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Naidunia Samvad: मोबाइल-इंटरनेट पर हर जगह फैला है ठगों का मायाजाल, बचने के लिए पढ़े विशेषज्ञों की यह सलाह

व्यापक है साइबर ठगी का दायरा

नवदुनिया के स्थानीय संपादक संजय मिश्र ने संवाद सत्र में आगंतुकों का स्वागत करते हुए अभियान की जरूरत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह साइबर ठगी का यह दायरा व्यापक हो गया है। अभी की स्थिति में इससे बचने का जागरुकता ही सबसे बेहतर उपाय है। यह अभियान समाज को इस ठगी के खतरों की जानकारी देने और उससे बचाव के उपाय बताकर जागरूक करने के लिए ही चलाया जा रहा है।

सड़क दुर्घटना के उदाहरण से समझाया

एडिशनल डीसीपी चौहान ने कहा कि सड़क पर चलते हुए आपके सचेत रहना होता है कि कोई वाहन आपको टक्कर न मारे। साथ ही खुद पर भी नियंत्रण रखना पड़ता है, ताकि आपके वाहन की कहीं भिड़ंत न हो। साइबर अपराध भी इसी तरह है, कई बार लोग आपको फोन और एसएमएस के माध्यम से ठगी का प्रयास करते हैं। वहीं कभी हम खुद आनलाइन जाकर बिना जांचे परखे लोभ-लालच में फर्जी एप या नौकरी के झांसे में आ जाते हैं।

साइबर अपराध से बचने इन माध्यमों से कर सकते हैं शिकायत

  • चक्षु – साइबर अपराध की आशंका होने और स्पैम काल या मैसेज की शिकायत की जा सकती है।
  • सीइआईआर – गुम या चोरी किए गए मोबाइल फोन की शिकायत यहां की जा सकती है।
  • टैफकॉप – आपके मोबाइल नंबर से कितने आधार कार्ड लिंक हैं, इसकी जानकारी इस पोर्टल पर मिलेगी।
  • केवायएम – यह पोर्टल किसी भी मोबाइल को उसके आइएमइआइ नंबर से सत्यापित करेगा। साथ ही मोबाइल के निर्माता, ब्रांड नाम समेत पूरा विवरण देगा
  • रिकविन – भारतीय नंबरों से आने वाले अंतरराष्ट्रीय फोन काल को यहां रिपोर्ट किया जाता है।

(जैसा एडिशनल डीसीपी शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया)

लोभ-लालच और डर ठगों के प्रमुख हथियार – नरेंद्र मेंघवानी

कोई भी तकनीक इतनी सक्षम नहीं है कि बिना आपकी सहमति से मोबाइल फोन या कंप्यूटर में प्रवेश कर रुपये निकाल सके। लोभ, लालच, डर और धमकी साइबर अपराधियों का प्रमुख हथियार है। जबकि इनसे लड़ने के लिए आपके पास जागरुकता का कवच है। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से ठग आप तक पहुंचते हैं। वे आपको या तो निवेश या अच्छी नौकरी का लोभ देंगे, या फिर फर्जी अपराधों में फंसे होने को लेकर धमकाते हैं। लालच से आपको खुद बचना है और याद रखें कि यदि आपकी गलती नहीं है तो डरना नहीं है।

संवाद में शामिल वरिष्ठ नागरिकों ने विशेषज्ञों के सामने साइबर सुरक्षा से जुड़े सवाल भी रखे। सत्र के बाद लोगों ने कहा कि ठगी से सुरक्षा के लिए इस तरह की जानकारी बहुत जरूरी है। अब वे अपने परिवार और परिचितों को भी इसकी जानकारी देकर जागरूक करेंगे।

…यूं चला सवाल-जवाब का सिलसिला

सवाल- क्या डिजिटल अरेस्ट कानूनी रूप से वैध है?

जवाब- भारत के किसी भी विभाग का कोई भी अधिकारी डिजिटल अरेस्ट नहीं कर सकता है। यदि केंद्रीय एजेंसियों को कोई कार्रवाई करनी है तो वे स्थानीय पुलिस के साथ मौके पर पहुंचकर संपर्क करते हैं। आनलाइन किसी से न डरें, यदि कोई केंद्रीय एजेंसी का प्रतिनिधि बनकर बात करता है तो उसकी शिकायत पुलिस से जरुर करें।

सवाल- आधार कार्ड के दुरुपयोग से कैसे बचें?

जवाब- आधार कार्ड का उपयोग हर जगह न करें। जहां आपकी आइडी मांगी जाती है तो वहां अपने वोटर आइडी या ड्राइविंग लाइसेंस का ही उपयोग करें। आधारकार्ड से आपकी हर जानकारी जुड़ी है। साथ ही उसका दुरूपयोग कर लोग सिमें भी खरीद रहे हैं। इसके अलावा बैंक से संबंधित सभी दस्तावेजों को भी निजी ही रखें।

सवाल- वाट्सएप को हैक होने से कैसे बचाएं?

जवाब- वाट्सएप को हैंक करने से पहले ठग आपके फोन पर एपीके फाइल भेजते हैं। उन्हें डाउनलोड करने की बजाए डिलीट कर दीजिए। जैसे ही वे डाउनलोड होते हैं तो आपके मोबाइल का सारा एक्सेस ले लेते हैं और डाटा चुराने के साथ रुपयों भी चुरा सकते हैं।

सवाल- इंटरनेट पर कितना सुरक्षित है डाटा?

जवाब- इंटरनेट के अलग-अलग माध्यमों पर आपका डाटा है। इसमें जितने भी इंटरनेट मीडिया के अकाउंट हैं, उनमें अनजान लोगों को न जोड़ें। साथ ही पासवर्ड को स्ट्रांग रखें, ताकि आसानी से क्रैक न किया जा सके। इसके साथ ही अपनी कोई प्राइवेट या अहम जानकारी को इंटरनेट पर साझा न करें।

सवाल- कैसे पता करें कि एप हमारे डाटा का दुरुपयोग नहीं कर रहा?

जवाब- आपके फोन में कई सारे एप होते हैं। उनमें से कई एप आपका डाटा चुराने का ही काम करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप जरूरी एप ही डाउनलोड करें। प्लेस्टोर पर एप्स की जानकारी जुटाएं और फिर उन्हें मोबाइल में रखें।

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