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आखिर ट्रम्प को इतनी बड़ी जीत कैसे मिली: क्या फायरिंग बनी टर्निंग पॉइंट; इस बार मुसलमानों और ब्लैक्स को भी साधा

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6 नवंबर को चुनाव जीतने के बाद फ्लोरिडा के वेस्ट पाम बीच पर ट्रम्प ने पहला भाषण दिया। अमेरिका के इतिहास में रिपब्लिकन पार्टी की यह सबसे बड़ी जीत है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ट्रम्प ऐसे पहले राष्ट्रपति बन गए हैं, जिन्होंने 4 साल के अंतराल पर दोबारा जीत हासिल की है।

आखिर डोनाल्ड ट्रम्प को इतनी बड़ी जीत कैसे मिली; भास्कर एक्सप्लेनर में इसके 5 बड़े फैक्टर्स जानेंगे…

तीनों चुनावों के लेटेस्ट नतीजे, रिपब्लिकन ने बाजी मारी अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के साथ-साथ कांग्रेस में भी रिपब्लिकन पार्टी ने बाजी मारी है। पार्टी ने सीनेट में बहुमत हासिल कर लिया है। साथ ही वह हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में भी बढ़त के करीब है।

अमेरिका में भी भारत की तरह दो सदन होते हैं। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव भारत की लोकसभा की तरह होता है। इसके लिए हर दो साल में चुनाव होता है। इस सदन में कुल 435 सदस्य होते हैं।

सीनेट भारत की राज्यसभा की तरह होता है। इसमें हर अमेरिकी राज्य से 2-2 सीनेटर चुनकर आते हैं। ऐसे में कुल मिलाकर अमेरिकी सीनेट में 100 सदस्य होते हैं। इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 साल होता है। हालांकि सभी सीटों के लिए एक साथ चुनाव नहीं होते। हर दो साल में कुछ सीटों पर चुनाव कराए जाते हैं।

ट्रम्प की इस बड़ी जीत के पीछे 5 फैक्टर्स…

फैक्टर-1: ट्रम्प पर चली गोली एक बड़ा टर्निंग पॉइंट

13 जुलाई 2024 को पेन्सिलवेनिया के बटलर शहर में डोनाल्ड ट्रम्प की रैली हुई। ट्रम्प स्टेज पर अपना भाषण दे रहे थे, तभी गोली चलने की आवाज आई। यह गोली ट्रम्प पर चलाई गई थी। AR Style 556 राइफल से चलाई गई गोली से ट्रम्प बच तो गए, लेकिन उनके कान में चोट लग गई।

ट्रम्प ने उस समय खुद भी यह बात मानी थी कि मौत और उनके बीच मिली सेकेंड्स का अंतर था। अगर वो भाषण देते हुए 0.05 सेकेंड के अंतर से सिर न घुमाते, तो गोली सिर में लग जाती। गोली चलने के बाद हवा में मुट्ठी लहराते ट्रम्प की तस्वीर खूब वायरल हुई।

13 जुलाई 2024 को गोली लगने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने मुट्ठी बनाकर हाथ हवा में लहराया।

13 जुलाई 2024 को गोली लगने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने मुट्ठी बनाकर हाथ हवा में लहराया।

गोली लगने के बाद भी ट्रम्प ने चुनावी रैलियां कीं। अमेरिकी जनता को ट्रम्प का यह अंदाज बहुत पसंद आया। पॉलिटिकल प्रेडिक्शन प्लेटफॉर्म पॉलीमार्केट के मुताबिक ट्रम्प को गोली लगने के बाद उनकी विनेबिलिटी में 8% का उछाल आया था और वो 70% के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था।

गोली लगने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के चांस 70% तक पहुंच गए थे।

गोली लगने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के चांस 70% तक पहुंच गए थे।

अमेरिका में ऐसे हादसों से इमोशनल बेनिफिट्स मिलना कोई बड़ी बात नहीं। 43 साल पहले रिपब्लिकन पार्टी के नेता रोनाल्ड रीगन पर भी गोली चली थी। हमले में रीगन बुरी तरह घायल हो गए थे। हालांकि उनकी जान बच गई थी। घटना के 3 साल बाद अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव हुए, जिसमें रीगन की रिपब्लिकन पार्टी ने दोबारा रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी।

