बीकानेर. बीकानेर की यशु स्वामी, जो 98% दृष्टिहीन हैं, अपनी कमजोरी को ताकत बनाकर देश का नाम रोशन करने की तैयारी में जुटी हैं. आंखों की गंभीर बीमारी के कारण उनकी दृष्टि लगभग समाप्त हो चुकी है, लेकिन उनका हौसला अभी भी बुलंद है. उसके इस सपने को पूरा करने में उसके माता-पिता और पूरा परिवार उसके साथ खड़ा है. यशु ने करीब दो साल पहले तैराकी की शुरुआत की थी. यशु के पिता सुरेन्द्र स्वामी एक किराना की दुकान चलाते हैं, जिससे उनका घर चलता है.
डॉक्टरों ने बताया बीमारी का नहीं है कोई इलाज
बच्चों से मिलने के बाद बढ़ा हौसला
यशु ने बताया कि अब तक इंटर कॉलेज, स्टेट और नेशनल स्तर पर खेल चुकी हूं. इंटर कॉलेज में एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता है. स्टेट प्रतियोगिता में दो गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी हूं. इसके अलावा पिछले साल नेशनल प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल किया है. अभी वह लगातार दो से तीन घंटे तैराकी की प्रैक्टिस कर रहे हैं. सपना यही है कि एशियन गेम्स और ओलंपिक गेम्स में खेले और देश के लिए मेडल लाएं. यशु ने बताया कि उन्हें आंखों में रेटीना की समस्या है, जो जन्म से ही है. यह बीमारी समय के साथ बढ़ती जाती है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, रेटीना खराब होना शुरू हो जाता है. पहले उन्हें किसी भी तरह की कोई समस्या महसूस नहीं होती थी, लेकिन जब वह कक्षा 10 में आईं तो उन्हें आंखों की रेटीना की समस्या शुरू हुई.
कक्षा 12 में आने के बाद यह समस्या ज्यादा होनी शुरू हो गई. इसके बाद अहमदाबाद और चेन्नई गई तो आंखों के रेटीना की इस बीमारी का पता चला. कॉलेज के दूसरे वर्ष में आंखों की समस्या बढ़ गई और कॉलेज के अंतिम वर्ष में आंखें पूरी तरह खराब हो गई. उसके बाद आंखों से दिखना बंद हो गया.
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