शहडोल में जिस तेंदुए ने 20 अक्टूबर को ASI की गर्दन दबोची और महिला का सिर नोंचा। किसी के घर में घर में घुसकर हमला किया, तो किसी को खेत में शौच के लिए जाते वक्त दबोच लिया। यह तेंदुए ने एक ही दिन में छह जगह अटैक किए थे। इससे एक दिन पहले भी तेंदुए ने युव
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बड़ी बात ये भी है कि घटना के 5 दिन बाद भी तेंदुए की लोकेशन वन विभाग को नहीं मिली है। ऐसे में रेस्क्यू भी मुश्किल हो रहा है। इधर, गांव वाले दहशत में हैं। शाम होते ही घरों में घुस जाते हैं। कुछ जगह तो लोग इकट्ठा होकर लाठी-डंडा लेकर रतजगा कर रहे हैं।
दैनिक भास्कर की टीम जब घटनास्थल पर पहुंची, तो ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ। इसके बाद बारी-बारी से सातों घटनाओं में घायल लोगों से बात की।
पहला अटैक-
मैंने चिल्लाया, उसने हमला कर दिया गोहपहारू रेंज के गुर्रा गांव के पुरनिहा टोला में रहने वाली जानकी बैगा (48) 19 अक्टूबर की शाम 4 बजे खेत पर थीं। वह फसल और मवेशी की रखवाली कर रही थीं। जानकी बैगा ने बताया, ‘मैं खेत में चारों तरफ घूम रही थी, तभी मेरे बगल से तेजी से तेंदुआ निकल गया। मैं उसे देख नहीं पाई। डर के मारे एकाएक मेरी चीख निकल गई। यह सुनकर तेंदुआ पलटा। उसने गुर्राते हुए अचानक मुझ पर हमला कर दिया। सिर और हाथ पर पंजा मार दिया। चीख सुनकर लोग वहां पहुंचे, तब तक तेंदुआ भाग गया।’
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जानकी बैगा खेत की रखवाली कर रही थी। इसी दौरान तेंदुए ने हमला कर दिया।
दूसरा हमला-
समझ नहीं आया, कौन सा जानवर पुरनिहा टोला से करीब 10 किलोमीटर का सफर तय करके 20 अक्टूबर को तड़के 4 बजे तेंदुआ जैतपुर रेंज के महरौड़ी गांव पहुंच गया। गांव के रहने वाले धरम सिंह (54) ने बताया, ‘नित्य क्रिया के लिए जंगल की ओर गया था। इसी दौरान झाड़ियों के बीच छिपा जानवर दिखा। मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले जानवर ने हमला कर दिया। पहले तो समझ नहीं पा रहा था कि कौन सा जानवर है। मुझे लगा शायद बाघ है। बाद में वन विभाग वालों ने बताया कि वह बाघ नहीं, तेंदुआ था। धरम सिंह के भी सिर और हाथ में चोट लगी है। तीन दिन अस्पताल में रहने के बाद उन्हें भी छुट्टी दे दी गई है।
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तेंदुए के हमले में धरम सिंह के सिर और हाथ में चोट लगी है।
तीसरा अटैक-
मवेशी इधर-उधर भागने लग गए थे कुछ ही घंटे में करीब 10 किलोमीटर का सफर तय करके तेंदुआ वापस गुर्रा भागा गांव की तरफ आया। गोहपारू रेंज के भागा गांव में रहने वाले जीवनलाल सिंह (54) पिता मोतीलाल सिंह ने बताया, ‘मैं 20 अक्टूबर की सुबह करीब 8 बजे मवेशी चराने जंगल में गया था। अचानक मवेशी चिल्लाते हुए इधर-उधर भागने लगे। इसी दौरान मेरी नजर बड़े से जानवर पर पड़ी। पहले सोचा कि बाघ है। मैं भागता, उससे पहले उसने हमला कर दिया। आवाज सुनकर लोग पहुंचे, तब तक जानवर भाग गया। वन विभाग को सूचना दी। पता चला कि वह जानवर तेंदुआ था।

जीवन लाल जंगल में मवेशी चराने गया था। इसी दौरान तेंदुए ने हमला कर दिया।
चौथा अटैक-
