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Udaipur News: जावर माइंस में 45 सालों से आयोजित हो रहा एमकेएम टूर्नामेंट, संस्कृति को ग्रामीणों के बीच रखे हुए है जिंदा

Udaipur News: जावर माइंस में 45 सालों से आयोजित हो रहा एमकेएम टूर्नामेंट, संस्कृति को ग्रामीणों के बीच रखे हुए है जिंदा

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Udaipur News: उदयपुर से 40 किलोमीटर दूर जावर माइंस, जो फुटबॉल टूर्नामेंट के लिए मशहूर है. यह टूर्नामेंट 1976 से आयोजित किया जा रहा है, और इसकी शुरुआत एक दुखद घटना से जुड़ी हुई है. इस टूर्नामेंट का आयोजन केवल खे…और पढ़ें

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कुमार मंगलम फुटबॉल प्रतियोगिता

हाइलाइट्स

  • जावर माइंस में 45 साल से एमकेएम टूर्नामेंट आयोजित हो रहा है.
  • टूर्नामेंट में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है.
  • टूर्नामेंट का आयोजन खदान मजदूरों द्वारा किया जाता है.

उदयपुर:- शहर से 40 किलोमीटर दूर स्थित जावर माइंस, जिसे फुटबॉल विलेज के नाम से जाना जाता है. यह पिछले 45 सालों से मोहन कुमार मंगलम फुटबॉल टूर्नामेंट के लिए मशहूर है. यह टूर्नामेंट खासतौर पर जिंक खदान मजदूरों द्वारा आयोजित किया जाता है, और अब तक इसे यहां के आदिवासी समुदाय और फुटबॉल प्रेमियों द्वारा बेहद सम्मानित किया गया है.

महिलाओं के लिए समान अवसर
आपको बता दें, कि एमकेएम टूर्नामेंट महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने के लिए जाना जाता है. इस स्टेडियम के एक हिस्से को पूरी तरह से महिलाओं, छात्राओं और बच्चियों के लिए रिजर्व किया जाता है, जहां वे आराम से मैच देख सकती हैं. इसको लेकर किरण नाम की एक स्थानीय महिला दर्शक ने बताया, “यह टूर्नामेंट सिर्फ फुटबॉल के बारे में नहीं है, यह एकता, समानता और आदिवासियों के पारिवारिक माहौल का प्रतीक है. पूरे दस दिन यहां उत्सव जैसा माहौल रहता है.

मंत्री की याद में आयोजित किया जाता है टूर्नामेंट
आपको बता दें, कि एमकेएम टूर्नामेंट की एक और खास बात यह है, कि इसकी व्यवस्था खदान मजदूरों द्वारा की जाती है, और यहां आयोजन के दौरान कभी भी कोई गंभीर घटना या विवाद नहीं हुआ है.टूर्नामेंट में शामिल होने वाले गांवों के लोगों की संख्या हजारों तक पहुंच जाती है, लेकिन अब तक थाने में कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई. यह टूर्नामेंट 1976 से आयोजित किया जा रहा है, और इसकी शुरुआत एक दुखद घटना से जुड़ी हुई है.1973 में, तत्कालीन इस्पात एवं खदान मंत्री उदयपुर दौरे पर आए थे और खदान मजदूरों के काम के प्रति निष्ठा और ईमानदारी से प्रभावित हुए थे, लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी हवाई दुर्घटना में मृत्यु हो गई, और उनकी याद में यह टूर्नामेंट आयोजित किया जाने लगा.

यहां के बच्चे खेल क्षेत्र में बना रहे हैं पहचान
आपको बता दें, कि इस टूर्नामेंट का आयोजन केवल खेल तक सीमित नहीं है. यह एक सामाजिक आंदोलन बन चुका है. यहां के बच्चे, जो छोटे से बड़े होते हैं, फुटबॉल खेलते हुए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं. इस खेल ने न केवल स्थानीय समुदाय को जोड़ने का काम किया है, बल्कि यह भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गया है. जावर माइंस का मोहन कुमार मंगलम फुटबॉल टूर्नामेंट एक बेहतरीन उदाहरण है, कि कैसे एक खेल समुदाय को एकजुट करने और सकारात्मक बदलाव लाने का एक असरदार जरिया बन सकता है. 45 साल से इस टूर्नामेंट ने फुटबॉल की संस्कृति को यहां के ग्रामीणों के बीच मजबूती से जिंदा रखा है, और आने वाले सालों में यह और भी अधिक प्रसिद्धि पाने की संभावना रखता है.

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जावर माइंस में 45 सालों से आयोजित हो रहा एमकेएम टूर्नामेंट, जानें क्या है ये

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