फैक्टर-2: स्विंग स्टेट्स पर ट्रम्प के फोकस ने दिलाई इतनी बड़ी जीत राष्ट्रपति बनने के लिए 270 सीटों पर जीत जरूरी होती है। अमेरिका के 7 स्विंग स्टेट्स का रुख जिधर होता है, वही राष्ट्रपति बनता है। 2024 के चुनाव में स्विंग स्टेट्स ने डोनाल्ड ट्रम्प का साथ दिया।

स्विंग स्टेट्स में कुल 93 सीटें हैं। इसमें सबसे ज्यादा पेन्सिलवेनिया में 19 इलेक्टोरल सीटें हैं। ट्रम्प ने इस स्टेट में कमला हैरिस को 3% वोट से मात दी। ट्रम्प को 51% वोट और कमला को 48% वोट मिले। स्विंग स्टेट में पेन्सिलवेनिया को किंग मेकर स्टेट माना जाता है। पेन्सिलवेनिया को जीते बिना व्हाइट हाउस तक नहीं पहुंचा जा सकता।

पेन्सिलवेनिया में 1992 से 2020 तक सिर्फ 1 बार रिपब्लिकन पार्टी को जीत मिली है। 2016 में ट्रम्प ने 0.7% वोट से हिलेरी क्लिंटन को मात दी थी। 2020 के चुनाव में यहां बाइडेन ने ट्रम्प को महज 1.2% के अंतर से हराया था।

इलॉन मस्क ने राष्ट्रपति चुनाव में खुलकर डोनाल्ड ट्रम्प का समर्थन किया। मस्क ने ट्रम्प का समर्थन करते हुए वोटर्स को 1 मिलियन डॉलर यानी लगभग 8.40 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया था। वे चुनाव की तारीख यानी 6 नवंबर तक हर रोज चुने गए किसी एक वोटर को 1 मिलियन डॉलर बांटते रहे। ये स्कीम सिर्फ 7 स्विंग स्टेट्स के लिए शुरू की गई थी।

पेन्सिलवेनिया में चुनावी रैली के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प और इलॉन मस्क।

पेन्सिलवेनिया में चुनावी रैली के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प और इलॉन मस्क।

वोटर्स से फ्रीडम ऑफ स्पीच और हथियार रखने वाली ऑनलाइन याचिका पर दस्तखत करवाए गए और समर्थन करवाया गया। पेन्सिलवेनिया में याचिका पर दस्तखत करने वाले हर रजिस्टर्ड वोटर को 100 डॉलर (8,400 रुपए) का मुआवजा दिया गया। बाकी 6 स्विंग स्टेट्स में याचिका पर दस्तखत करने वाले हर रजिस्टर्ड वोटर को 47 डॉलर (3,951 रुपए) दिए गए।

फैक्टर-3: 2024 के इन 5 चुनावी वादों ने वोटर्स को लुभाया अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प के वादों ने बड़ा असर डाला है। ट्रम्प ने कई मौकों पर ये वादा किया था कि…

  • अपने शपथ ग्रहण से पहले वे रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध समाप्त करवा देंगे। उन्होंने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बात कर युद्ध जल्दी खत्म करने का भी दावा किया।
  • ट्रम्प ने अमेरिका में गैरकानूनी तरीके से आए लोगों को देश से निकालने का भी वादा किया। इसके लिए जरूरी हर शक्ति का प्रयोग करने की बात कही।
  • ट्रम्प ने टिप्स पर लगने वाले टैक्स को भी हटाने की बात कही। इसके लिए कांग्रेस को एक लेजिस्लेशन पास करना होगा।
  • ट्रम्प ने सोशल सिक्योरिटी से होने वाली इनकम पर लगने वाले टैक्स को भी रोकने का वादा किया था।
  • रेसिज्म से संबंधित क्रिटिकल रेस थ्योरी और ट्रांसजेंडर जैसे मुद्दों पर शिक्षा देने वाले स्कूलों की फेडरल फंडिंग बंद करने का वादा किया था।
2 नवंबर 2024 को नॉर्थ कैरोलिना में चुनावी रैली के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प।

2 नवंबर 2024 को नॉर्थ कैरोलिना में चुनावी रैली के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प।

