मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में डेंगू के केस लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे में इसके वेरिएंट की पहचान करने के लिए सीरो टाइपिंग टेस्ट करवाया जाएगा। इससे इस बात का भी पता लग सकेगा कि डेंगू का वेरिएंट कितना खतरनाक है। इसके सैंपर जबलपुर में आईसीएमआर को भेजेंगे।
By Prashant Pandey
Publish Date: Sun, 27 Oct 2024 09:29:37 AM (IST)
Updated Date: Sun, 27 Oct 2024 09:38:29 AM (IST)
HighLights
- डेंगू का कौन-सा वेरिएंट मरीजों में है, इसकी जांच नहीं हुई है।
- दस-दस मरीजों के सैंपल लेकर आईसीएमआर जबलपुर भेजेंगे।
- डेंगू का टाइप टू ही वेरिएंट सबसे ज्यादा खतरनाक होता है।
अनूप भार्गव, नईदुनिया ग्वालियर(Dengue Case in MP)। मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, विदिशा और मुरैना में डेंगू के मामलों में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए वेरिएंट पहचान के लिए सीरो टाइपिंग टेस्ट कराया जाएगा। इससे पीड़ित मरीज के भीतर किस तरह के डेंगू का वेरिएंट है, इसका पता चल सकेगा।
अगर मरीज दूसरी बार डेंगू की चपेट में आया है, तो वेरिएंट उसके लिए कितना खतरनाक है, यह भी इससे पता चलेगा। सीरो टाइपिंग टेस्ट के लिए सैंपल आईसीएमआर जबलपुर भेजे जाएंगे। डेंगू नियंत्रण और रोकथाम को लेकर किए जा रहे कार्यों की समीक्षा करने ग्वालियर आईं राज्य सलाहकार भावना दुबे (वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल) ने नईदुनिया से चर्चा करते हुए कहा कि अभी तक डेंगू का कौन-सा वेरिएंट मरीजों में है, इसकी जांच नहीं हुई है।
इसलिए विभिन्न जिलों के दस-दस मरीजों के सैंपल लेकर आईसीएमआर जबलपुर सीरो टाइपिंग के लिए भेजे जाएंगे। उनका कहना है कि निरीक्षण के दौरान देखने में आया कि जहां भी जमा पानी मिला, वहां मच्छरों का लार्वा जरूर दिखा।
डेंगू के चार वेरिएंट हैं
वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल की राज्य सलाहकार दुबे ने बताया कि डेंगू के चार वेरिएंट में डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4 शामिल हैं। इनमें टाइप टू ही ज्यादा खतरनाक होता है। इसे हैमरेजिक डेंगू कहा जाता है। इसमें शरीर में आंतरिक या बाह्य रूप से रक्तस्राव होने लगता है। वेरिएंट की जानकारी मिलने पर डेंगू की रोकथाम और इलाज में सहूलियत होगी।
ग्वालियर में 6 डेंगू और 6 चिकनगुनिया के केस मिले
ग्वालियर में शनिवार को 158 सैंपल की जांच डेंगू छह नए केस और 34 सैंपल की जांच में छह चिकनगुनिया के केस मिले। जनवरी से अभी तक 17 हजार 967 सैंपल की जांच में डेंगू के 1157 पाजिटिव केस मिले हैं। वहीं चिकनगुनिया के केस की संख्या 80 पहुंच गई है।
मलेरिया विभाग की टीम ने डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में चार हजार 534 घरों का सर्वे किया। इनमें 156 घरों में मिला लार्वा मिला जिसे नष्ट कराया गया। साथ ही घर-घर जाकर डेंगू से बचाव की जानकारी दी। सर्वे टीम जनवरी से अब तक 6 लाख 85 हजार 79 घरों का सर्वे कर चुकी है।
इसमें उसे 24 हजार 582 घरों में लार्वा मिला। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. सचिन श्रीवास्तव ने बताया कि विभाग की टीम शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर जाकर सर्वे के साथ साथ लोगों को डेंगू से बचाव की जानकारी दे रही हैं। जन जागरूकता के लिए नगर निगम के वाहनों से भी प्रचार प्रसार कराया जा रहा है।
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