कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज (CHD) जन्मजात हृदय दोष है, जिसमें दिल की संरचना में समस्याएं हो सकती हैं। कारणों में गर्भावस्था के दौरान गलत दवाएं, नशीले पदार्थों का सेवन और वायरल संक्रमण शामिल हैं। लक्षणों में तेज़ सांस, त्वचा का नीला पड़ना और विकास में देरी हो सकते हैं।
By Nai Dunia News Network
Edited By: Nai Dunia News Network
Publish Date: Wed, 19 Feb 2025 08:29:39 PM (IST)
Updated Date: Wed, 19 Feb 2025 08:29:39 PM (IST)
लाइफस्टाइल डेस्क, इंदौर। आजकल अनियमित खानपान और दिनचर्या के कारण दिल की बीमारियां होना एक आम बात है। हार्ट संबंधित बीमारियां कई लोगों में अनुवांशिक कारणों से भी होती है। बच्चों में हार्ट की बीमारी के बारे में सुनकर अजीब लगता है, लेकिन जन्म के समय ही कुछ बच्चों को दिल से जुड़ी कुछ दिक्कतें हो जाती हैं। इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल की डॉ. रुचिरा पहारे, कन्सल्टेन्ट, पीडियाट्रिशियन कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के बारे में विस्तार से जानकारी दे रही हैं –
जानें क्या होती है कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज
जन्म के समय किसी भी बच्चे के हार्ट में कोई भी डिफेक्ट होने को ‘कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज’ (Congenital Heart Disease)कहा जाता है। आम भाषा में इसे लोग दिल में छेद होने की समस्या से जानते हैं लेकिन इसके अलावा भी इस बीमारी में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
इसमें बच्चों के हृदय से संबंधित समस्याएं जैसे- वैलव्युलर हार्ट डिजीज और नसें गलत जुड़ी हुई होना या दिल की धड़कन में समस्या आदि हो सकती हैं। यदि समय पर ऐसे बच्चों को उचित इलाज नहीं मिल पाता है तो यह कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज जानलेवा भी हो सकती है।
कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज होने के कारण
गर्भावस्था में भ्रूण के विकसित होने के दौरान ही कई कारणों से दिल का विकास प्रभावित होता है। कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज होने के कई कारण हो सकते हैं, जिससे बच्चों में जन्मजात ही यह बीमारी होती है। इसमें मुख्य ये कारण हो सकते हैं –
- गर्भावस्था के दौरान गलत दवाओं के सेवन से कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज हो सकती है।
- प्रेगनेंसी में नशीले पदार्थों के सेवन करने से बच्चों में ऐसी बीमारियां होने की संभावना होती है।
- गर्भवती महिला को वायरल संक्रमण या अन्य बड़ी बीमारी होने से भी बच्चों में यह बीमारी हो सकती है।
- जो महिलाएं देरी से शादी करती हैं तथा जिनकी प्रेगनेंसी भी लेट होती है, तो उनके बच्चों में भी इस तरह की बीमारी होने की संभावना हो सकती है।
कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के लक्षण
नवजात शिशुओं में इस बीमारी के बारे में गर्भावस्था के दौरान ही अल्ट्रासाउंड Fetal ECHO के जरिए पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा बच्चों के जन्म के बाद उनमे दिखने वाले लक्षणों में हार्ट बीट का तेज या अनियमित होना, तेजी से सांस लेना या हांफना, त्वचा का रंग नीला हो जाना, सांस फूलना या सांस लेने में परेशानी, दूध पीते समय बच्चे को थकान या सांस तेज होना, शरीर के अंगों में सूजन होना, बच्चे के वजन में कमी होना, हमउम्र के बच्चों की तरह बच्चे का मानसिक और शारीरिक रूप से विकास न हो पाना आदि कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं अत: इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दें तो तुरंत ऐसे अस्पताल जाएं जहां फुल टाइम स्पेशलिस्ट की सुविधा उपलब्ध हो ताकि समय पर सही इलाज मिल सके।
इस तरह की बीमारी के उपचार के लिए सभी तरह की एडवांस टेक्नोलॉजी अब भारत में भी उपलब्ध है, जिससे पीड़ित बच्चों का इलाज समय पर किया जा सकता है और वे हमेशा के लिए स्वस्थ भी हो सकते हैं।
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