फैक्टर-4: गोरे-काले का भेदभाव छोड़ा, मुसलमानों को भी साथ लाए अमेरिका की अश्वेत आबादी ज्यादातर डेमोक्रेटिक पार्टी को सपोर्ट करती रही है। डोनाल्ड ट्रम्प की छवि भी अश्वेतों के विरोधी की रही है। 2018 में राष्ट्रपति पद की पूर्व उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने डोनाल्ड ट्रम्प को रेसिस्ट (नस्लभेदी) तक कहा था, लेकिन अब ये ट्रेंड बदला है। ट्रम्प को इस बार पॉपुलर वोट्स ज्यादा मिले।

2016 में जब डोनाल्ड ट्रम्प पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे, तब उन्हें अश्वेतों के 8% वोट ही मिले थे। इस बार के एग्जिट पोल्स में ट्रम्प को 12% ब्लैक वोट मिलने का दावा किया गया था। दरअसल, इस चुनाव में ट्रम्प की ब्लैक विरोधी छवि बदली है।

अक्टूबर 2024 में मिशिगन में रैली के दौरान मुस्लिम समुदाय के साथ डोनाल्ड ट्रम्प।

अक्टूबर 2024 में मिशिगन में रैली के दौरान मुस्लिम समुदाय के साथ डोनाल्ड ट्रम्प।

इस बार ट्रम्प ने अमेरिका के मुसलमानों के वोट अपनी तरफ करने की भी खूब कोशिश की। सितंबर में ट्रम्प मिशिगन गए थे। उन्होंने यहां के मुस्लिम मेयर आमेर गालिब और दूसरे नेताओं से मुलाकात की।

2020 और 2016 के चुनावों में मुसलमानों का पूरा सहयोग डेमोक्रेटिक पार्टी को मिला था, लेकिन जो बाइडेन के मिडिल ईस्ट के युद्ध में इजराइल का सहयोग करने से मुस्लिम आबादी में नाराजगी है। उन्हें इन चुनावों में ट्रम्प ज्यादा बेहतर विकल्प दिखाई दिए जो युद्ध का समाधान निकालने की बात करते नजर आते रहे।

फैक्टर-5: मिडिल ईस्ट और रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने की बात कह नब्ज पकड़ी डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी विक्ट्री स्पीच में कहा, ‘मैं युद्ध शुरू नहीं करूंगा, मैं युद्ध खत्म करूंगा’ क्योंकि दूसरे देशों के युद्धों में अमेरिका की भागीदारी दिन-ब-दिन बढ़ रही है। ऐसे में बढ़ते फाइनेंशियल खर्च से अमेरिकी जनता में नाराजगी देखने को मिली।

6 नवंबर 2024 को विक्ट्री स्पीच के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प।

6 नवंबर 2024 को विक्ट्री स्पीच के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प।

अपने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइल हमास युद्ध को रोकने का वादा किया। ट्रम्प ने दावा किया था कि उन्होंने इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को जल्द से जल्द गाजा से युद्ध खत्म करने के लिए कहा है।

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत से ही अमेरिका लगातार यूक्रेन को फाइनेंशियल सपोर्ट देता आ रहा है। पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुए इजराइल हमास युद्ध में भी अमेरिका इजराइल का सहयोग कर रहा है। मिडिल ईस्ट में जंग बढ़ने की वजह अमेरिका का शामिल होना भी है।

अमेरिका की आम जनता इस तरह से दूसरे देशों के मामलों में अमेरिका की भागीदारी को पैसों की बर्बादी मानती है। ऐसे में ट्रम्प के युद्ध रुकवाने के वादे इस चुनाव में उनकी जीत की वजह रहे।

मिडिल ईस्ट की जंग का विरोध करते अमेरिकी नागरिक।

मिडिल ईस्ट की जंग का विरोध करते अमेरिकी नागरिक।

ट्रम्प की जीत की एक वजह बाइडेन की गलत नीतियां भी हैं। प्री-पोल डेटा एनालिसिस के मुताबिक, जब लोगों से पूछा गया कि देश जिस दिशा में जा रहा है, उससे आप संतुष्ट हैं या नहीं? इस पर 74% लोगों का कहना था कि वो संतुष्ट नहीं हैं। लोगों को लग रहा है कि देश गलत दिशा में जा रहा है।

इसका नुकसान डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को हुआ। कमला के सामने एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर्स चुनौती बन गया। कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति थीं, ऐसे में उन्हें एंटी इनकम्बेंसी का खामियाजा भुगतना पड़ा। इसमें मिडिल ईस्ट युद्ध में इजराइल का साथ देना भी शामिल है।

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रिसर्च सहयोग: श्रेया नाकाडे

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