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Noise Pollution: इंदौर में चौराहों पर शोर से चिड़चिड़े हो रहे ट्रैफिक जवान, दुकानदारों में भी अनिद्रा जैसी परेशानियां

इंदौर के प्रमुख चौराहों पर वाहनों के शोर से दुकानदारों, यातायात जवानों और ठेला संचालकों को शारीरिक समस्याएं हो रही हैं। ध्वनि प्रदूषण के कारण चिड़चिड़ापन, कानों में सीटी की आवाज, अनिद्रा जैसी परेशानियां बढ़ रही हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रियल टाइम मॉनिटरिंग उपकरण लगाए हैं।

By Neeraj Pandey

Publish Date: Tue, 12 Nov 2024 04:09:50 PM (IST)

Updated Date: Tue, 12 Nov 2024 04:09:50 PM (IST)

ध्वनि प्रदूषण के कारण चिड़चिड़ापन, अनिद्रा जैसी परेशानियां बढ़ रही हैं।

HighLights

  1. इंदौर में चौराहों पर बढ़ रहा ध्वनि प्रदूषण हुआ घातक
  2. इसके कारण चिड़चिड़ापन, अनिद्रा जैसी परेशानियां
  3. रियल टाइम उपकरण से ध्वनि प्रदूषण की मॉनिटरिंग

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर: इंदौर शहर के प्रमुख चौराहे जहां दिन-रात वाहनों की आवाजाही रहती है, यहां वाहनों का शोर बहुत रहता है। यहां रहने वाले लोग यानि दुकानदार, पुलिस और ठेला संचालकों को कम सुनने और चिड़चिड़ापन, अनिद्रा की बीमारी हो रही है।

खबर में दो चौराहों की ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की गई है। जिसमें यहां के दुकानदारों और यातायात जवान से बात कर पता किया गया कि उन्हें शोर से क्या-क्या परेशानी हो रही है। इसके साथ प्रदूषण बोर्ड के ध्वनि प्रदूषण से संबधित आकड़े और चिकित्सक इसके बारे में क्या कहते हैं।

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मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शहर में अलग-अलग श्रेणी में चार जगहों पर ध्वनि प्रदूषण की निगरानी करता है। जिसमें विजय नगर, नेहरू पार्क, इंडो जर्मन औद्योगिक क्षेत्र और एमवायएच शामिल है। जहां पर 15 लाख रुपये की लागत से ऑटोमैटिक उपकरण लगाएं हैं, जो रियल टाइम ध्वनि प्रदूषण का स्तर बताते हैं। हालांकि अभी तक इन उपकरण का डाटा ऑनलाइन नहीं हुआ है।

चौराहों पर तेज ध्वनि से दुकानदारों, ट्रैफिक जवानों पर असर

बोर्ड के अफसरों के अनुसार पिछले कुछ समय से ध्वनि प्रदूषण मानक से अधिक ही आ रहा है। इसका सबसे प्रमुख कारण तेजी से बढ़ रही वाहनों की संख्या है। वर्तमान में शहर में 21 लाख से अधिक वाहन हैं। इन वाहनों के कारण चौराहों पर कानफाडू़ हार्न, तेज आवाज वाले साइलेंसर के शोर से यहां चौराहे की दुकानदार, ठेले संचालक आदि का का स्वास्थ्य प्रभावित होने लगा है। चौराहों पर ड्यूटी करने वाले यातयात जवान भी इस ध्वनि प्रदूषण की जद में आ गए है।

राजवाड़ा चाैराहा

यहां फ्लावर डेकोरेशन का काम करने वाले सुनिल वर्मा ने बताया कि यहां दिनभर वाहनों का शोर होता है। कई बार बेचैनी जैसा लगता है। कई बार दुकान पर रूकने का मन भी नहीं करता है। रात को घर जाओं को सोते समय ऐसा लगता है, जैसे आस-पास वाहन निकल रहे है, हार्न बजा रहे हैं। इसके साथ ही चिड़चिड़ापन भी बना रहता है।

बड़ा गणपति चौराहा

यहां मौजूद यातायात जवान ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि दिनभर वाहनों का बहुत शोर होता है। रात को घर जाने पर कानों में सिटी बजने की आवाज आती है। कई बार चिड़चिड़ापन भी हो जाता है, लेकिन क्या करें, नौकरी चौराहों पर ही करना है।

रात भर बजते हैं कान

यहां मेडिकल संचालक विपिन यादव ने बताया कि सुबह से रात तक चौराहे पर वाहनों का शोर होता है। वाहन चालक जल्दबाजी में निकलने के लिए लगातार हार्न बजाते रहते हैं। कई वाहनों में तो प्रेशर हार्न लगा होता है। दुकान से कहीं अन्य जगह जाओं तो भी ऐसा लगता है कि वाहनों के बीच में ही हूं। पिछले कुछ समय से सुनने में दिक्कत भी हो रही है।

चिड़चिड़ापन, चक्कर जैसी समस्याएं

शहर के चौराहों में ध्वनि प्रदूषण काफी बढ़ गया है। ध्वनि प्रदूषण के संपर्क में रहने से कानों में सीटी बजना, चिड़चिड़ापन होना, चक्कर आना, कम सुनाई देना, कान का नर्वस सिस्टम डेमेज होने के साथ ही बहरापन भी हो सकता है। इसलिए कोशिश करना चाहिए कि चौराहों और व्यवस्तम जगहों पर हार्न न बजाएं, चौराहों पर वाहन को बंद रखा जाए। तेज आवाज वाले साइलेंसर का उपयोग नहीं किया जाए। इसी तरह की लक्षण दिखने पर तुरंत नाक, कान, गले के डाक्टर से मिलना चाहिए।

सुनील अग्रवाल, ईएनटी विशेषज्ञ

यह है स्थिति

क्षेत्र

मानक(डेसीबल) स्थिति(डेसीबल)
रेसीडेंसी जोन 62 75
कमर्शियल जोन 52 65

साइलेंट जोन

00

55

इंड्रस्ट्रियल जोन

50 57

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