जानकारी के अनुसार, एस्टरॉयड साइकी अंतरिक्ष में मंगल और बृहस्पति के बीच मुख्य एस्टरॉयड बेल्ट में है। इसकी दूरी पृथ्वी से लगभग 3.5 अरब किलोमीटर है। नासा के अनुसार, उसका मिशन करीब 26 महीनों तक साइकी का चक्कर लगाएगा। वह एस्टरॉयड की इमेज लेगा। डेटा जुटाएगा, ताकि वैज्ञानिकों को इसके इतिहास और संरचना के बारे में अधिक समझने में मदद मिल सके।
यह पृथ्वी से खोजा गया 16वां एस्टरॉयड था। साइकी को साल 1852 में इतालवी खगोलशास्त्री एनीबेल डी गैस्पारिस ने खोजा था। इसका नाम प्राचीन ग्रीक पौराणिक कथाओं में आत्मा की देवी के नाम पर रखा था। इसका आकार 226 किलोमीटर होने का अनुमान है। साइकी का आकार आलू के जैसा है।
एस्टरॉयड साइकी में बेशकीमती धातुएं हैं। अनुमान है कि यह इतना कीमती है कि पृथ्वी पर इसका बराबर डिस्ट्रीब्यूशन कर दिया जाए, तो हर कोई अरबपति बन सकता है। नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने उम्मीद जताई है कि स्पेस एजेंसी को उस एस्टरॉयड पर हीरे (diamonds) और मोती मिल सकते हैं।
Nasa कुछ नहीं लाएगी धरती पर!
मीडिया पोर्टों के अनुसार, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी की योजना साइकी से कीमती धातुओं को निकालने की नहीं है।
मिशन की प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर लिंडी एल्किंस-टैंटन ने कहा कि साइकी को धरती पर वापस लाने की कोई तकनीक नहीं है। ऐसा करने पर धरती और इस एस्टरॉयड के बीच टक्कर हो सकती है। कोशिश सफल हो भी गई, तब मेटल के मार्केट में इतना माल आ जाएगा कि इसकी वैल्यू जीरो हो जाएगी।
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2023-10-13 10:14:16
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