इस बीमारी के बारे में हाल ही में उठे कुछ विवाद वैज्ञानिकों को फिर से सोचने पर मजबूर कर रहे हैं। अभी तक जो थ्योरी चली आ रही थी उससे अलग हटकर सोचने की जरूरत महसूस हो रही है। बीटा-एमिलॉइड प्रोटीन को अल्जाइमर का कारण बताने से जुड़ी 2006 में आई एक स्टडी की जांच चल रही है। इससे Aducanumab के होने वाले असर पर भी संदेह पैदा होता है। यह एफडीए द्वारा प्रमाणित ऐसा ड्रग है जो beta-amyloid को टारगेट करता है। जो कि अल्जाइमर का कारण माना जाता है। अल्जाइमर का पक्का इलाज अभी तक नहीं मिला है, जबकि बीमारी लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले रही है।
शोधकर्ता अब वैकल्पिक थ्योरी की ओर रुख कर रहे हैं। कुछ का कहना है कि यह बीमारी माइटोकॉन्ड्रिया की बिगड़ी कार्यप्रणाली के कारण होती है। माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस कहा जाता है। वहीं, कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि यह बैक्टीरिया या मेटल संबंधित कारण से पैदा होती है। बीमारी पर नई दिशा में किए जा रहे शोध एक नई उम्मीद भी जगा रहे हैं। ग्लोबल डाइमेंशिया अब इनोवेटिव सॉल्यूशन की मांग कर रहा है। रिपोर्ट कहती है कि हर 3 सेकेंड में एक नया केस सामने आ रहा है। इसलिए कारगर इलाज और सपोर्ट सिस्टम की जरूरत अब और ज्यादा बढ़ गई है।
क्या होता है अल्जाइमर
अल्जाइमर की बीमारी दिमाग से जुड़ी है जिसमें व्यक्ति की याद्दाश्त कम होने लगती है, साथ ही दिमाग की मदद से अन्य जरूरी काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है। कहा जाता है कि इसमें दिमाग की कोशिकाएं एक दूसरे से उलझ जाती हैं, और कमजोर हो जाती हैं। व्यक्ति चीजों को भूलने लगता है। मरीज को भ्रम पैदा होने लगता है। अभी तक इसका स्थायी इलाज नहीं ढूंढा जा सका है लेकिन दवाईयों के बल पर लक्षणों में सुधार लाया जा सकता है। यह सुधार अस्थायी होता है।
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2024-03-03 17:03:57
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