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AIIMS Bhopal: भोपाल एम्स में अगले तीन से चार महीने में हार्ट ट्रांसप्लांट होगा संभव

एम्स भोपाल के चार डॉक्टरों और तीन डॉक्टरों हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी का प्रशिक्षण लेने के लिए चेन्नई जाएगी। इस दौरान ये 15 दिनों तक हार्ट ट्रांसप्लांट के आधुनिक तरीके सीखेंगे। टीम के वापस लौटने के बाद एम्स में हार्ट ट्रांसप्लांट होने लगेंगे।

By Prashant Pandey

Publish Date: Sat, 09 Nov 2024 07:45:56 AM (IST)

Updated Date: Sat, 09 Nov 2024 07:50:27 AM (IST)

मुकेश विश्वकर्मा, नईदुनिया, भोपाल(AIIMS Bhopal)। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में हृदय प्रत्यारोपण सुविधा शुरू करने की तैयारी जोरों पर है। तीन से चार महीने के भीतर यहां हृदय प्रत्यारोपण हो सकेगा। चार डॉक्टरों और तीन नर्सों की टीम अगले सप्ताह प्रशिक्षण लेने चेन्नई रवाना होगी।

वहां एमजीएम हेल्थ केयर अस्पताल में 15 दिनों तक हृदय प्रत्यारोपण के लिए आधुनिक तरीके सीखेगी। बता दें, प्रदेश में इंदौर के एक निजी अस्पताल में एक बार हृदय प्रत्यारोपण हो चुका है। एम्स में हृदय प्रत्यारोपण के लिए मरीज को मात्र तीन लाख रुपये खर्च करना पड़ेंगे। निजी अस्पतालों में हृदय प्रत्यारोपण के लिए 35 से 40 लाख रुपये लगते हैं।

प्रशिक्षण में टीम हृदय प्रत्यारोपण की सर्जरी, उसके पहले की सावधानियों के बारे में सीखेगी। सर्जरी के बाद मरीज की देखभाल करना और आइसीयू व आपरेशन थिएटर में ध्यान रखने योग्य बातों का प्रशिक्षण भी लेगी।

हृदय प्रत्यारोपण के लिए यूनिट तैयार

एम्स भोपाल में हृदय प्रत्यारोपण के लिए आधुनिक मशीनें मंगवाई गई हैं। इनमें एक्मो मशीन, हार्ट-लंग्स मशीन, आईएडीपी मशीन, एडवांस कैथलैब आदि सुविधाएं हैं। आइसीयू भी बनकर तैयार हो गया है।

मशीनों की विशेषता

एक्मो मशीन : जिन मरीजों का हृदय कमजोर होता है, उन्हें प्रत्यारोपण के पहले इस मशीन की सहायता से जीवित रखा जाता है।

हार्ट-लंग्स मशीन : इस पर मरीज का हृदय प्रत्यारोपण किया जाता है।

आईएडीपी मशीन : जिस व्यक्ति का हृदय प्रत्यारोपण करने के दौरान हृदय कमजोर होता है, उसे इस मशीन में रखा जाता है।

एडवांस कैथलैब : यहां आपरेशन के बाद मरीजों को रखा जाएगा। इसमें बायोप्सी की जाती है। हृदय ठीक से काम कर रहा है या नहीं, इसकी जांच की जाती है। हृदय के रिजेक्शन का पता लगाया जाता है।

प्रशिक्षण के बाद मरीजों की बनेगी रजिस्ट्री

जब डाक्टर प्रशिक्षण लेकर लौटेंगे, इसके बाद मरीजों में हृदय प्रत्यारोपण के लिए रजिस्ट्री बनाने का काम शुरू हो जाएगा। मरीजों की जांच शुरू हो जाएगी।

यह चुनौती सामने आएगी

प्रदेश में हृदय प्रत्यारोपण के लिए सबसे बड़ी चुनौती अंगदान के प्रति लोगों का कम जागरूक होना है। मध्य प्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में कम लोग ही इसके लिए जागरूक हैं। देश में चेन्नई में सबसे ज्यादा हृदय प्रत्यारोपित किए गए हैं।

हालांकि एम्स प्रबंधन लोगों को अंगदान करने के लिए लगातार जागरूक कर रहा है। जगह-जगह पर शिविर लगाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों द्वारा लोगों को अंगदान करने का महत्व बताया जा रहा है।

देश में यहां होते हैं हृदय प्रत्यारोपण

– चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, एम्स दिल्ली, गुरुग्राम।

टीम के प्रशिक्षण के बाद लौटते ही शुरू होगा

15 दिन के प्रशिक्षण के बाद जैसे ही टीम वापस लौटेगी, एम्स भोपाल में हृदय प्रत्यारोपण शुरू हो जाएगा।- प्रो. डॉ. अजय सिंह, कार्यपालक निदेशक, एम्स भोपाल

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