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Indore BRTS: कोलंबिया के शहर बगोटा की तर्ज पर इंदौर में बना बीआरटीएस, अब आई हटाने की नौबत

इंदौर में बीआरटीएस कॉरिडोर(Indore BRTS Corridor) बनने से पहले एबी रोड का हिस्सा 11.45 किलोमीटर का हिस्सा टू लेन हुआ करता था और उसकी चौड़ाई नौ मीटर थी। बीआरटीएस निर्माण के दौरान इसे 60 मीटर किया गया था। इसके निर्माण के लिए एबी रोड पर मौजूद कई प्रतिष्ठानों ने स्वेच्छा से अपनी जमीन भी दी थी।

By Prashant Pandey

Publish Date: Fri, 22 Nov 2024 10:01:52 AM (IST)

Updated Date: Fri, 22 Nov 2024 10:13:43 AM (IST)

इंदौर के विजयनगर से एलआईजी चौराहे की ओर जाने वाले मार्ग पर मिक्स लेन में वाहनों की भरमार है और बीआरटीएस लेन खाली पड़ी है। फोटो – राजू पवार

HighLights

  1. कोलंबिया के बगोटा में साल 2000 में लागू हुआ था बीआरटीएस मॉडल।
  2. इंदौर के अधिकारी इसे देखने गए थे और यहां आकर उसे लागू किया था।
  3. 12 साल के अंदर ही अब बढ़ते ट्रैफिक से इसे हटाने की स्थिति बन गई है।

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर (Indore BRTS Corridor)। देश में सिटी बसों को सार्वजनिक परिवहन रूप में शुरू करने के बाद बीआरटीएस इस परिकल्पना के साथ बनाया गया था कि यह सार्वजनिक परिवहन में मील का पत्थर साबित होगा। बनने के बाद से ही बीआरटीएस प्रोजेक्ट विवादों में रहा और जनप्रतिनिधियों में भी आधे इसके पक्ष तो आधे विपक्ष में रहे।

अब इसी ऊहापोह के बीच सरकार भोपाल के बाद इंदौर में भी बीआरटीएस को हटाने के निर्णय पर पहुंच गई है। कोलंबिया के बगोटा में वर्ष 2000 में लागू बीआरटीएस के मॉडल को इंदौर ने अपनाया। इंदौर के अधिकारी उस मॉडल को देखने भी गए और उसे इंदौर में आकर लागू किया।

इंदौर में 106.50 किलोमीटर हिस्से में बीआरटीएस की परिकल्पना की गई लेकिन इसमें से पायलट कॉरिडोर के रूप में एबी रोड पर 11.45 किलोमीटर हिस्सा ही बन सका। अब 12 साल में ही इस बीआरटीएस को हटाने की नौबत आ गई है।

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आईआईटी व अन्य विशेषज्ञों की रही थी अहम भूमिका

जब बीआरटीएस को तैयार किया जा रहा था तो उसके लिए आइआइटी दिल्ली, डब्ल्यूआरआइ व सैप्ट के विशेषज्ञों की भी अहम भूमिका रही। बीआरटीएस को तैयार करने का उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देना था। एक आइ बस में कुल 65 यात्री सफर करते हैं, जिससे 20 कारों का बोझ सड़क पर कम होता है।

बीआरटीएस में यह रहीं कमियां

  • मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी अधूरी : बीआरटीएस पर बने आइ-बस स्टाप से शहर के अन्य हिस्सों में जाने के लिए सिटी बस, आटो व ई-रिक्शा का प्रापर समन्वय नहीं किया गया।
  • पार्किग न होना : बस स्टाप के पास कार व दो पहिया वाहनों की पार्किंग न होना। इससे जो लोग बस में सफर करना चाहते हैं, उनके सामने वाहन रखने की समस्या।
  • सीमित नेटवर्क : सिर्फ एबी रोड के 11.45 किलोमीटर में आने-जाने की बस सुविधा।

बसों को प्राथमिकता देना है तो बीआरटीएस को रखना होगा

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यदि कोई सरकार बसों को प्राथमिकता देती है तो बीआरटीएस को रखना होगा। इसे हटाने से कोई फायदा नहीं है। यदि उसमें कोई दिक्कत है तो स्टडी कर दूर किया जाना चाहिए। बीआरटीएस से बसों को हटाया तो बसें ट्रैफिक जाम में फंसेंगी। प्रदूषण भी बढ़ेगा। – गीतम तिवारी, प्रोफेसर आईआईटी दिल्ली (वे आइआइटी दिल्ली के ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च एंड इंज्युरी प्रिवेंशन सेंटर की पूर्व विभागाध्यक्ष हैं )

क्या कहते हैं बीआरटीएस के शिल्पकार

पायलट प्रोजेक्ट तो सफल रहा, वाहनों की बढ़ी संख्या ने उठाए सवाल

बीआरटीएस के निर्माण में लोगों ने आगे बढ़कर स्वेच्छा से जमीन दी। कॉरिडोर पर आइ-बसें यात्रियों से भरी रहती हैं। बीआरटीएस का पायलट प्रोजेक्ट तो सफल रहा, लेकिन शहर की जनसंख्या के साथ वाहनों की संख्या भी बढ़ी। बढ़े वाहनों के लिए जगह की कमी हो रही है। आई-बस में भले कार वाले सफर नहीं कर रहे लेकिन आम लोगों के लिए यह काफी उपयोगी है। – केके माहेश्वरी, तत्कालीन चीफ इंजीनियर आईडीए

लोक परिवहन के लिए रहा उपयोगी

बगोटा में जगह ज्यादा चौड़ी होने के कारण बीआरटीएस का नेटवर्क आसानी से बना था। इंदौर में पायलट कॉरिडोर के लिए जमीन लेने की मशक्कत थी। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के हिसाब से इंदौर का बीआरटीएस काफी उपयोगी रहा। – वीके गंगवाल, तत्कालीन अधीक्षण यंत्री, आईडीए

कॉरिडोर हटा तो बसों का 15 मिनट का सफर आधे घंटे में पूरा होगा

इंदौर में बीआरटीएस का परिकल्पना थी कि बसों के लिए डेडिकेटेड कॉरिडोर बने। यदि इसकी रिंग पूरी बनती तो ज्यादा लोग उपयोग करते। यदि आइ-बसों को कॉरिडोर के बजाए मिक्स लेन में चलाया जाएगा तो 15 मिनट का सफर आधे घंटे में पूरा होगा। – आशुतोष मुदगल, तत्कालीन चीफ इंजीनियर आईडीए

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