वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह टेक्नॉलजी आर्टेमिस मिशन (Artemis Mission) के दौरान चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों का लाइव वीडियो कवरेज कराने में मददगार होगी। आर्टेमिस मिशन, नासा के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसके तहत एक बार फिर अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजा जाएगा।
ग्लेन रिसर्च सेंटर में HDTN प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. डैनियल रायबल ने कहा कि यह प्रयोग एक जबरदस्त उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि अब हम स्पेस स्टेशन से 4K HD वीडियो स्ट्रीमिंग की सफलता पर काम कर सकते हैं, ताकि हमारे आर्टेमिस अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एचडी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी क्षमताएं डेवलप की जा सकें।
गौरतलब है कि नासा ने स्पेस से इन्फर्मेशन भेजने के लिए रेडियो वेव्स पर भरोसा किया है। यह काम अबतक काफी भरोसेमंद रहा है। इसके मुकाबले लेजर कम्युनिकेशन में इन्फ्रारेड लाइट का इस्तेमाल किया जाता है, जो पारंपरिक रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम की तुलना में 10 से 100 गुना तक तेज डेटा भेज सकता है।
हालिया कामयाबी को हासिल करने के लिए नासा ने एयरफोर्स रिसर्च लेबोरेटरी के साथ सहयोग किया। ग्लेन के इंजीनियरों ने पिलाटस पीसी-12 विमान (Pilatus PC-12 aircraft) पर अस्थायी रूप से एक पोर्टेबल लेजर टर्मिनल लगाया। उन्होंने विमान को उड़ाया। उड़ते हुए विमान ने क्लीवलैंड में एक ऑप्टिकल ग्राउंड स्टेशन पर डेटा भेजा जिसे नेटवर्क की मदद से न्यू मैक्सिको में नासा की वाइट सैंड्स टेस्ट फैसिलिटी में भेजा गया। वहां से वैज्ञानिकों ने डेटा भेजने के लिए इन्फ्रारेड लाइट सिग्नल का इस्तेमाल किया।
रिपोर्ट के अनुसार, भेजे गए सिग्नल पृथ्वी से 22,000 मील दूर नासा के लेजर कम्युनिकेशन रिले डिमॉन्सट्रेशन (LCRD) तक पहुंचे। इस तरह से सिग्नलों ने आगे का फायदा तय किया और नासा का प्रयोग सफल रहा।
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2024-07-26 09:20:18
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