नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के खगोल भौतिकीविद् (Astrophysicist) जेरेमी श्निटमैन ने साइंटिस्ट ब्रायन पॉवेल के साथ मिलकर प्रोजेक्ट को लीड किया। प्रोजेक्ट के तहत ‘सुपरकंप्यूटर’ की मदद ली गई। इसमें एक ब्लैक होल को टटोला गया, जिसका केंद्र हमारी आकाशगंगा के जितना है।
वीडियो में देखा जा सकता है कि कैमरा जैसे ही ब्लैक होल करीब आता है, स्पेस टाइम में कई नाटकीय डिस्टॉर्शन नजर आने लगते हैं। बैकग्राउंड में मौजूद तारे भी अजीब दिखते हैं। कुल मिलाकर सबकुछ बहुत अजीब नजर आता है। नासा ने जो सिम्युलेशन किया उसके दो संभावित रिजल्ट हैं-
पहले परिदृश्य में नासा का कैमरा अपने लक्ष्य के करीब तक पहुंचता है, लेकिन एक सीमा से आगे नहीं बढ़ता।
जबकि दूसरे परिदृश्य में वह ब्लैक अंदर पहुंचकर “स्पेगेटिफिकेशन” नाम की प्रक्रिया से गुजरता है। उसका मतलब है कि ब्लैक होल के पास अगर कोई कैमरा पहुंचा तो फोर्स उसे इतनी तेजी से खींचेगा कि लगभग 12 सेकंड में वह टूट जाएगा।
ब्लैक होल से जुड़ी अन्य खबरों की बात करें तो पिछले महीने ही खगोलविदों ने हमारी आकाशगंगा (Milky Way) में सबसे बड़े तारकीय ब्लैक होल (stellar black hole) को खोजा है। इसका द्रव्यमान सूर्य से 33 गुना ज्यादा है। तारकीय ब्लैक होल का निर्माण किसी तारे के गुरुत्वाकर्षण खोने की वजह से होता है। खोजे गए ब्लैक होल का नाम Gaia BH3 (गैया बीएच 3) है। यह पृथ्वी से 2 हजार प्रकाश वर्ष दूर एक्विला तारामंडल में है। गैया मिशन में इस्तेमाल किया जा रहा टेलीस्कोप आकाश में तारों की सटीक लोकेशन बता सकता है। जो डेटा खगोलविदों को मिला, उसे स्टडी करने के दौरान ब्लैक होल का पता चला। यह हमारे सूर्य से लगभग 33 गुना बड़ा है।
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2024-05-08 08:07:42
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