इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में जल्द ही आईवीएफ सेंटर खुलने वाला है। इसके लिए कॉलेज प्रबंधन ने 10 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भोपाल भेज दिया है। इस सेंटर के शुरू होने से निःसंतान दंपतियों को रियायती दरों पर इलाज मिल सकेगा।
By Vinay Yadav
Publish Date: Sat, 15 Mar 2025 09:07:23 AM (IST)
Updated Date: Sat, 15 Mar 2025 09:13:49 AM (IST)
HighLights
- एमजीएम कॉलेज में आईवीएफ सेंटर के लिए 10 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया।
- निजी अस्पतालों में आईवीएफ का खर्च 1.5 से तीन लाख रुपये तक आता है।
- एमपी में पहला सरकारी अस्पताल होने का दावा, जहां मिलेगी यह सुविधा।
विनय यादव, नईदुनिया, इंदौर। एमजीएम मेडिकल कॉलेज में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) सेंटर खोलने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए कॉलेज प्रबंधन ने 10 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भोपाल भेज दिया है। इसके शुरू होने से यहां निःसंतान दंपतियों को रियायती दरों पर इलाज मिल सकेगा।
इसके लिए लंबे समय से योजना बनाई जा रही थी। निजी अस्पतालों में आईवीएफ का खर्च 1.5 से तीन लाख रुपये तक आता है। इस सेंटर के शुरू होते ही उन सभी निःसंतान दंपतियों को फायदा होगा जो धनराशि के अभाव में निजी आईवीएफ सेंटर में उपचार नहीं करवा पाते हैं।
सेंटर कॉलेज के अंतर्गत आने वाले एमटीएच अस्पताल में शुरू किया जाएगा। भोपाल से अनुमति मिलने के बाद इसका काम शुरू कर दिया जाएगा। दावा किया जा रहा है कि यह प्रदेश का पहला शासकीय अस्पताल होगा, जहां यह सुविधा मिलेगी।
संभागभर के निःसंतान दंपतियों को मिलेगा लाभ
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों में संभागभर से मरीज इलाज के लिए आते हैं। ऐसे में इस सेंटर के खुलने से इंदौर के साथ ही संभाग के अलीराजपुर, झाबुआ, बड़वानी, धार आदि जिलों के मरीजों को इसका लाभ मिलने लगेगा।
यह होता है आईवीएफ
विशेषज्ञों के मुताबिक आईवीएफ में पुरुष और महिला दोनों की जांच के बाद प्रक्रिया शुरू होती है। पुरुष के सक्रिय शुक्राणु अलग किए जाते हैं, जबकि महिला के अंडे इंजेक्शन से निकालकर लैब में फ्रीज किए जाते हैं।
अंडों पर सक्रिय शुक्राणु रखकर प्राकृतिक रूप से फर्टिलाइजेशन किया जाता है। तीसरे दिन भ्रूण तैयार होने पर उसे महिला के गर्भाशय में कैथिटर के जरिये स्थानांतरित किया जाता है। आईवीएफ गर्भधारण की एक कृत्रिम प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के माध्यम से पैदा हुए बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है।
अभी बिना इलाज के लौट जाते हैं मरीज
इंदौर शहर में अभी निजी क्षेत्र में करीब 30 आईवीएफ सेंटर संचालित हो रहे हैं, जहां बड़ी संख्या में जरूरतमंद लोग पहुंचते हैं। यह प्रक्रिया महंगी होने के कारण कई लोगों को निराश लौटना पड़ता है। सरकारी स्तर पर सेंटर के खुलने पर गरीब और जरूरतमंद नि:संतान दंपती को सीधा फायदा होगा।
तीन से चार महीने में शुरू हो जाएगा
हमने मेडिकल कॉलेज के एमटीएच अस्पताल में आईवीएफ सेंटर खोलने के लिए प्रस्ताव बनाकर भोपाल भेजा है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसका काम शुरू कर दिया जाएगा। इससे जो मरीज निजी क्षेत्र में महंगा इलाज नहीं ले पाते हैं, उन्हें सुविधा मिलेगी। उम्मीद है कि तीन से चार माह में यह शुरू हो जाएगा। – डॉ. अरविंद घनघोरिया, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज
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