विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन, भूपेंद्र सिंह ने स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह को निजी स्कूलों की मनमानी और अतिक्रमण के मुद्दे पर घेर लिया। उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारियों द्वारा गलत जानकारी दी जा रही है और मंत्री को जनप्रतिनिधियों का अपमान नहीं करना चाहिए।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Mon, 16 Dec 2024 07:51:31 PM (IST)
Updated Date: Tue, 17 Dec 2024 12:33:57 AM (IST)
HighLights
- पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भाजपा सरकार के मंत्री को विस में घेरा
- निजी स्कूलों की मनमानी पर सिंह की स्कूल शिक्षा मंत्री से बहस
- पत्र लिखने पर भी शिक्षा अधिकारी ने कोई कार्नरवाई नहीं की
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल: विधानसभा के शीतकालीन सत्र के प्रथम दिन सोमवार को पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपनी ही सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह के जवाब पर उन्हें घेर लिया। उन्होंने कहा कि अधिकारी कुछ भी लिखकर दे देते हैं और मंत्री भी सदन में उत्तर दे देते हैं कि जनता में कोई रोष नहीं है, जबकि मैं जनप्रतिनिधि हूं, मुझे पता है कि रोष है या नहीं।
इसका मतलब तो यह हुआ कि मैं झूठ बोल रहा हूं। मंत्री इस तरह अपमानित न करें। मामला गंभीर है और केवल मालथौन का नहीं, पूरे प्रदेश में अवैध रूप से संचालित निजी स्कूलों का मामला है, जो शिक्षा का व्यवसाय कर रहे हैं। इन्हें नियंत्रित करने के लिए नीति बनाई जाना चाहिए।
निजी स्कूल की मनमानी को लेकर हुए नाराज
भूपेंद्र सिंह ने अपने निर्वाचन क्षेत्र खुरई विधानसभा के मालथौन में संचालित आदर्श कान्वेंट स्कूल की मान्यता न किए जाने और शासकीय भूमि से बेदखली का नोटिस दिए जाने के बाद भी स्कूल के संचालन का विषय ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाया।
उन्होंने कहा कि अशासकीय शिक्षण संस्थाएं नियम विरुद्ध चल रही हैं। न तो इनमें खेल का मैदान है और न ही अन्य व्यवस्थाएं। बच्चों के यौन शोषण की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। मालथौन में शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करके स्कूल बनाया गया है।
तहसीलदार इसके संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र भी लिख चुके हैं। विकासखंड शिक्षा अधिकारी और तहसीलदार की कार्रवाई के बाद भी न तो बेदखली की कार्रवाई की गई और न ही मान्यता समाप्त की गई।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा- आक्रोश व्याप्त नहीं
इस पर स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने सदन को बताया कि प्रारंभिक तौर पर संस्था की मान्यता निलंबित की गई है। संस्थान ने इसके विरुद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर की है, जिस पर स्थगन मिला है। क्षेत्र के नागरिकों में रोष एवं आक्रोश व्याप्त नहीं है।
उनके इस कथन पर भूपेंद्र सिंह ने कहा कि अधिकारी कुछ भी उत्तर बनाकर दे दें पर सदन में मंत्री को ध्यान रखना चाहिए। जनप्रतिनिधि होने के नाते मुझे पता है कि आक्रोश है या नहीं। इसे नकारे जाने का मतलब यह हुआ कि मैं झूठ बोल रहा हूं। इस तरह अपमानित न करें। पूरे प्रदेश का मामला है। हमें ऐसे नीति बनानी चाहिए कि नियम विरुद्ध संचालित निजी शिक्षण संस्थाओं पर कार्रवाई हो सके।
पहली बार लौटाई गई वसूली गई अधिक फीस
स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि व्यवस्था में सुधार के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। पहली बार स्कूलों द्वारा ली गई अधिक फीस अभिभावकों को लौटाई गई है। किराएनामे पर स्कूल संचालित करने की व्यवस्था में परिवर्तन कर अब रजिस्टर्ड डाक्यूमेंट अनिवार्य कर दिया है। एक एकड़ न्यूनतम भूमि सहित अन्य प्रविधान किए गए हैं। आने वाले समय में अंतर दिखाई देगा।
जयवर्धन बोले- मंत्री परमार खेद जताएं
राघौगढ़ से विधायक जयवर्धन सिंह ने क्षेत्र के शासकीय कॉलेज का स्नातकोत्तर कक्षाएं संचालित होने संबंध गलत तथ्य विधानसभा में रखने पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से सदन में खेद जताने की मांग की।
उन्होंने कहा कि जुलाई के सत्र में सदन में गलत जानकारी दी गई। त्रुटि सुधार के लिए नियमानुसार कार्यसूची में उसका उल्लेख करने से साथ मंत्री को सदन में संशोधित उत्तर देना चाहिए पर ऐसा नहीं किया गया।
उच्च शिक्षा मंत्री ने स्वीकार किया
उच्च शिक्षा मंत्री ने स्वीकार किया कि पूर्व में दिया गया उत्तर अपूर्ण था, जिसे पूर्ण कर संशोधित किया गया है। कॉलेज को छात्र संख्या के मान से कला संकाय के हिंदी और इतिहास विषय में उन्नयन किया जा सकता है। इसकी प्रक्रिया की जाएगी। उल्लेखनीय है कि जुलाई के सत्र में मंत्री ने यह उत्तर दिया था कि राघौगढ़ कालेज में पीजी कोर्स संचालित हैं।
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