रिसर्चर्स का कहना है कि यह स्टडी चंद्रमा पर जल की सांद्रता (water concentration) को जानने के लिए महत्वपूर्ण है। यह भविष्य में चांद पर इंसानी मिशन के लिए मददगार हो सकता है। गौरतलब है कि चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी के कणों की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह भारत का पहला मून मिशन था, जिसे साल 2008 में शुरू किया गया था।
इस साल भारत को बड़ी कामयाबी मिली, जब 23 अगस्त को इसरो के तीसरे मूशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने भारत में सफल लैडिंग कर ली। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने करीब 15 दिनों तक चांद पर अपने एक्सपेरिमेंट को पूरा किया। भारत दुनिया का चौथा देश बन गया था, जिसने चांद पर सफल लैंडिंग की। यही नहीं, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना है।
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अभी चंद्रमा पर निष्क्रिय हैं। इसरो ने उन्हें स्लीप मोड में रखा और चांद के उस हिस्से में दोबारा सूर्य की रोशनी के पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है। फिर यह देखा जाएगा कि प्रज्ञान और विक्रम आगे काम कर पाते हैं या नहीं।
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2023-09-15 14:00:53
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