मध्य प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा साइबर ठगी नेटवर्क सामने आया है, जिसमें 23 आरोपितों को पकड़ा गया। आरोपित म्यूल अकाउंट्स, हवाला और क्रिप्टो करेंसी का उपयोग करते हुए दो हजार करोड़ रुपये तक की ठगी कर चुके थे। पुलिस ने जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और सामग्री जब्त की।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Mon, 13 Jan 2025 08:08:42 PM (IST)
Updated Date: Mon, 13 Jan 2025 08:28:53 PM (IST)
HighLights
- साइबर ठगी नेटवर्क के 23 आरोपित पकड़े गए।
- सबसे ज्यादा ठगी ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर हुई।
- हवाला और क्रिप्टो करेंसी के जरिए पैसे का लेन-देन।
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया: भोपाल। मध्य प्रदेश में अब तक के सबसे बड़े साइबर ठगी के नेटवर्क का राजफाश हुआ है। साइबर पुलिस व मध्य प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) के अधिकारियों ने इस नेटवर्क द्वारा दो हजार करोड़ रुपये तक की साइबर ठगी का अनुमान लगाया है।
इस नेटवर्क से जुड़े 23 आरोपितों को साइबर पुलिस सतना, जबलपुर, हैदराबाद और गुरुग्राम से पकड़ चुकी है। इनसे की गई पूछताछ और अब तक की जांच में सामने आया है कि आरोपित ठगी की राशि को म्यूल अकाउंट में डालते थे।
हवाला, क्रिप्टो करेंसी का उपयोग
पूछताछ में यह भी पता चला है कि आरोपित हवाला, क्रिप्टो करेंसी आदि का उपयोग भी पैसा इधर से उधर करने के लिए करते थे। म्यूल अकाउंट से दुबई सहित दूसरे देशों में धनराशि भेजने की जानकारी भी मिली है। इस कारण इसे टेरर फंडिंग से जोड़कर देखा जा रहा है।
बता दें कि खुफिया सूचना के आधार पर जबलपुर साइबर पुलिस ने सात जनवरी को मध्य प्रदेश के सतना और जबलपुर जिलों से 12 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। उसके अगले दिन छह अन्य को गिरफ्तार किया गया।
हिरासत में छह संदिग्ध
उधर, सात जनवरी को ही मध्य प्रदेश एटीएस ने गुरुग्राम के फ्लैट में दबिश देकर छह संदिग्धों को हिरासत में लिया था, जिसमें बिहार निवासी एक संदिग्ध की मौत हो गई, अन्य पांच को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था। बताया जा रहा है कि इन आरोपितों में मास्टर माइंड सतना का रहने वाला मोहम्मद मासूक और साजिद खान हैं।
मासूक को गुरुग्राम और साजिद को सतना से गिरफ्तार किया गया था। एटीएस और साइबर पुलिस पूरे नेटवर्क की तह तक जाने में जुटी हुई है, हालांकि गुरुग्राम में हिरासत में एक संदिग्ध मौत के चलते फिलहाल पूछताछ कमजोर पड़ गई।
ऐसे करते थे साइबर ठगी
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, अब तक साइबर ठगी के जो आरोपित पकड़े गए हैं, उनसे पूछताछ में सामने आया है कि वे सरकारी योजनाओं को लाभ दिलाने के लिए लोगों के बैंक खाते खुलवाते थे। आमतौर पर गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के लोगों को चुनते थे।
चालाकी यह करते थे कि खाते में मोबाइल नंबर अपना डलवाते थे, जिससे बैंक खाते से लेनदेन पर उनका पूरा नियंत्रण रहे। सबसे अधिक ठगी ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर की गई। इन सभी के पास से जब्त लैपटाप, मोबाइल फोन, क्यूआर कोड, सिम कार्ड, बैंक खाते आदि की जांच चल रही है। इससे ठगी का पूरा नेटवर्क और राशि का पता चलेगा।
क्या है म्यूल अकाउंट
अपराधी किसी निर्दोष व्यक्ति के दस्तावेज से खाते खोल लेते हैं। किसी व्यक्ति को गुमराह कर उसके खाते का उपयोग करते हैँ। दोनों स्थितियों में अपराध से ऐंठा गया पैसा रखकर अपराधी बैंक गए बिना ही राशि इधर से उधर करते हैं। इन खातों से पैसा कितनी बार, कहां ट्रांसफर हुआ यह पता करना मुश्किल होता है।
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