आईआईटी इंदौर में नोवेल फेज-चेंज कंपोजिट को विकसित किया गया है। यह बैटरी सुरक्षा, प्रदर्शन और इसकी कार्यक्षमता को प्रभावशाली तरीके से बढ़ाता है, जिससे इलेक्ट्रानिक वाहन अधिक सफल बनते हैं। जब लिथियम-आयन बैटरियां ज्यादा गर्म हो जाती हैं, तो उन्हें थर्मल घटनाएं जैसे जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
By Prashant Pandey
Publish Date: Fri, 08 Nov 2024 09:27:07 AM (IST)
Updated Date: Fri, 08 Nov 2024 09:41:46 AM (IST)
HighLights
- एनपीसीसी बेहतर विद्युत इन्सुलेशन प्रदान करता है।
- बैटरी माड्यूल के सुरक्षित संचालन के लिए आवश्यक है।
- एनपीसीसी से ईवी बैटरियों की कार्यक्षमता भी बढ़ती है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर(Electric Vehicle Battery)। इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की घटनाएं आम हो चुकी हैं। इन घटनाओं के चलते जान का खतरा भी रहता है। अब आईआईटी इंदौर ने इस समस्या का समाधान खोज निकाला है। दरअसल, आईआईटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर संतोष कुमार साहू के नेतृत्व में इलेक्ट्रिक वाहनों के थर्मल प्रबंधन में बदलाव लाने के लिए नोवेल फेज-चेंज कंपोजिट (एनपीसीसी) विकसित किया गया है।
ओवरहीटिंग में कमी आएगी
आईआईटी इंदौर में विकसित एनपीसीसी समान तापमान सुनिश्चित करके इस चुनौती का सामना करता है, जिससे ओवरहीटिंग के जोखिम में कमी आती है। एनपीसीसी बेहतर तापीय चालकता, आकार स्थिरता, लौ प्रतिरोध और विद्युत इन्सुलेशन प्रदान करता है, जो बैटरी माड्यूल के सुरक्षित संचालन के लिए आवश्यक है।
ईवी बैटरियों की कार्यक्षमता बढ़ती है
सिंगल और मल्टी-सेल बैटरी माड्यूल दोनों पर संपूर्ण रूप से परीक्षण किए जाने पर, यह चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के दौरान बैटरी के तापमान को काफी कम करने में सक्षम साबित हुआ है, जिससे अधिक दक्षता सुनिश्चित होती है और ईवी बैटरियों की कार्यक्षमता बढ़ती है।
यात्रियों को अतिरिक्त सुरक्षा मिलती है
यह कंपोजिट बनाने में आसान, हल्का और किफायती है, जो पारंपरिक लिक्विड-कूल्ड सिस्टम के लिए एक बेहतर विकल्प प्रदान करता है। एनपीसीसी पाइप और पंप की आवश्यकता को समाप्त करता है, जबकि असाधारण ताप अपव्यय और अग्निरोधी गुण प्रदान करता है, जिससे यात्रियों को एक अतिरिक्त सुरक्षा मिलती है।
लागत में कटौती आएंगी
आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा, इस तकनीक में ईवी के क्षेत्र को नया आकार देने की क्षमता है। गर्मी को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करके, एनपीसीसी लिथियम-आयन बैटरियों की कार्यक्षमता को बढ़ा सकता है, दूसरी बैटरी बदलने में कमी ला सकता है और निर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों के लिए प्रक्रिया संबंधी लागत में कटौती कर सकता है।
लंबे समय तक चलने वाली बैटरियां
पर्यावरण की दृष्टि से, लंबे समय तक चलने वाली बैटरियों का मतलब है कि उत्पादन के लिए कम कच्चे माल की आवश्यकता होती है और कम अपशिष्ट होता है, जो स्थिरता लक्ष्यों में योगदान देता है। वहीं, प्रोफेसर साहू ने कहा, इस नवाचार का प्रभाव ईवी से कहीं आगे तक जाता है।
जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी
यह तकनीक इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने, बैटरी की विश्वसनीयता और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए तैयार है। इसके अपनाने से क्लीनर ट्रांसपोर्टेशन की ओर बदलाव में तेजी आ सकती है, जिससे ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो सकती है।
बेंगलुरु की कंपनी ने की शुरुआत
जैसे-जैसे यह महत्वपूर्ण तकनीक पूर्ण पैमाने पर व्यावसायीकरण की ओर बढ़ रही है, यह न केवल ईवी को बदलने का वादा करती है, बल्कि किसी भी ऐसे अनुप्रयोग को बदलने का वादा करती है जिसके लिए प्रभावी थर्मल प्रबंधन की आवश्यकता होती है। इसे पहले से ही व्यावसायीकरण के लिए तैयार किया जा रहा है और सिंपल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु ने अपने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी प्राप्त कर ली है।
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