0

Cheetah in Kuno: कूनो नेशनल पार्क में अब खुलकर जिएंगे चीते, बड़े बाड़े से दो-दो करके छोड़े जाएंगे

Share

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के बाड़े में बंद चीतों को अब वापस खुले में छोड़ने की तैयारी शुरू हो गई है। इन्हें दो-दो की संख्या में नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा। खास बात यह है कि अब चीतों को वापस पकड़कर नहीं लाने का निर्णय किया गया है। पिछली बार कुछ चीते उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सीमा तक चले गए थे।

By Prashant Pandey

Publish Date: Mon, 14 Oct 2024 08:04:04 AM (IST)

Updated Date: Mon, 14 Oct 2024 08:39:28 AM (IST)

कूनो नेशनल पार्क।

HighLights

  1. भारत में पहली बार चीते 17 सितंबर, 2022 को लाए गए थे और इन्हें कूनो में रखा था।
  2. 11 मार्च, 2023 को पहली बार चीता पवन व आशा को खुले जंगल में छोड़ा गया था।
  3. संक्रमण की वजह से एक चीते की मौत के बाद सबको वापस बाड़े में लाकर रखा था।

वरुण शर्मा, नईदुनिया, ग्वालियर(Cheetah in Kuno)। देश में चीतों की धरती कूनो नेशनल पार्क में अब चीते खुलकर जिएंगे। उन्हें बड़े बाड़े से खुले जंगल में छोड़े जाने की स्वीकृति चीता स्टीयरिंग (संचालन) कमेटी से मिल गई है। दो-दो की संख्या में चीतों को छोड़ा जाएगा। इसके बाद स्थिति को देखते हुए अन्य चीतों और शावकों को भी खुले जंगल में छोड़ा जाएगा।

चीतों को छोड़ने की तैयारी शुरू कर दी गई है। खास बात यह है कि चीते समीपस्थ राज्यों में भी स्वच्छंद विचरण कर सकेंगे। इनके भोजन, सुरक्षा और निगरानी की जिम्मेदारी संबंधित राज्य के वन मंडल की होगी। इस आशय का निर्णय पिछले दिनों कूनो नेशनल पार्क में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 22 वन मंडलाधिकारियों की कार्यशाला में लिया गया।

12 वयस्क और 12 चीता शावक

बता दें, कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में 12 वयस्क और 12 चीता शावक हैं। सभी को बड़े बाड़े में रखा गया है। भारत में पहली बार चीते 17 सितंबर, 2022 को लाए गए थे। 11 मार्च, 2023 को पहली बार चीता पवन व आशा को खुले जंगल में छोड़ा गया था। इसके कुछ ही दिन बाद चीता गौरव (एल्टन) और शौर्य (फ्रेडी) को छोड़ा गया था।

naidunia_image

राजस्थान और यूपी की सीमा तक पहुंच गए थे चीते

कूनो से राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा नजदीक है। जब चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया था तब कुछ कूनो से बाहर निकलकर नजदीकी जिले मुरैना, शिवपुरी के अलावा उत्तर प्रदेश के झांसी-ललितपुर, राजस्थान के करौली व बारां तक पहुंच गए थे।

बारिश के दौरान रेडियो कालर की बेल्ट की वजह से गर्दन में संक्रमण के बाद एक चीते की मौत हो गई तो सभी चीतों को कूनो लाकर बड़े बाड़े में रखा गया। यहां शावकों का जन्म भी हुआ।

naidunia_image

चीतों को वापस नहीं लाया जाएगा

अब खुले जंगल में चीतों को दोबारा छोड़ने के निर्णय के साथ यह भी तय किया गया है कि उन्हें वापस नहीं लाया जाएगा। संबंधित वन मंडल उनकी निगरानी करेगा। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार चीता प्राकृतिक रहवास वाला प्राणी है इसलिए इनके स्वच्छंद विचरण में बाधा नहीं होनी चाहिए। इस बीच, कूनो में चीता सफारी की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। वाहनों को तैयार किया जा रहा है। टूरिस्ट गाइडों की भर्ती प्रक्रिया भी चल रही है।

naidunia_image

एक चीते को चाहिए होता है 100 वर्ग किमी का क्षेत्र

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार एक चीते के लिए करीब 100 वर्ग किमी क्षेत्र की जरूरत होती है। कूनो के जंगल का क्षेत्र करीब 1200 वर्ग किमी है। इसमें 748 वर्ग किमी मुख्य जोन में और 487 किमी बफर जोन में है। कूनो में शावकों सहित 24 चीते हैं इस लिहाज से कूनो के जंगल का क्षेत्र चीतों के लिए कम ही होगा।

Source link
#Cheetah #Kuno #कन #नशनल #परक #म #अब #खलकर #जएग #चत #बड #बड #स #दद #करक #छड #जएग
https://www.naidunia.com/madhya-pradesh/gwalior-cheetah-in-kuno-cheetahs-will-now-live-freely-in-kuno-national-park-they-will-be-released-two-by-two-from-big-enclosure-8355328