तेंदुए से पहली बार हुआ था आमना-सामना करीब 2 किलोमीटर का सफर तय कर तेंदुआ भागा। गांव के ही दूसरे छोर पर आ गया। यहां राकेश सिंह (24) पिता ददुआ सिंह से तेंदुए का आमना-सामना हुआ। राकेश सिंह ने बताया, ‘सुबह करीब 10 बजे थे। मैं नित्य क्रिया के लिए जंगल की तरफ गया था। नाले की तरफ लौटते समय तेंदुआ झाड़ियों के बीच से निकलकर सामने आ गया। उसने मेरे सिर में पंजा मारकर गिराने की कोशिश की। मैंने भी रोकने का प्रयास किया। उसने दोबारा सिर और हाथ में एक साथ हमला किया। मैं जमीन पर गिर गया। मैंने तेंदुआ को झटकार दिया। इसके बाद उसने नाले में छलांग लगा दी। आवाज सुनकर लोग भी आ गए। मुझे अस्पताल ले जाया गया।’
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राकेश सिंह ने बताया कि पहली बार तेंदुए से आमना-सामना हुआ था।
पांचवां अटैक –
नाले में गिरा, तब बची जान भागा गांव में हमले के बाद तेंदुआ 4 किलोमीटर दूर गुढ़ा गांव आ गया। यहां दोपहर 12 बजे समनू बैगा (45) पर हमला किया। समनू बताते हैं, ‘रोजाना की तरह मवेशियों को लेकर जंगल की ओर ले गया था। दोपहर में मवेशियों को नाले किनारे पानी पिलाने ले गया था। इसी दौरान तेंदुए ने पीछे से हमला कर दिया। मैं गिर गया, तो उसने फिर से हमले की कोशिश की, लेकिन मैं बाजू हट गया। उसने झपट्टा मारा। इसी दौरान मैं नाले में गिर गया। तेंदुआ मुझे छोड़कर जंगल की तरफ ही भागने लगा। कुछ देर बाद किसी तरह मैं नाले से बाहर आया।’
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समनू बैगा ने नाले में कूदकर तेंदुए के हमले से अपनी जान बचाई।
4 घंटे बाद पहुंचा पिकनिक स्पॉट छोबा घाट जिस नाले के किनारे तेंदुआ भागा, वह सोन नदी में मिलता है। तेंदुआ भी यहां आ पहुंचा। वह गोहपारू रेंज की सीमा को पार करते हुए शहडोल रेंज के खितौली गांव के जंगल पहुंच गया। यहां सोन नदी पार कर छोबा घाट आ गया। छुट्टी होने के चलते टूरिस्ट यहां आए हुए थे। तेंदुआ झाड़ियों के बीच छिप गया।
शाम करीब 4 बजे मौके पर करीब 50 से ज्यादा लोग मौजूद थे। पिकनिक मना रहे लोगों की नजर तेंदुए पर पड़ी। इतने लोगों को देख तेंदुआ भी विचलित हो गया। कुछ लोगों ने उस पर पत्थर और डंडा फेंकने की कोशिश की। उसने लोगों पर हमला कर दिया। हमले में एएसआई नितिन समदरिया, नंदिनी और आकाश कुशवाह घायल हो गए। इसमें नंदिनी गंभीर हालत में प्राइवेट अस्पताल के आईसीयू में भर्ती है। एएसआई भी प्राइवेट अस्पताल में है। आकाश कुशवाह को छुट्टी दे दी गई है।
छठवां अटैक –
साथी भाग गए, मैं नहीं भाग सका ASI नितिन समदरिया ने दैनिक भास्कर को बताया- ‘हम लोग पिकनिक मनाने गए थे। करवा चौथ का दिन था। अचानक तेंदुआ आ गया। वहां भगदड़ मच गई। कुछ भी समझ नहीं आया। मैं भी घबरा गया। मेरे साथ के लोग भाग गए, लेकिन मैं दौड़ नहीं पाया। इतने में पीछे से तेंदुए ने हमला कर दिया। उसने मेरी गर्दन दबोच ली। मुझे लगा कि आज तो तेंदुए का शिकार हो जाएंगे। इतने में बाकी लोग दौड़कर आए, तो तेंदुआ भाग गया।’
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एएसआई नितिन समदरिया शहडोल के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हैं।
सातवां अटैक –
