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MP के बजट में ख्वाहिशें, आजमाइशें, फरमाइशें और कोशिशें: लाड़ली बहनों के बुढ़ापे का ख्याल, गाय के साथ दूध पर भी ध्यान – Madhya Pradesh News

सातवीं बार। न दृश्य बदला, न तस्वीर। दृश्य– घर में पूजा–पाठ, पत्नी के हाथ तिलक और तस्वीर– हाथ में मेहरून रंग का लेदर का बैग। मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा बुधवार को बजट पेश करने अपने बंगले से निकले। विधानसभा में बजट पेश करते हुए उन्होंने शुरु

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बकौल देवड़ा, गौर फरमाइए–

बजट नया है, पर शामिल कुछ पुरानी ख्वाहिशें हैंं,

प्रस्तावित बजट में हमारी कुछ नई आजमाइशें हैं।

जनता व जनप्रतिनिधियों की बेशुमार फरमाइशें हैं,

कर सकें हम सभी पूरी, ये हमारी कोशिशें हैं।

मंत्री देवड़ा ने अपने भाषण में कई शेर पढ़े तो गीता के श्लोक भी पढ़े।

बजट को इन चार बातों से ही समझते हैं…

  • पुरानी ख्वाहिशें… यानी सरकार के कुछ पुराने वादे – घोषणाएं
  • नई आजमाइशें…यानी सरकार की नई योजनाएं, नए ऐलान
  • बेशुमार फरमाइशें…यानी लोगों और जनप्रतनिधियों की बड़ी उम्मीदें
  • हमारी कोशिशें… यानी सरकार की ओर से किए गए प्रयास

..और जो बोले नहीं

  • हमारी बंदिशें… यानी सरकार की मजबूरी और सीमाएं

1. पुरानी ख्वाहिशें…गाय और गीता के लिए काम श्रीकृष्ण पाथेय योजना के बारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कई अवसरों पर जिक्र कर चुके हैं। बजट में इसका जिक्र करते हुए बताया गया कि मध्यप्रदेश में जहां भी भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े, उन स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए 10 करोड़ रुपए रखे गए हैं। इसी तरह राम वन पथ गमन योजना के प्लान पर काम कई वर्षों से चल रहा है। इसका भी जिक्र करते हुए 30 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

शहरों में गीता भवन बनाने का ऐलान मुख्यमंत्री कर चुके हैं, इसके लिए भी 100 करोड़ रखे गए हैं। रोडवेज बंद होने के बाद पब्लिक ट्रांसपोर्ट के ध्वस्त सिस्टम को रोड पर लाने की बात सरकार कई बार कह चुकी है। इसका भी बजट में ध्यान रखा गया है। मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा योजना सरकार ला रही है। दावा किया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ता और सुलभ परिवहन उपलब्ध होगा।

सरकार ने अपने वादे के मुताबिक गायों का भी ध्यान रखा है। गोशालाओं में एक गाय के आहार के लिए प्रतिदिन 20 रुपए मिलते हैं, इसे बढ़ाकर 40 रुपए कर दिए हैं। दुग्ध संघ को दूध सप्लाई करने वाले किसानों को प्रति लीटर 5 रुपए बोनस देने का भी ऐलान किया है।

2. नई आजमाइशें…20 नए ऐलान, मजरे-टोले में सड़क बनेगी बजट में कम से कम 20 नए ऐलान किए गए हैं। कुछ नई योजनाएं और कुछ नई पहल। जैसे– जिला विकास समिति। इसमें मुख्यमंत्री अध्यक्ष होंगे और प्रभारी मंत्री उपाध्यक्ष। इसका काम जिले की विकास योजना का रोडमैप तैयार और मॉनिटरिंग करना। अब तक यह काम जिला योजना समिति करती थी, जिसके मुखिया प्रभारी मंत्री रहते थे। यानी जिला स्तर के कामों में सीधे मुख्यमंत्री इन्वाॅल्व होंगे।

नए पुल–पुलिया बनाने की योजना तो होती है, लेकिन क्षतिग्रस्त पुलों को बनाने के लिए भी एक योजना लॉन्च कर दी गई है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सीएम केयर योजना लाए हैं। मुख्यमंत्री मजरा–टोला सड़क योजना, वृंदावन ग्राम योजना, सीएम युवा शक्ति योजना जैसी नई योजनाओं के मार्फत गांव से लेकर युवाओं पर फोकस किया है।

बजट पेश करने के दौरान सत्ता पक्ष ने कई बार मेज थपथपाकर मंत्री की तारीफ की। वहीं विपक्ष के विधायक विरोध जताते नजर आए।

बजट पेश करने के दौरान सत्ता पक्ष ने कई बार मेज थपथपाकर मंत्री की तारीफ की। वहीं विपक्ष के विधायक विरोध जताते नजर आए।

