़कों पर डामरीकरण किया था। पीडब्ल्यूडी व निगम की सड़कों की क्वालिटी में अंतर है। इसकी बड़ी वजह- नगर निगम के पास बजट की कमी है।
मप्र में प्रति व्यक्ति आय 9% बढ़ी; उप्र से ज्यादा, पर अन्य पड़ोसी राज्यों से कम
विधानसभा में मंगलवार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया। इसमें सरकार ने बताया कि राज्य की विकास दर 11.5% दर्ज की गई, जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। वहीं, प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 2024-25 में 15.03 लाख करोड़ रु. तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले साल 13.53 लाख करोड़ रुपए थी। हालांकि, प्रति व्यक्ति आय अब भी राष्ट्रीय औसत से पीछे है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024 के अनुसार, मप्र की प्रति व्यक्ति आय 1,39,713 से 9.3% बढ़कर 1,52,615 रु. हो गई है, जबकि राष्ट्रीय औसत 1,85,000 रु. है।
महिलाओं के लिए रोजगार घटा
रोजगार की बात करें तो प्राइवेट सेक्टर में महिलाओं की 40% नौकरियां घट गई हैं। सरकार निवेश को आकर्षित करने में कुछ हद तक कामयाब हुई है। पांच साल में 46 हजार करोड़ का निवेश आया है इससे 1 लाख 65 हजार लोगों को रोजगार मिला है।
कृषि: मांस-अंडे की खपत बढ़ी, गेहूं-दाल की पैदावार घटी
- मांस-अंडे की खपत 9% से ज्यादा बढ़ी है। 2023-24 में अंडा उत्पादन 3491.85 लाख रहा। मांस उत्पादन 152.25 हजार टन हुआ।
- समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी पिछले साल के 70.96 लाख मीट्रिक टन से घटकर 48.38 लाख मीट्रिक टन रह गई। दाल खरीदी 10.29 लाख टन से 6.6 लाख टन रह गई।
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