गणपति घाट में करीब 15 साल पहले निर्माण के दौरान अधिक ढलान रखने की गलती की गई थी, जो देश के सबसे बड़े ब्लैक स्पॉट में से एक बन गया था। यहां होने वाले हादसों में कमी लाने और लोगों की जिंदगियां बचाने की भावना से लगातार 17 महीने तक काम किया गया।
By PremVijay Patil
Publish Date: Sun, 01 Dec 2024 06:00:00 AM (IST)
Updated Date: Sun, 01 Dec 2024 06:00:00 AM (IST)
HighLights
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने तय समय से पहले पूरा किया कार्य
- मानव सेवा के भाव से टीम ने किया काम, उद्देश्य था जिंदगी बचाने का
- आज से गणपति घाट पर वाहनों के उतरने का सिलसिला थम जाएगा
प्रेमविजय पाटिल, धार। दुर्घटना का पर्याय बन चुके राऊ-खलघाट फोरलेन स्थित गणपति घाट पर हादसों में कमी लाने के लिए 8.8 किलोमीटर मार्ग बनाया गया है। इसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने तय समय सीमा से एक महीने पहले तैयार कर लिया।
इसके लिए केवल एक नहीं, अपितु छह पहाड़ों को काटा गया है। इनमें से एक पहाड़ की ऊंचाई 42 मीटर थी। लगातार 17 महीने तक चले काम के दौरान 12 लाख घन मीटर मिट्टी व मुरम को हटाया गया। 11 लाख घन मीटर मिट्टी व मुरम का भराव किया गया।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा
- राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के इतिहास में मध्य प्रदेश में पहली बार इस तरह पहाड़ की कटाई की गई। 106 करोड़ रुपये की लागत से बने इस 8.8 किलोमीटर लंबे मार्ग को बनाने के लिए सभी ने मानवता के आधार पर कार्य किया।
- राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल ने बताया कि गणपति घाट हमारे लिए चिंता का विषय था, क्योंकि प्रतिदिन दुर्घटनाओं के समाचार हमें मिलते रहते थे।
- ठेकेदार ने उस मशीन का उपयोग किया, जो आमतौर पर इस तरह के नौ किलोमीटर के मार्ग के निर्माण में उपयोग नहीं की जाती। यह मार्ग तीन लेन का है और इसकी चौड़ाई 10.30 मीटर है।
- इस पर विशेष सावधानी के साथ काम किया गया है। यहां ग्रेडिएंट (ढलान) को कम रखा गया है, ताकि दुर्घटनाओं की आशंका नहीं रहे।
केंद्रीय मंत्री ठाकुर करेंगी लोकार्पण
गणपति घाट पर हादसे रोकने के लिए तैयार वैकल्पिक मार्ग का लोकार्पण 30 नवंबर को सुबह केंद्रीय राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर करेंगी। वैकल्पिक मार्ग से वाहनों का जाना शुरू होने के साथ ही मौजूदा मार्ग के सात किलोमीटर का उपयोग भी सुरक्षित ढंग से किया जाएगा।
इसके तहत सात किलोमीटर के हिस्से के फोरलेन को धामनोद से इंदौर की ओर जाने के लिए उपयोग किया जाएगा। वहीं एनएच-52 फोरलेन को भी दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा।
इसमें एक लेन पर बाइक और कार निकलेंगी जबकि शेष तीन लेन पर बड़े वाहनों की आवाजाही धामनोद से इंदौर की ओर बनी रहेगी। इस तरह के परिवर्तन से वहां चढ़ाई के दौरान भी हादसों में कमी आने की संभावना है।
बड़ी बातें
- 11 लाख घन मीटर मिट्टी व मुरम का किया गया भराव
- 17 महीने तक किया गया काम
- 10.30 मीटर चौड़ा है मार्ग
- 8.8 किलोमीटर लंबा है वैकल्पिक मार्ग
- 15 सालों में 3650 हादसे हुए गणपति घाट पर
- 350 लोगों की हुई मौत
- 1850 से ज्यादा हो चुके घायल
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