3. बेशुमार फरमाइशें…लाड़ली बहनों और टैक्स पेयर्स की उम्मीदें हर बार की तरह इस बार भी बजट को लेकर परंपरागत उम्मीदें थीं। सबसे बड़ी उम्मीद यही रहती है कि सरकार कुछ टैक्स कम कर राहत देगी। लाड़ली बहना आस लगाए बैठी हैं कि हर महीने मिलने वाली राशि में कुछ बढ़ोतरी होगी। कर्मचारी डीए को लेकर आशान्वित थे। उज्जैन को 2028 में होने वाले सिंहस्थ को लेकर तो इंदौर को नए फ्लाई ओवर के ऐलान की उम्मीद।

विधायक चाहते हैं कि उनके क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा काम हो और जागरूक विधायक बजट से पहले अपनी उम्मीदों का पुलिंदा मंत्रियों को थमा कर फॉलोअप करते रहते हैं। वित्त मंत्री ने इसीलिए जनप्रतिनिधियों की फरमाइशों का जिक्र किया है।

4. हमारी कोशिशें…नीति बना सकते हैं, परिणाम हाथ में नहीं यहां वित्त मंत्री का तात्पर्य ऐसे कदम, फैसले या नीतियों से है, जिसका परिणाम लाना सरकार के हाथ में नहीं होता है, जैसे-औद्योगिक निवेश। हाल ही में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 26 लाख 81 हजार करोड़ के निवेश के प्रस्ताव मिलने का दावा सरकार ने किया है।

सरकार की ओर से बताया गया है कि 21 लाख से ज्यादा नए रोजगार पैदा होंगे। सरकार की इस कोशिश का परिणाम उद्योगपतियों के हाथों में है। किसानों की आय दोगुना करने के प्रयासों का जिक्र भी बजट में किया गया है। बताया है कि इसके लिए सरकार क्या कर रही है।

5. हमारी बंदिशें…खजाने की हालत ऐसी कि टैक्स राहत नहीं वित्तमंत्री देवड़ा ने बंदिशों यानी मजबूरियों का जिक्र तो नहीं किया, लेकिन यह भी एक बड़ा फैक्टर है, जो लोगों की उम्मीदों को पूरा करने में आड़े आता है। सबसे बड़ी मजबूरी तो प्रदेश के खजाने की स्थिति है। राजकोषीय घाटा जैसे भारी–भरकम शब्द से अलग बात करें तो प्रदेश की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि टैक्स कम कर लोगों को सीधे राहत दे सकें। हालात ऐसे हैं कि सरकार को कर्ज पर कर्ज लेना पड़ रहा है।

अब 5 लोगों के सवालों से समझते हैं सरकार ने किसका कितना ध्यान रखा

1. सरकार हम लाड़ली बहनों के 3000 रुपए कब करेगी? – सोनम सराठे, लाड़ली बहना सभी बहनों को यह समझना होगा कि यह पूरी तरह चुनाव जिताऊ स्कीम है और यह भी ध्यान में रखना होगा कि निकट भविष्य में मध्यप्रदेश में कोई चुनाव भी नहीं है, इसलिए इंतजार करना चाहिए। वैसे भी सरकार एक साथ तीन हजार रुपए करने वाली नहीं है। बढ़ाएगी भी तो 250 रुपए के हिसाब से किस्तों में। कहा जा रहा था कि सरकार इस साल राखी पर 250 रुपए की बढ़ोतरी कर 1500 रुपए कर सकती है लेकिन बजट में लाड़ली बहना के लिए जितनी राशि रखी गई है, उससे इसकी संभावना भी नहीं लग रही है।

वित्त मंत्री ने बताया है कि 1.27 करोड़ लाड़ली बहना है। इनके लिए 18 हजार 669 करोड़ रखे गए हैं। इसका मतलब है कि इस साल भी लाड़ली बहनों की संख्या कम होगी। 1250 रुपए प्रति महीने के हिसाब से लाड़ली बहनों को सालभर मिलने वाली राशि का जोड़ निकाला जाए तो यह 19 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा होती है।

सरकार निश्चत तौर पर चुनावी दूरदृष्टि रखेगी। कल्पना की जा सकती है कि चुनाव से पहले तक किस्तों में निर्णय लेते हुए राशि 2500 रुपए कर दें फिर चुनावी साल में 500 रुपए का ऐलान कर लाड़ली बहनों को खुश कर दे और विपक्ष को चुप।

हां, सरकार ने लाड़ली बहनों के बुढ़ापे का ध्यान जरूर रखा है। पीएम जीवन सुरक्षा योजना, पीएम जीवन ज्योति योजना और अटल पेंशन योजना से जोड़ने की बात कही है।

