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Global Investors Summit 2025: सवा लाख करोड़ से शुरू हुआ सफर, 20 लाख करोड़ की मंजिल पर अब नजर

ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट 2025(GIS 2025) में मध्य प्रदेश 20 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा है। यह आंकड़ा पिछली समिट के मुकाबले 25 प्रतिशत अधिक है। समिट में देश-विदेश के उद्योगपति भाग लेंगे और मध्य प्रदेश को वैश्विक निवेश केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगे।

By Lokesh Solanki

Publish Date: Sun, 23 Feb 2025 08:47:51 AM (IST)

Updated Date: Sun, 23 Feb 2025 09:13:10 AM (IST)

इंदौर एयरपोर्ट पर बनाया गया समिट के लिए सेल्फी प्वाइंट बनाया गया है।

HighLights

  1. आईटी और खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर में निवेश में उछाल की उम्मीद।
  2. भोपाल में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में देश-विदेश के उद्योगपति भाग लेंगे।
  3. पिछले साल के मुकाबले 25 प्रतिशत प्रस्ताव आयोजन के पूर्व ही आ गए।

लोकेश सोलंकी, नईदुनिया, इंदौर(Global Investors Summit 2025)। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के लिए लाल कालीन बिछ चुका है। प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर से बाहर आयोजित होने वाली दूसरी समिट में निवेश प्रस्ताव का आंकड़ा करीब 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। 18 साल पहले प्रदेश में हुई पहली समिट में घोषित निवेश का आंकड़ा सिर्फ एक लाख 20 हजार करोड़ रुपये का था।

2023 में आयोजित हुई सातवीं समिट में सबसे ज्यादा 15 लाख 42 हजार 514 करोड़ के निवेश प्रस्तावों का ऐलान हुआ। अगले सप्ताह भोपाल में हो रही समिट में यह आंकड़ा पीछे छूटना तय माना जा रहा है क्योंकि बीते इंवेस्टर्स समिट के मुकाबले करीब 25 प्रतिशत निवेश प्रस्ताव तो आयोजन शुरू होने के पहले ही प्रदेश की मुट्ठी में आ चुके हैं।

देश-विदेश में हो चुके 14 आयोजन

मोहन सरकार के दो वर्षों में इंवेस्टर्स समिट के प्रमुख आयोजन के पहले ही उद्योगों से जुड़े 14 आयोजन प्रदेश-देश और विदेश में हो चुके हैं। उज्जैन, ग्वालियर, सागर, रीवा, नर्मदापुरम और शहडोल की रीजन इंडस्ट्री कान्क्लेव के साथ मुंबई, कोयंबटूर, बेंगलुरु और कोलकाता व जर्मनी, ब्रिटेन और जापान में रोड शो के जरिए 3.90 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव पहले से पाइपलाइन में हैं।

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शहर के फ्लाइओवर को रोशनी से सजाया गया।

उद्योगों को लाने के लिए बड़ा किया कैनवास

यह आंकड़ा ही बीती समिट के मुकाबले करीब 25 प्रतिशत हो जाता है। ऐसे में चौथाई सफर मुख्य आयोजन से पहले ही तय हो चुका है। प्रदेश ने इस बार उद्योगों को लाने के लिए कैनवास भी बड़ा किया है और इंदौर-उज्जैन-भोपाल से आगे अलग-अलग जिलों तक उद्योगों को ले जाने की कोशिश हो रही है। इस विस्तार का लाभ भी निवेश प्रस्ताव के आंकड़ों में दिखने की पूरी उम्मीद है।

कांग्रेस सरकार में सिकुड़ा था आंकड़ा

बीते सभी ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट पर नजर डाली जाए तो कांग्रेस की कमल नाथ सरकार के दौरान 2019 में हुई समिट में निवेश का आंकड़ा सिकुड़कर 74 हजार करोड़ रुपये पर टिक गया था। हालांकि तब सरकार ने इसे निवेश प्रस्ताव नहीं, करार बताया था। इससे पहले 2007 की पहली समिट से लेकर 2016 की पांचवीं और 2023 की अंतिम सातवीं समिट तक निवेश प्रस्ताव का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही दिखा है।

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इंदौर एयरपोर्ट पर समिट के लिए बनाया वेटिंग एरिया।

