मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में काली कमाई के कुबेर पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के मामले में लगातार जांच जारी है और रोज नए खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह का नाम पहले ही सामने आ चुका है। अब भूपेंद्र सिंह ने लिखी सिफारिश भी सामने आ गई है।
By Varun Sharma
Publish Date: Sun, 05 Jan 2025 08:31:41 AM (IST)
Updated Date: Sun, 05 Jan 2025 08:43:44 AM (IST)
HighLights
- झूठे शपथ पत्रों के मामले में परिवहन विभाग एफआईआर कराने की तैयारी में
- सौरभ का भाई सचिन 2013 से शासकीय सेवा में, 2016 में कैसे दे दिया शपथ पत्र
- भूपेंद्र सिंह के कारण असमंजस में था विभाग- किसकी मानें- नियम या मंत्रीजी की
वरुण शर्मा, ग्वालियर। काली कमाई के कुबेर परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा को परिवहन विभाग में आरक्षक बनाने की सिफारिश खुद तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने की थी। तत्कालीन परिवहन आयुक्त ने नोटशीट पर लिखा भी था कि अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण में सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाना चाहिए, सौरभ शर्मा की नियुक्ति का आदेश जारी किया जाए।
यह टीप तत्कालीन परिवहन आयुक्त शैलेंद्र श्रीवास्तव ने तत्कालीन अपर आयुक्त परिवहन आरके जैन की आपत्ति के बाद भी लिखी थी। आरके जैन ने नियमों का हवाला देकर तृतीय वर्ग श्रेणी में नियुक्ति को लेकर नियम कायदों की जानकारी मंगवाने के लिए लिखा था।
परिवहन विभाग इस असमंजस में भी पड़ गया था कि तृतीय श्रेणी वर्ग में भर्ती की जाए या मंत्रीजी के सिफारिशी पत्र का पालन किया जाए। इस पूरे मामले में मंत्रीजी का पत्र भारी रहा और सौरभ की नियुक्ति हो गई।
सौरभ शर्मा के भाई और मां पर झूठा शपथ-पत्र देने का आरोप
- सौरभ शर्मा मामले में साथी चार आरक्षकों के खिलाफ समन जारी हो गया है। साथ ही सौरभ शर्मा की नियुक्ति के मामले में सौरभ शर्मा ने खुद व मां के अलावा भाई का भी शपथ पत्र दिया था जो छत्तीसगढ़ में ईओडब्ल्यू में पदस्थ है।
- इस शपथ पत्र में सौरभ के भाई सचिन शर्मा ने लिखा है कि वह निजी नौकरी करता है। बता दें कि परिवहन विभाग के पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा के मामले ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया है।
- सौरभ शर्मा के यहां मिली काली कमाई की लोकायुक्त-आयकर विभाग से लेकर ईडी तक जांच कर रही है। वर्तमान में सौरभ शर्मा कहां है यह किसी को नहीं पता है। सौरभ की मां व वकील ने सौरभ को जान का खतरा भी बताया है।
- इसी पूरे मामले में सरकार की इतनी किरकिरी हो गई कि प्रदेश के परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता को हटाना पड़ गया। उनके स्थान पर एडीजी विवेक शर्मा को भेजा गया है जिन्होने शनिवार को चार्ज संभाल लिया।
गृह-परिवहन मंत्री की नोटशीट- सौरभ का प्रकरण अभिमत सहित मांगा था
तत्कालीन परिवहन एवं गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सौरभ शर्मा की नियुक्ति के लिए प्रकरण परिवहन विभाग से अभिमत सहित मांगा था। मंत्री की नोटशीट क्रं 2528 जो 14 सितंबर 2016 की थी, जिस पर टीप लिखी गई थी।
टीप में लिखा कि सौरभ पुत्र स्व आरके शर्मा निवासी ग्वालियर से प्राप्त आवेदन मय सह पत्रों के मूलत: संलग्न हैं, जिसमें इन्होंने खुद को परिवहन विभाग में आरक्षक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान किए जाने का अनुरोध किया गया।
सौरभ शर्मा को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने का प्रकरण कलेक्टर ग्वालियर द्वारा पत्र क्रं 10877 दिनांक 12 अगस्त 2016 के माध्यम से प्रेषित किया गया है। अत: सौरभ शर्मा को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने संबंधी प्रकरण अपने अभिमत सहित पेश करें।
असमंजस में था विभाग- किसकी मानें- नियम या मंत्रीजी की
सौरभ की नियुक्ति संबंधी नोटशीट में यह लिखा है कि अत: प्रकरण में पहले यह निर्णय लिया जाना है कि क्या सौरभ शर्मा को लिपिक वर्गीय सहायक वर्ग तीन के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी जाए अथवा मंत्री जी की नोटशीट के अनुक्रम में परिवहन आरक्षक की नियुक्ति का प्रकरण मंत्री जी को भेजा जाए।
तत्कालीन परिवहन अपर आयुक्त आरके जैन ने न्यायालय सहित अन्य नियमों को खंगाले जाने के बाद निर्णय लेने की बात लिखी थी लेकिन इसके बाद तत्कालीन परिवहन आयुक्त शैलेंद्र सिंह ने सहानुभूति पूर्वक विचार करने हवाला देकर सौरभ की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया।
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