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Digital Arrest: 28 केस में सिर्फ 7 आरोपी पकड़ाए, पुलिस भी नहीं दिलवा पाई एक करोड़ 70 लाख रुपए


एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया।
– फोटो : अमर उजाला, इंदौर

विस्तार


इंदौर समेत देशभर में डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अधिकांश मामलों में आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं और उन्नत तकनीक होने के बावजूद पुलिस पीड़ितों के जीवनभर की जमापूंजी वापस नहीं दिलवा पा रही है। एक जनवरी से अभी तक इंदौर में डिजिटल अरेस्ट के 28 मामले आए हैं और पुलिस सिर्फ सात आरोपियों को पकड़ पाई है। दो करोड़ 40 लाख रुपए की राशि लूटी गई है जिसमें से पुलिस 70 लाख की राशि दिलवा पाई है और एक करोड़ 70 लाख रुपए की राशि नहीं मिल पाई है। 

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क्या है डिजिटल अरेस्ट

राज्य सायबर सेल में पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट में सायबर ठग नागरिकों को फोन या अन्य डिजिटल माध्यमों से बंदी बना लेते हैं और इतना डरा देते हैं कि वह कहीं पर भी बात न कर सकें। इस दौरान वह साइबर फ्राड करने वालों को अपना पैसा देकर ठगी का शिकार बन जाते हैं। 

फोन पर डराकर वैज्ञानिक से लूटे 71 लाख

इसी सप्ताह आरआरकैट के वरिष्ठ वैज्ञानिक और उनकी पत्नी को सायबर ठगों ने 6 दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा और उनसे 71 लाख 33 हजार रुपए अपने खातों में डलवा लिए। ठगों ने उन्हें कहा कि आपके आधार कार्ड से एक मोबाइल नंबर जारी हुआ है जिससे महिला उत्पीड़न के मैसेज गए हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। आप पुलिस से संपर्क न करें क्योंकि पुलिस भी अपराधियों से मिली है। इसके बाद ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर उनके सभी बैंक खातों के पैसे अलग अलग खातों में ट्रांसफर करवा दिए। ठगों ने कहा कि इन खातों में आपका पैसा सुरक्षित रहेगा और उनके सारे पैसे निकाल लिए। 

पढ़े लिखे लोग बन रहे शिकार

एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि लोगों का जागरूक होना जरूरी है। इंदौर में डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इनमें पढ़े लिखे समझदार लोग फंस रहे हैं। इंदौर के वरिष्ठ डाक्टर, असिस्टेंट प्रोफेसर, सीएस, रिटायर्ट बैंक अधिकारी और अब वैज्ञानिक भी इसमें फंस गए हैं। पुलिस लूटे हुए पैसे निकलवाने के लिए पूरी कोशिश करती है लेकिन कई मामलों में पीड़ित देर से शिकायत करते हैं या शिकायत ही नहीं करते हैं। पैसे ट्रांसफर होने के तुरंत बाद लुटेरे अलग अलग खातों में यह पैसे डलवा देते हैं और वहां से निकाल लेते हैं। एेसे में पीड़ितों के पैसे वापस निकालना मुश्किल होता है। 

अलग अलग राज्यों के आरोपी

दंडोतिया ने बताया कि इन मामलों में अलग अलग राज्यों के आरोपी शामिल हैं। राजस्थान, उड़ीसा, बिहार के आरोपी पकड़ाए हैं। ये लोग गरीब लोगों के आधार कार्ड से मोबाइल सिम और बैंक खाते खुलवा लेते हैं। इसके बाद धोखाधड़ी करके भाग जाते हैं। इस स्तिथि में गरीब लोग फंस जाते हैं। 

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2024-10-05 00:41:56