घर में घुसकर महिला पर झपटा इसके बाद तेंदुआ और आक्रामक हो गया। रात करीब 9 बजे अकला गुढ़ा गांव के तीन घरों में घुसकर हमले की कोशिश की। तेंदुआ बुटुंगा सिंह (58) के घर में घुस गया। बुटुंगा सिंह ने बताया, ‘मैं घर के बरामदे में सो रहा था। पत्नी लीलावती (55) भी वहीं पर थी। वह नित्य क्रिया के लिए घर की बाड़ी में गई थी। जब लौटकर आंगन में आई, तो देखा कि मवेशी हलचल कर रहे थे। उसने मुझे जगाया।
देखा कि गोशाला से आवाज आ रही थी। टॉर्च लेकर देखा। गोशाला में बैल के सामने तेंदुआ गुर्रा रहा था। मैंने मोहल्ले के लोगों को बुला लिया। शोर होने पर तेंदुआ अचानक बाहर आया। छलांग लगाते हुए दीवार फांदते हुए वह आंगन में कूद गया। पत्नी लीलावती भी वहीं थी। वहां अफरा-तफरी मच गई। पत्नी लीलावती फंस गई। उसने पत्नी के दोनों पैर और हाथ पर झपट्टा मारा। इसके बाद तेंदुआ गांव की तरफ भाग गया।’ इससे पहले, तेंदुआ सूखेलाल समेत अन्य ग्रामीण के घर में भी घुसा था, लेकिन हमला नहीं कर पाया।

घर में घुसकर तेंदुए ने लीलावती पर हमला किया था।
अब वनकर्मियों के साथ गांव वाले कर रहे रतजगा हमले के बाद वन विभाग के पास तेंदुए की लोकेशन, पदचिन्ह् या मूवमेंट की जानकारी नहीं है। अफसर मानकर चल रहे हैं कि तेंदुआ घने जंगल में चला गया है। बावजूद वन विभाग के अधिकारी और गांव वाले रतजगा कर रहे हैं। गोहपारू रेंजर हेमेंत प्रजापति ने बताया कि घटना के समय मूवमेंट से प्रभावित गांव भागा, गुढ़ा, अकला, धुरियाडोल, कनवाही, खैरी, गुर्रा, दीयागढ़, देवगढ़, लफदा समेत अन्य आसपास के क्षेत्र में रातभर गश्त कर रहे हैं। सुबह होते ही मुनादी कराई जा रही है। इधर, गांव वाले भी अकेले जंगल नहीं जा रहे। वे डंडा और लाठी लेकर गांव में गश्त कर रहे हैं।
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गांव में वनकर्मियों के साथ ग्रामीण भी रात में लाठी-डंडा लेकर सुरक्षा कर रहे हैं।
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तेंदुए का होगा स्वास्थ्य परीक्षण तेंदुए के रेस्क्यू की अनुमति भोपाल से पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने दे दी है। साथ ही, विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि तेंदुए को रेस्क्यू के बाद स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाए। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ बीएन अंबाड का मानना है कि जिस प्रकार से तेंदुआ आक्रामक होकर हमला कर रहा है, उसे देखते हुए स्वास्थ्य परीक्षण जरूरी है। यदि उसे बीमारी होगी, तो इलाज के बाद ही जंगल में सुरक्षित छोड़ा जाएगा।
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तेंदुए ने दबोची एएसआई की गर्दन, युवती की खोपड़ी नोंची
शहडोल में तेंदुए ने एएसआई की गर्दन दबोच ली। एक युवती की खोपड़ी का एक हिस्सा नोंच लिया। मामला रविवार शाम खितौली गांव का है। घटना के समय 50 से ज्यादा लोग मौजूद थे जो पिकनिक मनाने पहुंचे थे। इनमें से कई जख्मी हैं। कुछ को तेंदुए के पंजे से चोट आई है तो कुछ भागने में घायल हुए हैं। तीन की हालत गंभीर है। पढ़ें पूरी खबर
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