रिपोर्ट के अनुसार, सोना उगलने वाले ज्वालामुखी का नाम माउंट एरेबस (Mount Erebus) है। यह अंटार्कटिक में एक्टिव 138 ज्वालामुखियों में से एक है।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (Nasa) के अनुसार, ज्वालामुखी, क्रस्ट के पतले टुकड़े के ऊपर स्थित होता है। ऐसे में पिघलने वाली रॉक्स पृथ्वी के आंतरिक भाग से ऊपर उठती हैं और रेगुलर तौर पर गैस और भाप का उत्सर्जन करती हैं। इस दौरान ज्वालामुखी में विस्फोट भी होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, साल 1972 के बाद से माउंट एरेबस में एक लावा झील भी बनी है।
न्यू यॉर्क में कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एक अर्थ ऑब्जर्वेटरी से जुड़े कॉनर बेकन ने लाइव साइंस को बताया कि माउंट एरेबस में करीब 1972 से लगातार विस्फोट हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह ज्वालामुखी अपनी “लावा झील” के लिए भी मशहूर है। इस ज्वालामुखी के टॉप पर गड्ढे हैं। उसमें सतह का पिघला हुआ पदार्थ मौजूद है। यह वास्तव में काफी दुर्लभ हैं।
ज्वालामुखी की भाैगोलिक स्थिति ऐसी है कि इस पर नजर रखने में मुश्किल आती है। अंटार्कटिक के डिसेप्शन आईलैंड से माउंट एरेबस के बारे में जानकारी जुटाई जाती रहती है। वहीं से वैज्ञानिकों को इससे निकलने वाली गैसों में क्रिस्टलीकृत सोने का पता चला है। वैज्ञानिकों को लगता है कि जब इस ज्वालामुखी के आसपास ज्यादा रिसर्च इंस्ट्रूमेंट लगाए जाएंगे और उन्हें और नई जानकारियां मिल सकती हैं।
माउंट एरेबस पर वैज्ञानिकों तक के लिए पहुंचना मुश्किल है तो आम आदमी का वहां जा पाना नामुमकिन है। यह जगह धरती के सबसे दक्षिण में मौजूद स्पिवर ज्वालामुखी से भी 621 मील दूर है। यह जगह पूरी तरह बर्फ से ढकी है। बहुत ऊंचाई पर है, जहां तापमान माइनस में ही रहता है।
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2024-04-19 08:29:28
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