भोपाल में आयकर और लोकायुक्त की कार्रवाई में 100 करोड़ की अवैध संपत्ति सामने आई है, जिसमें राजनेताओं और अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। हेमंत कटारे ने मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Sun, 22 Dec 2024 08:12:40 PM (IST)
Updated Date: Sun, 22 Dec 2024 08:12:40 PM (IST)
HighLights
- भोपाल में अवैध संपत्ति मामले में राजनेताओं और अधिकारियों पर आरोप
- कांग्रेस विधायक हेमंत कटारे ने मामले की न्यायिक जांच की मांग की
- इकबाल सिंह बैंस पर सौरभ की जमीन घोटाले में मिलिभगत का आरोप
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। आयकर और लोकायुक्त पुलिस की छापेमार कार्रवाई में भोपाल में जिस तरह सौ करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति सामने आई है, उसके तार राजनेताओं और अधिकारियों से जुड़े हैं। परिवहन आरक्षक रहे सौरभ शर्मा और बिल्डर राजेश शर्मा छोटी मछलियां और केवल मुखौटा हैं।
यह पूरा खेल काली कमाई और जमीन के अवैध कारोबार से जुड़ा है। ये आरोप विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने रविवार को मीडिया से बातचीत में लगाए।
न्यायिक जांच की मांग
कटारे ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग करेंगे और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, आयकर, प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआइ को पत्र भी लिखेंगे। बता दें, सौरभ शर्मा के यहां छापे के साथ ही भोपाल में राजेश शर्मा सहित तीन बिल्डरों पर भी आयकर छापा पड़ा था।
परिवहन विभाग से जुड़े घोटाले का आरोप
हेमंत कटारे ने परिवहन व्यवस्था से जुड़े घोटाले का उल्लेख करते हुए कहा कि निजी तौर पर चेकपोस्ट चलाकर अवैध कमाई की जा रही थी। इसे केवल वर्ष 2016 में भर्ती हुआ आरक्षक सौरभ शर्मा संचालित नहीं कर सकता है। इसमें सरकारी व्यवस्था से जुड़े नेताओं और अधिकारियों की भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इनमें से सौरभ शर्मा एक है।
सौरभ शर्मा से जुड़े सभी व्यक्तियों की कॉल डिटेल की जांच हो। साथ ही यह भी देखा जाए कि परिवहन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के रिश्तेदार कब-कब विदेश यात्रा पर गए और कितने अधिकारी-कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं।
पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस पर आरोप
उधर, राजेश शर्मा के यहां आयकर विभाग की कार्रवाई को लेकर हेमंत कटारे ने आरोप लगाया कि यह पूरा जमीन का खेल है और इसमें नेता और अधिकारी शामिल हैं। उन्होंने पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का नाम लेते हुए कहा कि जिस ग्राम सेवनियां गौड़ में राजेश शर्मा और कुनाल बिल्डर्स का सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट चल रहा है, वहीं पूर्व मुख्य सचिव और उनके स्वजन की भूमि है, जिसे वर्ष 2011 में खरीदा गया।
मिलिभगत का आरोप
जैसे ही राजेश शर्मा ने ज्वाइंट वेंचर प्रारंभ किया, एक माह के भीतर सभी अनुमतियां मिल गईं। जबकि, यह बड़े तालाब के ग्रीन बेल्ट का हिस्सा है, जहां 300 मीटर तक किसी प्रकार के निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती है। यह सब तत्कालीन मुख्य सचिव के प्रभाव के कारण हुआ। पूरे क्षेत्र में बीते 10-12 वर्ष में हुए भूमि संबंधी लेन-देन की जांच हो।
इकबाल सिंह ने आरोपों को नकारा
इन आरोपों पर इकबाल सिंह ने कहा कि मेरे या मेरे परिवार के स्वामित्व की कोई भी भूमि सेंट्रल पार्क में नहीं है। जो भूमि वर्ष 2011 में मेरे द्वारा खरीदी बताई जा रही है, उसे मैंने मार्च 2012 में बेच दिया था। वहीं, सूत्रों का कहना है कि भूमि बैंस और स्वजन ने खरीदी थी। सामान्य प्रशासन विभाग को इसकी सूचना भी दी गई थी और एक वर्ष के भीतर ही उसे बेच भी दिया था।
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