0

Shiv Navratri 2025: महाकाल के निराकार रूप को साकार करते हैं विशिष्ट दिव्य शृंगार

उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिवनवरात्र की तैयारी की जा रही है। यह उत्सव 17 से 27 फरवरी तक 11 दिन मनाया जाएगा। इन 10 दिनों में भगवान महाकाल को अलग-अलग रूपों में शृंगारित किया जाएगा।

By Prashant Pandey

Publish Date: Sat, 15 Feb 2025 10:57:57 AM (IST)

Updated Date: Sat, 15 Feb 2025 11:20:04 AM (IST)

भगवान महाकाल का अलग-अलग रुपों में शृंगार।

HighLights

  1. उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिवनवरात्र की तैयारी शुरू।
  2. महाकाल का 10 दिन अलग-अलग रूपों में होगा शृंगार।
  3. शिवनवरात्र में महाकाल मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होगी।

राजेश वर्मा, नईदुनिया, उज्जैन(Shiv Navratri 2025)। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में इन दिनों शिवनवरात्र की तैयारी की जा रही है। इस बार 30 साल बाद तिथि वृद्धि के कारण यह उत्सव 17 से 27 फरवरी तक 11 दिन मनाया जाएगा।

इन 10 दिनों में पुजारी बाबा महाकाल को दूल्हा रूप में शृंगारित कर निराकार से साकार रूप प्रदान करेंगे। तिथि बढ़ोतरी के कारण पहले दो दिन चंदन का शृंगार होगा। इसके बाद क्रमश: शेषनाग, घटाटोप, छबीना, होलकर, मनमहेश, उमा महेश, शिव तांडव तथा सप्तधान्य रूप में भगवान का शृंगार होगा।

26 फरवरी के दिन नहीं होगा विशेष शृंगार

26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन विशिष्ट मुखारविंद शृंगार नहीं किया जाएगा। नियमित पूजन-अनुष्ठान होगा और पूरे दिन भगवान महाकाल को सतत जलधारा अर्पित की जाएगी। इसी क्रम में 27 फरवरी को सप्तधान्य शृंगार के साथ शिवनवरात्र का समापन होगा।

पं. महेश पुजारी ने बताया भगवान महाकाल के यह मुखारविंद शिवसहस्त्रनामावली पर आधारित है। शिव के प्रत्येक नाम का एक विशेष महत्व है, आइए जानते हैं आखिर शिव को क्यों कहा जाता हैं महादेव।

naidunia_image

चंदन शृंगार : यह महाकाल का दूल्हा रूप

शिवनवरात्र के पहले दो दिन भगवान महाकाल का चंदन शृंगार किया जाएगा। इस दिन से भगवान महाकाल दूल्हा बनते हैं।

शेषनाग शृंगार : विष्णु के प्रिय इसलिए धारण कराते हैं शेषनाग

भगवान महाकाल का एक नाम विष्णुवल्लभ है। इसका अर्थ है भगवान विष्णु के अतिप्रिय। इसलिए दूल्हा बने महाकाल को शेषनाग धारण कराया जाता है।

घटाटोप : काली घटाओं का समूह

भगवान महाकाल का एक रूप घटाटोप है। इसका अर्थ है आसमान में छाई काली घटाएं। शिव जब तांडव नृत्य करते हैं, तो उनकी जटा खुल जाती और ऐसा दृश्य उत्पन्न करती हैं।

naidunia_image

छबीना : सज-धजकर तैयार दूल्हा

शिवनवरात्र में भगवान महाकाल भक्तों को छबीना रूप में दर्शन देते हैं। इसका अर्थ है सज-धजकर तैयार सुंदर दूल्हा।

होलकर : राजवंश ने बनवाया यह मुखारविंद

भगवान महाकाल का यह मुखारविंद होलकर राजवंश द्वारा बनवाया गया है, इसलिए इसे होलकर मुखारविंद कहा जाता है।

मनमहेश : जो मन को मोह ले वह मनमहेश

भगवान महाकाल के एक मुखारविंद का नाम मनमहेश है। इसका अर्थ है जिनका सुंदर रूप मन मोह लेता है, वे मनमहेश कहे गए हैं।

उमा महेश : शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं

भगवान का उमा महेश रूप शिव व शक्ति का संयुक्त दर्शन है। ऐसा माना जाता है कि शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं।

शिव तांडव : नृत्य मृदा में महादेव

भगवान महाकाल का शिव तांडव स्वरूप कला को समर्पित है। इस रूप में भगवान महाकाल तांडव रूप नृत्य करते दृष्टिगोचर होते हैं।

सप्तधान्य : जीव की उत्पत्ति का रहस्य

भगवान महाकाल को यह मुखारविंद धारण कराने के बाद सात प्रकार के धान्य अर्पित किए जाते हैं। मनुष्य का शरीर भी सप्त धातुओं से मिलकर बना है, इसलिए यह मुखारविंद जीव की उत्पत्ति का रहस्य बताता है।

पुजारियों ने बैठक कर लिया निर्णय

पं. महेश पुजारी ने बताया कि शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा व वंश परंपरागत पुजारियों ने बैठक कर शिवनवरात्र में भगवान महाकाल के श्रृंगार को लेकर बैठक की। इसमें निर्णय लिया गया कि इस बार नवरात्र नौ के बजाय दस दिन की है, इसलिए 17 व 18 फरवरी को पहले दो दिन चंदन का शृंगार होगा। इसके बाद पूर्वनिर्धारित क्रम अनुसार शृंगार किया जाएगा।

https%3A%2F%2Fwww.naidunia.com%2Fmadhya-pradesh%2Fujjain-shiv-navratri-2025-mahakal-temple-ujjain-darshan-and-shringar-8380235
#Shiv #Navratri #महकल #क #नरकर #रप #क #सकर #करत #ह #वशषट #दवय #शगर
https://www.naidunia.com/madhya-pradesh/ujjain-shiv-navratri-2025-mahakal-temple-ujjain-darshan-and-shringar-8380235