भारतीय क्रिकेट फैंस की मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम से सबसे बेहतरीन यादें जुड़ी हैं। इसी मैदान पर भारतीय टीम ने 2 अप्रैल 2011 को वर्ल्ड कप उठाते हुए 28 साल का सूखा खत्म किया था। लेकिन किसने सोचा था वर्ल्ड कप का खिताब जीतने के 13 साल 7 महीने बाद टीम इंडिया को इसी मैदान पर अपना सबसे बुरा वक्त देखना पड़ेगा। बेंगलुरु से शुरू हुआ शिकस्त का सिलसिला पुणे होते हुए जब मुंबई में जाकर खत्म हुआ तो एक पल के लिए किसी को भी यकीन ही नहीं हुआ। न्यूजीलैंड ने टीम इंडिया का टेस्ट सीरीज में जिस अंदाज में 3-0 से क्लीन स्वीप किया, उससे साफ हो गया कि अब भारतीय टीम का अभेद्य किला जमींदोज हो चुका है।
न्यूजीलैंड ने केन विलियमसन जैसे स्टार बल्लेबाज की गैरमौजूदगी में वो कर दिखाया जो पिछले 24 साल में कोई भी टीम नहीं कर पाई थी। न्यूजीलैंड साल 2000 के बाद भारतीय टीम का उसी के घर में टेस्ट क्रिकेट में सूपड़ा साफ करने वाली पहली टीम बनीं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय टीम कितने खराब दौर से गुजर रही है। इस हार ने टीम इंडिया ही नहीं बल्कि विराट कोहली और रोहित शर्मा के दबदबे के खत्म होने की ओर भी इशारा कर दिया है।
घर में रोहित और कोहली का बुरा हाल
ऋषभ पंत को छोड़कर सभी भारतीय बल्लेबाजों ने न्यूजीलैंड के खिलाफ बहुत ही खराब प्रदर्शन किया। पंत इकलौते ऐसे भारतीय बल्लेबाज रहे जिन्होंने 3 मैचों की 6 पारियों में 200 रनों का आंकड़ा पार किया। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में शुमार कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली 100 रनों का आंकड़ा भी नहीं छू सके। इन दोनों बल्लेबाजों से ज्यादा रन तो ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने बनाए। अकेले यशस्वी जायसवाल ने इतने रन बनाए जितने कोहली और रोहित मिलकर भी नहीं बना सके। इस सीरीज में जिनके कंधों पर रन बनाने का जिम्मा था वो टीम पर बोझ बन गए। और नतीजा हम सबके सामने है।
रोहित शर्मा और विराट कोहली
पिछले कुछ समय से BCCI अपने खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट खेलने के लिए पुश कर रहा है। न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज से पहले विराट और रोहित को भी घरेलू क्रिकेट खेलने के लिए कहा गया था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। यही वजह है कि दोनों खिलाड़ी पहले टेस्ट मैच में न्यूजीलैंड की तेज गेंदबाजी और फिर आखिरी के दोनों मैचों स्पिन अटैक के खिलाफ संघर्ष करते नजर आए।
ज्यादा पुरानी बात नहीं है। न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज से पहले टीम इंडिया ने सितंबर महीने में बांग्लादेश का सामना किया। इस सीरीज में भारतीय टीम ने जिस अंदाज में बांग्लादेश का सूपड़ा साफ किया था, उसको देखते हुए आने वाला युग भारतीय क्रिकेट टीम का बताया जा रहा था लेकिन अगली ही सीरीज में टीम की सारी पोल पट्टी खुल गई। हैरानी की बात ये रही कि बांग्लादेश जैसी कमजोर टेस्ट टीम के खिलाफ भी रोहित और विराट संघर्ष करते नजर आए। विराट कोहली जहां 4 पारियों में 99 रन से आगे नहीं बढ़ पाए तो रोहित दोनों टेस्ट मैचों में कुल मिलाकर 50 रन के भी करीब नहीं पहुंच सके। लगातार 2 सीरीज में विराट और रोहित का फेल होने का नतीजा हम सबके सामने हैं लेकिन सवाल एक बार फिर वही खड़ा होता है कि क्या बीसीसीआई और टीम मैनेजमेंट इस हार से कुछ सबक लेगा या सिर्फ बड़ा नाम होने के कारण रोहित और विराट को ऐसे ही ढोते रहेगा।
रोहित शर्मा और विराट कोहली