उम्मीद आईटी और खाद्य प्रसंस्करण से

2023 में हुई समिट में सबसे ज्यादा करीब छह लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) सेक्टर से मिले थे। खाद्य प्रसंस्करण व आईटी सेक्टर तीसरे व चौथे नंबर पर था।

आईटी क्षेत्र के जानकार अब कह रहे हैं कि इस साल की समिट में खाद्य प्रसंस्करण तो आगे रहेगा ही क्योंकि मप्र अब भी कृषि आधारित राज्य है। लेकिन आईटी सेक्टर में निवेश हिस्सेदारी में भी उछाल आ सकता है।

इसका विशेष कारण है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर जोर और मप्र में उद्योगों की स्थापना व परिचालन पर होने वाला कम खर्च। साथ ही डालर व रुपये के बीच बढ़ते अंतर से भी आईटी सेक्टर को लाभ मिलता दिख रहा है।

ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट 2023 में घोषित निवेश व सेक्टर

  • नवीकरणीय ऊर्जा 6,09,478 करोड़ रुपये
  • नगरीय आधारभूत संरचना 2,80,753 करोड़ रुपये
  • खाद्य और कृषि प्रसंस्करण 1,06,149 करोड़
  • आईटी व एलाइड सेक्टर 78,778 करोड़
  • रसायन व पेट्रोलियम 76,769 करोड़
  • सेवा क्षेत्र 71,351 करोड़
  • ऑटोमोबाइल ईवी 42,254 करोड़
  • औषधि और स्वास्थ्य सेवा 17,991 करोड़
  • लाजिस्टिक वेयर हाउसिंग 17,916
  • टेक्सटाइल रेडिमेड गारमेंट 16,914 करोड़
  • अन्य सेक्टर 1,25,855 करोड़

बीती ग्लोबल इंवेस्टर समिट में आए निवेश प्रस्ताव

  • 2007- 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये
  • 2010- 2 लाख 35 हजार करोड़ रुपये
  • 2012- 3 लाख 50 हजार करोड़ रुपये
  • 2014- 4 लाख 35 हजार करोड़ रुपये
  • 2016- 5 लाख 63 हजार करोड़ रुपये
  • 2019- 74 हजार करोड़ रुपये
  • 2023- 15 लाख 42 हजार 514 करोड़ रुपये

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा अनुदान

बीती समिट में जितने भी निवेश के वादे हुए, वे प्रक्रिया में हैं। उद्योग दो या चार दिन में नहीं लगता। पहले प्रस्ताव बनता है फिर बोर्ड मीटिंग होती है। मशीन का आर्डर होता है और उद्योग जमीन पर उतरता है। मप्र ईज आफ डूइंग बिजनेस में भारत में टाप फाइव में है। उद्योगों को सबसे ज्यादा अनुदान प्रदेश में मिल रहा है। भारत विश्व का मैन्युफैक्चरिंग कैपिटल और मप्र भारत का मैन्युफैक्चरिंग कैपिटल के रूप में तैयार हो रहा है। दो माह में सरकार ने 28 से 30 नीतियों में बदलाव किया है। नई पालिसी से निवेश तुरंत आएंगे। सात रीजनल कान्क्लेव व देश के शहरों व विदेश में हुए रोड शो से निवेशकों के बीच सकारात्मक संदेश गया है। – आशीष वैश्य, चेयरमैन सीआईआई मप्र चैप्टर

आईटी उद्योग के लिए बेहतर मौका

आईटी इंडस्ट्री पूरी तरह निर्यात पर आधारित होती है। साफ्टवेयर से लेकर सेवाएं तक निर्यात होती हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी इस क्षेत्र के लिए लाभ बढ़ाती है। यह भी तथ्य है कि बेंगलुरु, हैदराबाद के मुकाबले मप्र के किसी शहर में 80 प्रतिशत लागत में वहां से तीन गुना बड़ी आईटी कंपनी स्थापित हो जाती है। नया दौर एआई और क्लाउड का है, ऐसे में आईटी सेक्टर के निवेश में उछाल आएगा। – अभिजीत व्यास, प्रमुख वैश्विक आइटी कंपनी के पूर्व पदाधिकारी

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