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MP Tiger Sanctuary: बाघों के घर में फिर लौट रहा ट्रैकिंग का दौर, विदेशी पर्यटक भी लेंगे आनंद

मप्र पर्यटन बोर्ड की अपर प्रबंध संचालक बिदिशा मुखर्जी ने बताया कि समृद्ध प्राकृतिक संपदा मध्यप्रदेश की पहचान है। राष्ट्रीय उद्यानों में ट्रैकिंग के माध्यम से देश-दुनिया के पर्यटक इसे करीब से अनुभूत कर सकते हैं। इसके शुरू होने से प्रदेश में पर्यटन को बढ़ाव मिलेगा और अधिक से अधिक पर्यटन मप्र को जान सकेंगे।

By prashant vyas

Publish Date: Sun, 17 Nov 2024 09:38:04 PM (IST)

Updated Date: Sun, 17 Nov 2024 09:38:04 PM (IST)

साइक्लिंग करते पर्यटक।

HighLights

  1. पेंच बाघ अभ्यारण्य में मोगली ट्रैकिंग से होगी शुरुआत।
  2. बांधवगढ़, पन्ना नेशनल पार्क और पचमढ़ी में भी आयोजन।
  3. तीन बाघ अभयारण्यों सहित छह अलग-अलग स्थान शामिल।

नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। बाघों के घर में कोविड की वजह से बंद हुआ ट्रैकिंग का दौर फिर से शुरू हो रहा है। इस वर्ष सर्दियों में प्रदेश के तीन बाघ अभयारण्यों सहित छह अलग-अलग स्थानों पर वन विभाग और पर्यटन विभाग के सहयोग से ट्रैकिंग का आयोजन किया जाना है।

पेंच बाघ अभयारण्य में मोगली ट्रैकिंग से सीजन की शुरूआत हो चुकी है। इसी माह से पन्ना बाघ अभयारण्य और बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य में भी ट्रैकिंग के नए बैच शुरू होगें। साथ ही पचमढ़ी समेत अन्य दो स्थानों को भी ट्रैकिंग के लिए चिन्हित किया गया है। इनमें दिसंबर और जनवरी में ट्रैकिंग होगी। विशेष बात यह है कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर हो रही ट्रैकिंग में शामिल होने इजराइल सहित कई अन्य देशों के पर्यटक भी शामिल होने आ रहे हैं।

बाघ अभयारण्य के बफर जोन में पैदल जाने का मौका

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पेंच बाघ अभयारण्य में दो नवंबर से मोगली ट्रैकिंग शुरू हुई थी। यह बाघ अभयारण्य के बफर जोन में पैदल जाने का दुर्लभ मौका है। यहां ट्रेकिंग के लिए बफर जोन के बीचों-बीच 70 किलोमीटर का एक ट्रैक बनाया गया है। बांधवगढ़, पेंच और पन्ना टाइगर रिजर्व के अलावा पचमढ़ी के जंगलों में भी अलग-अलग विशेषताएं हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

तीन दिन की ट्रैकिंग में रोमांच और शुकून

70-80 किलोमीटर का यह ट्रैक सैलानी तीन दिन में घूमते हुए पूरा करेंगे। इस दौरान वे जंगल की पगडंडी जैसे रास्तों पर चलेंगे, वहां के पेड़-पौधों, नदी-तालाब, पहाड़ी, झरनों और वन्य जीवों को नजदीक से देखेंगे। तीन दिनों में रात्रि विश्राम किसी नदी-तालाब अथवा वन विश्राम गृह के परिसर में लगे टेंट में होगा। कैंपिंग के दौरान सैलानी स्थानीय जनजातियों परोसे व्यंजनों का लुत्फ उठाएंगे।

पिछले साल कान्हा से छोटी कोशिश हुई थी

प्रदेश के में ट्रैकिंग लंबे समय से चलती आ रही है, लेकिन कोविड के बाद से ट्रैकिंग पर ब्रेक लग गया था। पिछले वर्ष सर्दियों में कान्हा नेशनल पार्क में ट्रैकिंग की शुरूआत दोबारा हुई थी, लेकिन इस बार इसे वृहद स्तर पर विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया जा रहा है।

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