पिछले महीने तक ऐसा लग रहा था कि भारतीय टीम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप यानी WTC के फाइनल का टिकट आसानी से हासिल कर लेगी। न्यूजीलैंड भारत आएगी और सीरीज हारकर घर लौट जाएगी। लेकिन घर में पासा उलटा पड़ गया। 3 टेस्ट मैचों ने WTC का पूरा समीकरण ही बदल कर रख दिया। भारतीय टीम का नंबर-1 का ताज छिन गया और फाइनल में पहुंचने का रास्ता बेहद मुश्किल हो गया। अब टीम इंडिया को फाइनल के टिकट के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर कंगारू टीम से पाना होगा जो कोहली और विराट की फॉर्म को देखते हुए तो बिल्कुल भी आसान नजर नहीं आता। क्रिकेट के कई जानकार तो 22 नवंबर से ऑस्ट्रेलिया में खेली जाने वाली बॉर्डर-गावस्कर सीरीज को रोहित और विराट की आखिरी टेस्ट सीरीज मानने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। हालांकि अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि BCCI ऑस्ट्रेलिया टूर के बाद रोहित और विराट के भविष्य को लेकर कोई बड़ा संकेत दे सकती है।
विराट कोहली
दरअसल, दोनों ही स्टार क्रिकेटर 35 साल की उम्र पार कर चुके हैं और किसी से छिपा नहीं है कि बढ़ती उम्र का असर परफॉर्मेंस पर भी पड़ता है। अतीत में दिग्गज क्रिकेटरों के साथ भी ऐसा हो चुका है। क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर भी इस बात को कबूल कर चुके हैं कि एक उम्र के बाद शरीर जवाब दे जाता है और रिफलेक्सिस भी धीमे हो जाते हैं। रोहित शर्मा 37 बसंत पार कर चुके हैं और विराट कोहली इसी महीने 36 साल के हुए हैं। दोनों क्रिकेटर उम्र के उस पड़ाव पर पहुंच चुके हैं जहां ज्यादातर क्रिकेटर रिटायरमेंट की प्लानिंग करने लगते हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या विराट और रोहित अब जल्द से जल्द रिटायरमेंट की प्लानिंग जुटेंगे या फिर BCCI को कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
इसमें कोई शक नहीं कि टीम इंडिया में रोहित और विराट की जगह लेना किसी के लिए भी आसान होगा। हालांकि इसकी दिशा में कदम जल्द से जल्द उठाना होगा ताकि आने वाले सालों में एक मजबूत भारतीय टीम तैयार की जा सके। रोहित और विराट की जगह लेने वाले दावेदारों की बात की जाए तो साई सुदर्शन, देवदत्त पडिक्कल और रजत पाटीदार का नाम रेस में सबसे आगे चल रहा है। तीनों ही खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट बल्ले से प्रभावित करने में कामयाब रहे हैं।
रोहित शर्मा
IPL और घरेलू क्रिकेट में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके साई सुदर्शन और देवदत्त पडिक्कल तो इस समय इंडिया-ए टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हैं। दोनों बल्लेबाजों में रनों की जबरदस्त भूख है जिसकी बानगी हमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले अनऑफिशियल टेस्ट मैच में देखने को मिल चुकी है। इस मैच की दूसरी पारी में सुदर्शन और पडिक्कल के बल्ले से बड़ी पारी निकली। साई सुदर्शन ने जहां शानदार शतक जड़ा तो देवदत्त पडिक्कल ने 88 रनों की पारी खेली। उनकी ये पारी टीम को हार से भले ही नहीं बचा सकी लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि क्रिकेट के लंबे फॉर्मेट में जिस स्किल और रनों की भूख की जरूरत होती है, वो इन दोनों ही बाएं हाथ के बल्लेबाजों के अंदर है।
साई सुदर्शन, देवदत्त पडिक्कल और रजत पाटीदार
विराट और रोहित की कई खूबियों से भी दोनों बल्लेबाजों का खेल मेल खाता है। रजत पाटीदार भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 43 की औसत से 4500 से ज्यादा रन बना चुके हैं। इससे इतना तो साफ है कि विराट और रोहित की विरासत को संभालने के लिए लाइन में कई खिलाड़ी लगे हैं लेकिन इंतजार इस बात का है कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के बाद BCCI भारतीय कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली के भविष्य पर क्या और कब फैसला करती है। हालांकि अभी कुछ कहना दूर की कौड़ी लग रहा है।
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