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विश्व जल दिवस: उद्गम पर सूखी बेतवा… धान की खेती, साल में 4 फसल लेने और बोरवेल बढ़ने से संकट में नदी – Bhopal News

विश्व जल दिवस पर देश के पहले नदी जोड़ो प्रोजेक्ट की मुख्य नदी बेतवा के उद्गम से ग्राउंड रिपोर्ट

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भोपाल से करीब 25 किमी दूर कोलार डेम से पहले छोटा सा गांव है झिरी। यहां से निकलती है करीब 590 किमी दूरी तक बहने वाली नदी बेतवा। देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना की मुख्य नदी बेतवा इन दिनों चर्चा में है। वजह है इसके उद्गम पर जलधारा का सूख जाना।

यमुना में मिलने वाली इस नदी के मूल स्रोत से पिछले करीब पांच महीने से जलधारा बंद है। ग्रामीणों का कहना है कि जलधारा पिछले साल अप्रैल-मई में ही बंद हो गई थी। मानसून में फिर से धार पुनर्जीवित हो गई थी। अब यह फिर सूख चुकी है।

फिलहाल उद्गम स्थल के पास जो पानी बहता दिखाई दे रहा है वह कोलार फिल्टर प्लांट का वेस्ट वाटर है। झिरी से 1.5 किमी दूर भोपाल नगर निगम का कोलार वाटर फिल्ट्रेशन प्लांट है। इस प्लांट का वेस्ट वाटर और सीपेज का पानी बेतवा के उद्गम स्थल पर आ रहा है। झिरी के लोगों के मुताबिक जब से बेतवा की धार टूटी है तभी से कोलार प्लांट से सीपेज बढ़ गया है।

क्रॉप पैटर्न बदलने और पूरे इलाके में भूजल दोहन बढ़ने का असर

भास्कर एक्सपर्ट – डॉ. सीताराम टैगोर, रिवर हाइड्रोलॉजी विशेषज्ञ

5 प्रमुख कारण जिनके कारण ये हाल

1 पहले यहां सिर्फ गेहूं-चना होता था। अब धान और मूंग की फसल भी लेना शुरू किया है।

2 नल जल योजना के लिए हर गांव में बोरवेल खुदे। इससे भू-जल दोहन बढ़ा। लाइन आने से ग्रामीणों ने पानी की खपत बढ़ाई। जल स्तर गिरा।

3 नदी के कैचमेंट एरिया में अवैध वन कटाई, बढ़ते तापमान, पक्के निर्माण का असर पड़ा।

4 उद्गम स्थल के पास डेढ़ साल पहले बोरवेल खनन हुआ था। संभवत: एक्विफर लेयर में दरार आने से पानी नीचे के लेवल में जाने लगा। 5 उद्गम स्थल के पास बावड़ी और एक कुएं से छेड़छाड़ कर चारों ओर पक्का निर्माण हुआ।

आसपास के कुओं का पानी भी उतरा झिरी-बहेड़ा ग्राम पंचायत के सरपंच कमल सिंह गुर्जर ने बताया कि पिछले तीन सालों से यहां के किसानों ने धान की खेती शुरू की है। पहले यहां के किसान सिर्फ गेहूं और चने की खेती करते थे, लेकिन अब यहां के किसान धान-मूंग की फसलें भी ले रहे हैं। झिरी-बहेड़ा पंचायत में झिरी के अलावा बहेड़ा टोला, तूमड़ा खेड़ा, तूमड़ा टोला और मेहर मागा टोला गांव भी हैं। नल जल योजना में आसपास के गांवों में बड़ी संख्या में बोरवेल हुए हैं। कुओं का जलस्तर भी नीचे उतर गया है।

बेतवा के आसपास के पूरे इलाके का सर्वेक्षण कराएगी सरकार…

^बेतवा का उद्गम सूखना चिंता का विषय है। इसके वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए हम पूरे इलाके का सर्वेक्षण कराने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री भी इसे लेकर चिंतित हैं। 30 मार्च से राज्य सरकार जल गंगा संवर्धन अभियान शुरू करेगी। इसमें बेतवा समेत प्रदेश की सभी नदियों के उद्गम स्थलों को अतिक्रमण मुक्त, प्रदूषण मुक्त और संरक्षित एरिया बनाकर प्लांटेशन करने की कार्ययोजना बनाई गई है। – तुलसी सिलावट, जल संसाधन मंत्री, मप्र

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