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Tansen Samaroh 2024: ग्वालियर में 536 कला साधकों ने नौ वाद्ययंत्रों का समवेत वादन कर बनाया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

ग्वायिलर की धरा पर जन्मे तानसेन व बैजू बावरा जैसे महान संगीतज्ञों को वर्तमान संगीत साधक भगवान की तरह पूजते हैं। इससे पहले ग्वालियर के ऐतिहासिक दुर्ग में बांसुरी वादक पंडित रोनू मजूमदार के संयोजन से वाद्यों का वादन करने पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना।

By Prashant Pandey

Publish Date: Mon, 16 Dec 2024 11:50:54 AM (IST)

Updated Date: Mon, 16 Dec 2024 12:07:17 PM (IST)

नवदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर(Tansen Samaroh 2024)। ग्वालियर का ऐतिहासिक दुर्ग रविवार को वाद्य यंत्रों की समवेत स्वर लहरियों से गूंज उठा। समवेत प्रस्तुति के माध्यम से स्वर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित की गई। यह प्रस्तुति तानसेन रचित तीन राग मल्हार, मियां की तोड़ी एवं दरबारी कान्हड़ा में निबद्ध थी।

इस प्रस्तुति का संयोजन बांसुरी वादक पंडित रोनू मजूमदार ने किया। समवेत प्रस्तुति में वाद्ययंत्रों के साथ ही गायन भी शामिल था। निरंतर नौ मिनट तक वाद्यों का वादन करने पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बन सका। सुरों की साधना को समर्पित समवेत प्रस्तुति में देश और प्रदेश के 536 कलाकारों ने नौ शास्त्रीय वाद्ययंत्रों का वादन एक साथ किया।

इसमें 347 पुरुष कलाकार एवं 189 महिला कलाकार शामिल थीं। इस अवसर पर के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विस अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और मंत्री तुलसी सिलावट उपस्थित रहे।

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महादेव के लिए डमरू और श्रीकृष्ण के लिए बांसुरी आनंद का स्त्रोत

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारे सभी देवी देवताओं की पहचान किसी न किसी वाद्य यंत्रों से जुड़ी है। विश्व के पहले वाद्य यंत्र की प्रेरणा का स्रोत वर्षा की बूंद है।

तालाब या नदी में पहली बार पड़ने वाली पानी की बूंद की ध्वनि डमरू की ध्वनि से जुड़ती है। इसी का परिणाम है कि डमरू विश्व का पहला वाद्य यंत्र है, जो भगवान शिव से जुड़ा है। भगवान श्रीकृष्ण के लिए बांसुरी आनंद का स्रोत है।

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ग्वालियर दुर्ग पर वाद्ययंत्रों के विश्व रिकार्ड के साथ तानसेन संगीत समारोह शुरू

ग्वालियर में शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश एवं दुनिया के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव सुर सम्राट तानसेन के शताब्दी वर्ष समारोह की रविवार की सांध्य बेला में शुरुआत हुई।

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तानसेन समाधि परिसर में महेश्वर के एतिहासिक किला की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के साथ दीप-प्रज्ज्वलन कर उद्घाटन किया।

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चार देशों से कलाकार आए हैं

आयोजन में अपने देश के संगीत के शीर्षस्थ साधकों के साथ चार अन्य देशों के संगीत कलाकार सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि देने आए हैं। तानसेन समारोह के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में डाक विभाग द्वारा पांच रुपये का डाक टिकट जारी किया गया है।

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स्मारिका का विमोचन किया गया

इस मौके पर डाक टिकट, तानसेन समारोह की 100 वर्षीय यात्रा पर केंद्रित पुस्तक और इस साल के आयोजन पर तैयार की गई स्मारिका का विमोचन भी किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि संगीतधानी ग्वालियर की उत्सवधर्मिता की देश भर में विशेष पहचान है, साथ ही संगीत व कलाओं का प्रोत्साहन एवं कलाकारों का मान-सम्मान बढ़ाने की यहां की रिवायत भी अद्वितीय है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा- ग्वालियर को संगीत का हब बनाने की कोशिश करेंगे

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि 1924 में सिंधिया राज्यकाल में शुरू हुए तानसेन समारोह का इस साल शताब्दी वर्ष है। ग्वालियर के इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि ग्वालियर की पहचान संगीत के शहर के रूप में होती है।

ग्वालियर को संगीत का हब बनाने का काम मिलकर किया जाएगा। सिंधिया ने बैजू बावरा की स्मृति में चंदेरी संगीत महोत्सव को भव्य बनाने पर भी बल दिया। राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मेंद्र सिंह लोधी ने आभार व्यक्त किया।

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