एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने टेक कंपनियों पर दबाव बढ़ा दिया है। उन्हें ऐसे कंटेंट और वीडियोज पर कदम उठाने की जरूरत पड़ी है, जिनमें गर्भपात को लेकर झूठे दावे करने वाली सामग्री है। इस महीने की शुरुआत में Google ने घोषणा की थी कि वह अबॉर्शन क्लीनिक या अन्य जगहों पर जाने वाले यूजर्स के बारे में जानकारी को ऑटोमैटिकली रिफाइन कर देगा। ये सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से कानूनी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
लेकिन कुछ सांसद गूगल पर यह दबाव डाल रहे हैं कि वह अपने सर्च इंजन के रिजल्ट में गर्भावस्था केंद्रों की उपस्थिति को सीमित करने पर काम करे। इसी को लेकर अटॉर्नी जनरल ने गुरुवार को Google और उसकी मूल कंपनी के सीईओ सुंदर पिचाई को एक पत्र में लिखा कि सरकारी अधिकारियों के आग्रह पर जीवन-समर्थक और मां-समर्थक आवाजों को दबाने से अमेरिकी बाजार के विचारों के सबसे बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन होगा।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यूट्यूब के कदम के बारे में कंपनी की प्रवक्ता एलेना हर्नांडेज ने कहा है कि लोगों को स्वास्थ्य विषयों से जोड़ना महत्वपूर्ण है और हम अपनी नीतियों की लगातार समीक्षा करते हैं। आज से अगले कुछ हफ्तों में हम ऐसे कंटेंट को अपने प्लेटफॉर्म से हटा देंगे जो असुरक्षित गर्भपात विधियों के लिए लोगों को निर्देश देती है या गर्भपात के बारे में झूठे दावों को बढ़ावा देती है। यूट्यूब का कहना है कि वह ग्लोबल लेवल पर ऐसे वीडियो को अपने मंच से हटा देगा, जिसमें घर पर असुरक्षित गर्भपात और उनसे जुड़े झूठे दावे किए जाते हैं।
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2022-07-22 08:13:29
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