शहर की पहली और सबसे व्यस्त सड़कों में शामिल हमीदिया रोड हांफ रही है। इस सीमेंट कांक्रीट का तो बना दिया गया है लेकिन दिनभर रह रहकर होने वाला ट्रैफिक जाम अब भी बदस्तूर जारी है। शहर के पहले मास्टर प्लान (1975) के मुताबिक साल 1971 में हमीदिया रोड से हर घं
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यही हाल नए और पुराने शहर की कई सड़कों का है। तुलसी नगर, शिवाजी नगर और अरेरा कॉलोनी क्षेत्र की सड़कों की चौड़ाई भी कभी नहीं बढ़ी। साल 1971 में शहर में 17 हजार 253 गाड़ियां थीं, उस समय शहर में वाहनों की संख्या भी साल दर साल 90 फीसदी तक बढ़ रही थी, इस आधार पर अनुमान लगाया गया था कि 1991 तक 5 लाख वाहन होंगे। इस आधार पर सड़कों की चौड़ाई तय हुई थी। इतने वर्षों में सड़कों की चौड़ाई नहीं बढ़ने का नतीजा है कि शहर की सड़कों पर अब जाम लगने लगा है।
ज्योति टॉकीज रोड का यही हाल चेतक ब्रिज चौड़ा हो गया, लेकिन ज्योति टॉकीज की सड़क जस की तस है। 1975 में भेल एरिया की शहर से कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए चेतक ब्रिज बनाया गया था। 2016-17 में इस ब्रिज का चौड़ीकरण कर दिया गया। इसके बाद नतीजा यह हुआ कि ब्रिज पर लगने वाला जाम खिसक कर ज्योति टॉकीज चौराहे पर आ गया।
अरेरा कॉलोनी की सड़कों पर दोगुने वाहन
अरेरा कॉलोनी के डेवलपमेंट के समय यहां की सड़कें कॉलोनी की भीतरी सड़कों की तर्ज पर बनीं थीं। अब यहां क्षमता से दोगुने वाहन गुजरते हैं। अब इन सड़कों को चौड़ा करने की जरूरत है। यही स्थिति तुलसी नगर और शिवाजी नगर की सड़कों की हो गई है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बुलेवर्ड स्ट्रीट और स्मार्ट रोड के रूप में जो दो सड़कें बनाईं गईं दोनों वास्तव में यहां मौजूद पुरानी सड़कों का चौड़ीकरण ही था, लेकिन इन दोनों पर उस हिसाब से ट्रैफिक नहीं है। बुलेवर्ड स्ट्रीट की तो कनेक्टिविटी ही ठीक नहीं है, नतीजा दोनों सड़कें फिलहाल सुविधा कम, तफरीह का स्थान ज्यादा बन गईं हैं।
ग्रेड सेपरेटर, फ्लाईओवर प्रस्तावित बढ़ते ट्रैफिक दबाव को देखते हुए सड़कें चौड़ी करने और एलिवेटेड कॉरिडोर पर काम हो रहा है। आंबेडकर फ्लाईओवर हाल में बना है। बैरागढ़ में काम चल रहा है। नए व पुराने शहर के लगभग सभी प्रमुख चौराहों और सड़कों पर ग्रेड सेपरेटर या फ्लाईओवर प्रस्तावित हैं। – संजय मस्के, चीफ इंजीनियर पीडब्ल्यूडी
एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने की जरूरत
भोपाल रियासत काल की पहली माॅर्डन सड़क हमीदिया रोड आजादी के बाद से कभी चौड़ी नहीं हुई। आज भी यह फोरलेन ही है। भोपाल स्टेशन और नादरा बस स्टैंड के साथ यह सड़क प्रमुख कमर्शियल जोन भी है। इस वजह से यहां जाम रहता है। बनारस और इंदौर जैसे शहरों ने निजी प्राॅपर्टी का अधिग्रहण कर सड़कें बनाईं गईं हैं, लेकिन यह भोपाल में थोड़ा मुश्किल है। बेहतर है यहां एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाए।
-वीके अमर, रिटायर्ड चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी
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