नशे के सौदागर मोटे किराए का लालच देकर दवा कंपनियों में जगह किराए पर ले रहे हैं। इनकी कोशिश रहती है कि दवा निर्माण की आड़ में उनका धंधा भी छिपा रहे। केंद्रीय एजेंसियां ऐसे रैकेट को पकड़ रही हैं। दवा निर्माण के लाइसेंस के लिए अनिवार्य शर्त है कि दवा फैक्ट्री के परिसर में किसी अन्य गतिविधि को नहीं चलाया जा सकता।
By Prashant Pandey
Publish Date: Sun, 20 Oct 2024 08:27:28 AM (IST)
Updated Date: Sun, 20 Oct 2024 08:31:55 AM (IST)
लोकेश सोलंकी, नईदुनिया, इंदौर(Drugs Factory in Indore)। सरकारी जमीन पर चल रही दवा फैक्ट्रियों के किराएदार नशीली ड्रग्स बनाने वाले निकल रहे हैं। काले धंधे वालों को किराएदार बनाने के बाद भी इन कंपनियों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
जबकि नियम तोड़कर सरकारी जमीन को ही नशे के लिए किराए पर दे दिया गया। किराएनामे की आड़ लेकर दवा कंपनी में तोड़े गए कानून पर औषधि प्रशासन ने आंख मूंद ली है। अपनी जमीन पर चल रहे नशा उद्योग पर उद्योग विभाग को भी परवाह नहीं है। इंदौर से लेकर मेघनगर तक प्रदेश में यही किस्सा दोहराया जा रहा है।
डीआरआई ने इंदौर में नशीली दवा का कारखाना पकड़ा था
डीआरआई ने 2018 में इंदौर की दवा कंपनी के परिसर में घातक नशीली दवा फेंटानिल हाइड्रोक्लोराइड के निर्माण का कारखाना पकड़ा था। पोलोग्राउंड औद्योगिक क्षेत्र की दवा कंपनी आर्या फार्मेसी के परिसर में ही ये नशीली दवा का कारखाना चल रहा था। देश में फेंटानिल का कारखाना पकड़ने का यह पहला मामला था।
कंपनी के किराएदार बनकर नशा बनाने वाले डाक्टर मोहम्मद सिद्दिकी के साथ मनु गुप्ता और मैक्सिकन नागरिक जार्ज सालिक गिरफ्तार हुए और सजा भी हो गई। इन्हें जगह देने वाली दवा फैक्ट्री को कार्रवाई से बचा लिया गया।
नियमानुसार दवा फैक्ट्री की जगह किराए पर ही नहीं दी जा सकती थी। इसी तरह बीते सप्ताह मेघनगर फार्मा की आड़ में सिंथेटिक ड्रग निर्माण का कारखाना पकड़ा गया। यहां भी अब तक सिर्फ किराएदार ही कानून के चंगुल में फंसे हैं।
नियम तोड़े
संचालक स्वीकृत लेआउट को बदलकर किराएदार रख सकता है। ऐसी स्थिति में दवा फैक्ट्री का निर्माण लाइसेंस रद कर दिया जाता है। दूसरा नियम उद्योग विभाग का है। सरकारी औद्योगिक क्षेत्र में उद्योग विभाग शासन की जमीन उद्योगों को लीज पर देता है। ऐसे में औद्योगिक इकाइयां खुद शासन की किराएदार होती हैं और वे दूसरों को किराएदार नहीं रख सकतीं। इंदौर की आर्या फार्मेसी और झाबुआ क्षेत्र की मेघनगर फार्मा दोनों ही सरकारी औद्योगिक क्षेत्र की जमीन पर चल रही हैं।
हमें बोलने से मना किया
मामले में इंदौर की आर्या फार्मेसी के संचालक विशाल नंदवानी से जब नईदुनिया ने चर्चा की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि हमने किरायानामा जांच एजेंसियों को पेश कर दिया था। दवा कंपनी को किराए पर कैसे दिया, इस पर उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच एजेंसी ने हमसे कहा है कि किसी से बात न करें। हमें बोलने से मना किया गया है।
लेआउट की जांच करवाएंगे
हमें जानकारी दी गई थी कि इंदौर की आर्या फार्मेसी ने अपना प्लांट पीछे शिफ्ट कर लिया था। आगे जगह जो किराए पर दी थी, उसमें फेंटानिल का कारखाना पकड़ा था। परिसर अलग होने की जानकारी मिली थी। फील्ड अधिकारियों को फिर से जांच के निर्देश दिए जा रहे हैं। मेघनगर की फैक्ट्री को लाइसेंस नहीं दिया गया। – मनमोहन मोलासरिया, ड्रग लाइसेंसिंग अथारिटी
कार्रवाई करेंगे
मेघनगर का उद्योग अजीत राठौड़ के नाम से पंजीकृत है, लेकिन इसे विजय राठौड़ संचालित कर रहा था। अतः उक्त मामले में अजीत राठौड़ पर भी कार्रवाई की जाएगी। पिछले डेढ़ वर्षों से विजय द्वारा इस उद्योग को चलाया जा रहा था। – राजेश राठौर, इनफोर्समेंट डायरेक्टर, उद्योग विभाग
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