सीहोर जिले की बांसापुर नर्सरी में पलाश का एक दुर्लभ पेड़ मिला है, जिसमें परंपरागत लाल के बजाय पीले रंग के फूल खिलते हैं। यह नर्सरी प्रदेश की एकमात्र ISO प्रमाणित नर्सरी है।
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बता दें कि, पलाश को ढाक, खाकर, टेसू और किंशुक के नाम से भी जाना जाता है। यह पेड़ होली के त्योहार में विशेष महत्व रखता है। इसके फूलों से बनने वाला प्राकृतिक रंग त्वचा के लिए लाभदायक होता है। यह मौसम परिवर्तन से होने वाली त्वचा संबंधी समस्याओं में राहत प्रदान करता है।
संरक्षण के प्रयास जारी
नर्सरी प्रभारी डॉ. आशीष खापरे ने बताया कि इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। वन विभाग ग्राफ्टिंग और बीज के माध्यम से नए पौधे तैयार कर रहा है। जिले में यह एकमात्र पीले फूलों वाला पलाश का पेड़ है। इसकी पत्तियों और टहनियों की सुरक्षा के लिए तोड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है। पहले चरण में 100 नए पौधे तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
आमतौर पर पलाश के पेड़ों में लाल रंग के फूल खिलते हैं। इनकी खूबसूरती ऐसी होती है कि जंगल में आग की लपटें लगी हुई प्रतीत होती हैं। लेकिन बुधनी में मिला यह पीले फूलों वाला पेड़ अपनी विशिष्टता के लिए जाना जाएगा।
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