2. सरकार पेट्रोल–डीजल पर वैट कम क्यों नहीं कर रही? – सुनील, मैकेनिक सरकार की सीधी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा आपकी– हमारी गाड़ियों के साइलेंसर से निकलने वाले धुएं से आ रहा है। जितनी ज्यादा गाड़ियां दौड़ेंगी, उतनी ज्यादा पेट्रोल–डीजल की खपत होगी और उतना ही ज्यादा सरकार को वैट मिलेगा। गणित को समझिए– प्रदेश में पेट्रोल पर सरकार 29% और डीजल पर 19% वेट वसूलती है। इसके अलावा पेट्रोल पर 2.50 रुपए और डीजल पर सरकार 1.50 रुपए प्रति लीटर सेस लेती है। इससे सरकार को करीब 20 हजार करोड़ रुपए की आय होती है। यही वजह है कि सरकार इस पर भी गौर नहीं करती है कि वैट की वजह से ही पड़ोसी राज्यों से हमारे यहां पेट्रोल–डीजल महंगा है।

एक उदाहरण – टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से यूपी का बानपुर 10 किमी दूर है। बानपुर में पेट्रोल के दाम 95.39 और डीजल 88.54 रुपए है। टीकमगढ़ में पेट्रोल 107.34 और डीजल 92.63 रुपए लीटर है। यानी यूपी में पेट्रोल एमपी से 11.95 रुपए सस्ता। डीजल भी 4.09 रुपए सस्ता। इसी वजह से उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे पेट्रोल पंप पर अक्सर ग्राहकों का इंतजार ही होता है। 15 मिनट का सफर तय कर लोग यूपी में टैंक फुल करवा लेते हैं।

वैसे मध्यप्रदेश में वैट कम होने की उम्मीद इसलिए जगी थी कि पड़ाेसी राज्य छत्तीसगढ़ में सरकार ने अपने बजट में टैक्स घटाकर पेट्राल एक रुपए सस्ता किया था।

3. कर्मचारियों का कितना ध्यान रखा ? – राजीव तंतवार, सरकारी कर्मचारी केंद्र सरकार की यूनिफाइड पेंशन योजना को मध्यप्रदेश में भी लागू करने का संकेत सरकार ने इस बजट में दिया है। बजट में बताया गया है कि इसके लिए हाई लेवल कमेटी बनाई जाएगी। इसके बाद प्रदेश के कर्मचारी भी केंद्रीय कर्मचारियों की तरह यूनिफाइड पेंशन के ऑप्शन को चुन सकेंगे।

कर्मचारियों के लिए एक बड़ा ऐलान सातवें वेतन आयोग के मुताबिक भत्तों को लेकर भी हुआ है। 1 अप्रैल 2025 से कर्मचारियों का गृह भाड़ा, परिवहन भाड़ा जैसे भत्ते बढ़ सकते हैं, कितने बढ़ेंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं है।

सरकारी अधिकारी–कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा डीए यानी महंगाई भत्ता ही रहता है। इसी से साल में दो बार तनख्वाह में बढ़ोतरी की उम्मीद रहती है। हर बार यह उम्मीद केंद्र सरकार जब डीए बढ़ाने की घोषणा करती है तब–तब जग जाती है। राज्य के बजट में सीधे डीए बढ़ाने की घोषणा सामान्यत: सरकार नहीं करती है, हां, सालभर के लिए प्रावधान जरूर किया जाता है। शिवराज सरकार के कार्यकाल में एक मर्तबा जरूर डीए बढोतरी की सीधी घोषणा की गई थी।

फिलहाल केंद्र और राज्य के डीए में 3 प्रतिशत का अंतर है। केंद्रीय कर्मियों को 53% को डीए मिल रहा है और राज्य के कर्मचारियों को 50%। राज्य सरकार किसी उचित अवसर पर ही ऐलान करेगी, तब तक कर्मचारियों को इंतजार ही करना होगा।

4. हम किसानों कितना ध्यान रखा बजट में ?– देवेंद्र डांगी, किसान किसानों को किसान सम्मान निधि के छह हजार रुपए हर साल राज्य सरकार की ओर से मिलते रहेंगे। मुख्यमंत्री कृषक उन्नति योजना सरकार शुरू करने जा रही है। इसका फायदा उन किसानों को मिलेगा जो परंपरागत रूप से एक या दो फसलें लेते हैं। उन्हें एक सहायक फसल लेने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। सबसे बड़ा फायदा दूध उत्पादन करने वालों किसानों को मिलने वाला है। दुग्ध संघ के लिए दूध देने वाले किसानों को प्रति लीटर पांच रुपए की प्रोत्साहन राशि सरकार देगी और इसके लिए बजट में 50 करोड़ रखे गए हैं।

5. युवाओं के लिए बजट में क्या कुछ है? – सुनील युवा मतलब नौकरी की उम्मीद। सीधे सरकारी नौकरियों का ऐलान इस बार बजट में नहीं हुआ है। सरकार ने बताया है कि 39 नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं, जिससे 3 लाख से ज्यादा युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना रहेगी।

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