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MP Weather: मध्‍य प्रदेश के 28 जिलों में बदला मौसम, अब अगले 24 घंटों के लिए यह है अनुमान

MP Weather: वर्तमान में हवा पश्चिम से आ रही है। मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि दिन और रात दोनों के तापमान में सोमवार को बढ़ोतरी हुई है। अगले 24 घंटों के दौरान प्रदेश में मौसम शुष्क रहेगा। तापमान में फिलहाल कोई खास अंतर नहीं होगा।

By Navodit Saktawat

Publish Date: Mon, 10 Feb 2025 08:46:27 PM (IST)

Updated Date: Tue, 11 Feb 2025 01:16:16 AM (IST)

नईदुनिया डॉट कॉम पर देखें मध्‍य प्रदेश के मौसम का अपडेट।

HighLights

  1. हवा का रुख बदलने से मध्‍य प्रदेश के कई शहरों में बढ़ गया रात का तापमान।
  2. बीते 10 दिनों में सबसे अधिक 17 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया रात का पारा।
  3. तीखी धूप से 33 जिलों में 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक हुआ दिन का तापमान।

नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। प्रदेश में आ रही पश्चिमी हवा की वजह से दिन के साथ अब रात में भी तापमान बढ़ने लगा है। फरवरी में बीते 10 दिनों में रात का न्यूनतम तापमान सबसे अधिक पचमढ़ी, नर्मदापुरम, इंदौर और धार में रविवार रात 17 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं सोमवार को रतलाम, मंडला और सिवनी में दिन का अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

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  • प्रदेश के 28 जिलों में दिन का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा।
  • रात के तापमान में शुरू हुई वृद्धि की मुख्य वजह चक्रवात है।
  • ईरान में बना पश्चिमी विक्षोभ और राजस्थान में बना प्रेरित चक्रवात है।
  • इन दिनों सिस्टम की वजह से प्रदेश में हवाओं का रुख बदल गया है।

प्रदेश के चार प्रमुख नगरों का तापमान

शहर अधिकतम न्यूनतम

  • भोपाल 31.4 14.2
  • इंदौर 30.4 17.2
  • ग्वालियर 29.1 10.0
  • जबलपुर 30.6 12.0

(नोट: तापमान डिग्री सेल्सियस में)

समय से पहले पकने लगी फसल, उत्पादन पर पड़ेगा असर

रायसेन। फरवरी की शुरुआत में ही तापमान में अचानक बढ़ोतरी होने लगी है, जिससे गर्मी का अहसास होने लगा है। अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जो सामान्य से अधिक है। इस असामान्य तापमान वृद्धि के कारण फसलों में फोर्स मैच्योरिटी यानी समय से पहले पकने की आशंका बढ़ गई है, जिससे उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

रायसेन जिले में धान की फसल के कारण रबी फसलों की बुआई पहले ही देरी से होती है, ऐसे में समय से पहले गर्मी आना फसलों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। हालांकि, अभी रात में ठंड बनी हुई है, जो कुछ राहत दे रही है, लेकिन दिन में लगातार बढ़ रहा तापमान किसानों के लिए चिंता का कारण बन गया है।

मौसम में बदलाव के कारण खेतों में नमी तेजी से खत्म हो रही है, जिससे फसलों को अधिक पानी की जरूरत होगी। लगातार तापमान बढ़ने से किसानों को सिंचाई पर अधिक ध्यान देना होगा। मौसम विभाग के अनुसार, आगामी दिनों में तापमान और बढ़ सकता है, जिससे फसलों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

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तापमान बढ़ने से फसलों पर विपरीत असर पड़ने लगा है।

सेहत पर भी असर

गर्मी के असर से इंसानों के बीमार होने का खतरा भी बढ़ गया है। चिकित्सकों के अनुसार, तापमान में तेजी से बदलाव होने से वायरल और अन्य मौसमी बीमारियां बढ़ सकती हैं। ऐसे में किसानों को न केवल फसलों की देखभाल करनी होगी, बल्कि खुद को भी गर्मी से बचाने के उपाय करने होंगे।

तापमान में और आएगी तेजी

  • आगामी दिनों में तापमान में बढ़ोतरी होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में तापमान बढ़ने से फसलों की अतिरिक्त देखभाल की जरूरत पड़ेगी।
  • जिले में इस बार करीब करीब साढ़े 4 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई की गई है।
  • इसमें सबसे अधिक पौने तीन लाख हेक्टेयर के आसपास रकबे में गेहूं बोया गया है।
  • दूसरे स्थान एक लाख हेक्टेयर में चना बोया गया है, इसके अलावा मसूर 25 से 30 हजार हेक्टेयर मसूर का रकबा है।
  • चना और मसूर की फसल घेंटी और दाना भरने की अवस्था में है, जबकि गेहूं की फसल गभोट और बालियों में दाना पड़ने की अवस्था में है।
  • ऐसे में तापमान में वृद्धि से फसलों की जरूरतें भी बदल रही हैं और किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है।

किसानों के लिए आवश्यक सलाह

  • गेहूं की फसल

गभोट व बाली निकलने की अवस्था – एनपीके 18:18:18 या 19:19:19 की 1 किग्रा मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

बालियों में दाना पड़ने की अवस्था – एनपीके 0:52:34 या 0:0:50 की 1 किग्रा मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

  • चना और मसूर की फसल

उकठा रोग (पौधों के सूखने पर नियंत्रण) – 500 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी को 10-12 तगाड़ी सड़ी हुई गोबर खाद में मिलाकर खेतों में डालें।

इल्ली नियंत्रण (चना) – प्रोफेनोफॉस 50 ईसी या क्विनालफॉस 25 ईसी की 1.5 लीटर/हेक्टेयर मात्रा का छिड़काव करें।

माहू नियंत्रण (मसूर व तिवड़ा) – इमिडाक्लोप्रिड या एसीटामिप्रिड की 125 ग्राम/हेक्टेयर मात्रा का छिड़काव करें।

  • सरसों की भी फसल

पत्तियों व तनों पर सफेद पाउडर दिखने पर मैन्कोजेब 75% की 1 किग्रा मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। किसान बढ़ते तापमान को देखते हुए समय पर दवाओं और उर्वरकों का प्रयोग करें, ताकि फसल का उत्पादन प्रभावित न हो।

फरवरी में इस तरह बढ़ा तापमान

दिनांक अधिकतम न्यूनतम

  • 01 फरवरी 28 13
  • 02 फरवरी 29 10
  • 03 फरवरी 32 15
  • 04 फरवरी 32 11
  • 05 फरवरी 26 14
  • 06 फरवरी 26 11
  • 07 फरवरी 23 10
  • 08 फरवरी 27 09
  • 09 फरवरी 30 11
  • 10 फरवरी 32 11

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