नई दिल्ली. डी गुकेश ने छोटी सी उम्र में भारत को चेस ओलंपियाड जिताकर अपना नाम घर-घर तक पहुंचा दिया है. जिस उम्र में बच्चा स्कूल से कॉलेज जाने की तैयार कर रहा होता है, उस उम्र में वे विश्व खिताब के लिए तैयारी कर रहे हैं. लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं रहा है. इस सफर की शुरुआत तो उन्होंने पहली कक्षा से ही कर दी थी.
चेन्नई के डी गुकेश ने स्कूल में पाठ्यक्रम से इतर की गतिविधि के तौर पर शतरंज खेलना शुरू किया. बाद में यह उनका जुनून बन गया. इसी का नतीजा है कि आज 18 वर्षीय गुकेश को दुनिया के टॉप चेस खिलाड़ियों में शुमार किया जाता है. ग्रैंडमास्टर गुकेश ने बुडापेस्ट में ओपन वर्ग में भारत को पहली बार शतरंज ओलंपियाड में गोल्ड मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.
डी गुकेश के बचपन के कोच वी भास्कर ने उनकी प्रतिभा तब पहचान ली थी, जब वे सिर्फ सात साल के थे. भास्कर ने कहा, ‘हमने तब शुरुआत की जब वह (गुकेश) वेलाम्मल विद्यालय में कक्षा एक में था. वह पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों में भी भाग लेता था. जब वह सात साल का था तब मैंने उसमें एक ललक देखी और उसे व्यक्तिगत प्रशिक्षण के लिए आने को कहा. हमने कई साल तक उसके खेल को निखारने पर काम किया.’
शतरंज की दुनिया में तीसरे सबसे युवा ग्रैंड मास्टर गुकेश इस साल के अंत में विश्व खिताब के लिए चीन के डिंग लिरेन से दो-दो हाथ करेंगे. भास्कर कहते हैं, ‘गुकेश शुरू से ही प्रतिभाशाली था. उसने छोटी उम्र से ही अपने खेल में काफी प्रयोग करने शुरू कर दिए थे और मुझे तब बहुत खुशी हुई कि वह दुनिया का तीसरा सबसे कम उम्र का ग्रैंडमास्टर बना. मुझे बहुत खुशी हुई जब उसने टोरंटो में कैंडिडेट्स जीता और इस साल के अंत में सिंगापुर में विश्व चैंपियन डिंग को चुनौती देने का अधिकार हासिल किया.’ (इनपुट भाषा)
FIRST PUBLISHED : September 24, 2024, 10:46 IST
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