पीटीआई और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, प्रोपल्शन मॉड्यूल को लेकर इसरो यह मान रही थी कि वह 3 महीने काम करेगा। लेकिन अभी इसमें इतना ईंधन बाकी है कि यह कई साल काम कर सकता है। प्रोपल्शन मॉड्यूल का शुरुआती काम चंद्रमा की अंतिम कक्षा में पहुंचकर लैंडर को अलग करना था। इसके बाद इसरो ने पीएम में लगे ‘स्पेक्ट्रो-पोलरीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लेनेट अर्थ’ (SHAPE) को शुरू किया। अनुमान था कि यह 3 महीने चलेगा।
Chandrayaan-3 Mission:
Ch-3’s Propulsion Module (PM) takes a successful detour!
In another unique experiment, the PM is brought from Lunar orbit to Earth’s orbit.
An orbit-raising maneuver and a Trans-Earth injection maneuver placed PM in an Earth-bound orbit.… pic.twitter.com/qGNBhXrwff
— ISRO (@isro) December 5, 2023
हालांकि चंद्रमा की कक्षा में काम करने के एक महीने से भी अधिक समय बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल में 100 किलो से ज्यादा ईंधन बचा रहा। इसरो का कहना है कि प्रोपल्शन मॉड्यूल में बचे ईंधन का इस्तेमाल भविष्य के मून मिशन के लिए और जानकारी जुटाने के लिए किया जाएगा। ऐसे में इसे वापस पृथ्वी की कक्षा में लाने का फैसला किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, इसी साल 9 अक्टूबर को प्रोपल्शन मॉड्यूल को उसकी कक्षा यानी ऑर्बिट बदलने की कमांड दी गई। जिस तरह वह पृथ्वी से चांद की ओर गया, उसी तरह चांद से पृथ्वी की ओर आने लगा। 22 नवंबर को आखिरी बार प्रोपल्शन मॉड्यूल का ऑर्बिट बदला गया। अब यह एक ऐसी कक्षा में है, जहां सेफ है और इसे किसी सैटेलाइट या अन्य चीजों से खतरा नहीं है।
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2023-12-06 11:05:11
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