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Tourist Place Indore: अध्यात्म और सैर-सपाटा के नजरिए से बेहतर है इंदौर के करीब भगवान दत्त का दरबार

इंदौर के पास स्थित श्री दत्त पादुका मंदिर एक आध्यात्मिक और प्राकृतिक स्थल(Indore New Tourist Destination) है, जो देवास के पास बांगर गांव में स्थित है। यह मंदिर भगवान दत्तात्रेय को समर्पित है और सैकड़ों वर्ष पुराना है। मंदिर के आसपास का प्राकृतिक परिवेश और खूबसूरत नजारे इसे एक आदर्श वीकेंड गेटअवे बनाते हैं।

By Prashant Pandey

Publish Date: Sat, 08 Mar 2025 01:26:12 PM (IST)

Updated Date: Sat, 08 Mar 2025 01:34:00 PM (IST)

बांगर गांव में बना दत्त मंदिर आस्था का केंद्र है।

HighLights

  1. श्री दत्त पादुका मंदिर भगवान दत्तात्रेय को समर्पित है और सैकड़ों वर्ष पुराना है।
  2. मंदिर के आसपास का प्राकृतिक परिवेश और खूबसूरत नजारे देखते ही बनते हैं।
  3. मंदिर तक पहुंचने के लिए मार्ग और स्थानीय परिवहन की सुविधा उपलब्ध है।

नईदुनिया प्रति‍निधि, इंदौर(MP Tourism)। इंदौर शहर के आसपास ऐसे कई स्थान हैं जहां कम वक्त में जाकर भी आया जा सकता है और आप चाहें तो ज्यादा देर भी बिता सकते हैं। जहां परिवार और दोस्तों के साथ भी वक्त गुजारा जा सकता है और अकेले भी सैर-सपाटा किया जा सकता है।

इस वीकेंड पर यदि आप कहीं जाने की योजना बना रहे हैं तो एक नजर देवास की ओर घुमाई जा सकती है। आप चाहें तो देवास की टेकरी तक भी जा सकते हैं जहां तुलजा भवानी और चामुंडा माता के दर्शन करने के साथ देवास के नजारों का भी आनंद ले सकते हैं।

यहां बात केवल देवास की टेकरी की नहीं हो रही बल्कि देवास के समीप स्थित एक और आध्यात्मिक स्थल की हो रही है जो बांगर गांव में है और इस स्थान का नाम है श्री दत्त पादुका मंदिर।

सैकड़ों वर्ष पुराना है मंदिर

श्री दत्त पादुका मंदिर जाने के सबसे सहज और सुगम मार्ग की बात करें तो यह देवास के शहरी भाग में से होकर जाता है। देवास से जब आप उज्जैन की ओर बढ़ते हैं तो 12-15 किमी दूर बांगर गांव आता है।

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देवास से उज्जैन की ओर जाने पर बांगर गांव में मुख्य मार्ग से करीब 100 मीटर अंदर ही यह मंदिर बना हुआ है। भगवान दत्तात्रेय को समर्पित मंदिर कब बना इसका पुख्ता प्रमाण नहीं पर ग्रामीणों की मानें तो मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है।

इसलिए है इसका और भी महत्व

वर्षों से मंदिर में दर्शन करने आ रहे राजेश बिडवलकर और मदन शुक्ला बताते हैं कि इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जिस स्थान पर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति स्थापित है वह देवास के चामुंडा माता मंदिर और उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के मध्य में है।

किवदंती है कि महाराष्ट्र के किसी संत को स्वप्न में भागवन दत्तात्रेय ने दर्शन देकर यह कहा कि उनका मंदिर इन दो शक्ति केंद्रों के मध्य बनाया जाए और तब यहां मूर्ति स्थापित की गई। यहां दत्त जयंती पर भव्य आयोजन भी होता है।

अब और भी हो गई हैं सुविधाएं

पर्यटकों की मानें तो बीते दो दशक में यहां का स्वरूप तेजी से बदला है। पहले यहां छोटा सा ही मंदिर था, लेकिन अब यह विशाल मंदिर में तब्दील हो चुका है। यहां सभा मंडप भी बन चुका है, जहां बैठकर भक्त भजन आदि कर सकते हैं। यही नहीं यहां भक्तों की सुविधा के लिए पेयजल, सुविधागृह और भोजनशाला भी बन चुकी है। हालांकि भोजनशाला का लाभ आप पूर्व सूचना के आधार पर ही ले सकते हैं।

खूबसूरत नजारे और यात्रा का मजा

यह स्थान केवल धार्मिक दृष्टिकोण से तो खास है ही साथ ही पर्यटन की नजर से भी उम्दा है। साइकिलिस्ट की तो यह पसंदीदा जगह है खास तौर पर जो इंदौर से देवास तक साइकिलिंग करते हैं। मार्ग सुगम होने के कारण किसी भी वाहन से जाया जा सकता है।

यदि आप लोकपरिवहन से जाना चाहते हैं तो देवास से उज्जैन जाने वाली बस से भी जा सकते हैं। मंदिर के आसपास खेत होने से यहां का नजारा और भी सुंदर दिखाई देता है। प्राकृतिक परिवेश में वक्त बिताकर यहां सुकून का अनुभव किया जा सकता है।

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